अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
14.3.10
नशा उतर गया
बेवफा बता बद दुआ देता है वो, और मैं उसके लिए मंदिर मंदिर धोक खाता रहा। ----- बिन बुलाये वक्त बेवक्त चला आता था, अब तो मुड़कर भी ना देखा मैं आवाज लगाता रहा। ---- एक सुरूर था दिलो दिमाग पर अपना है वो, देखा जो गैर के संग तो नशा उतर गया।
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