बेवफा बता
बद दुआ
देता है वो,
और मैं
उसके लिए
मंदिर मंदिर
धोक खाता रहा।
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बिन बुलाये
वक्त बेवक्त
चला आता था,
अब तो
मुड़कर भी ना देखा
मैं आवाज लगाता रहा।
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एक सुरूर था
दिलो दिमाग पर
अपना है वो,
देखा जो
गैर के संग
तो नशा उतर गया।
14.3.10
नशा उतर गया
Posted by गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर
Labels: नशा उतर गया
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