31.5.11
पैसिव स्मोकिंग ......बिना ख़ता के सजा .....!
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ये तो लोकतंत्र है
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षोडशी को, वयोवृद्ध प्रेमी का प्रेम पत्र ।
आपका जवाब यहाँ है, मेरे ब्लॉग पर ।
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/05/blog-post_31.html
मार्कण्ड दवे । दिनांकः- ३१-०५-२०११.
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पेंसिल....चांद और समय
09971766033
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'अपनी माटी' वेबपत्रिका का जून-2011 अंक
- 'कुरजां संदेश' पत्रिकाओं की भीड़ से अलग-रमेश उपाध्याय
- रमेश उपाध्याय जी की एक सटीक कविता
- छायाचित्र:-चित्तौड़ दुर्ग के कुछ ज़रूरी चित्र
- छायाचित्र:-शंकर घट्टा,चित्तौडगढ
- ''बडी कविता वह है जो संकट के समय लोगों के काम आए''-प्रो मैनेजर पांडेय
- परमाणु बिजली घर;कुछ भ्रांतियां
- दिलीप भाटिया की रचना-'एकला चालो रे'
- 'पंत' की कविता ,युगों तक सम्हाली जानेवाली धरोहर
- आलेख:-पत्रकारों ने यह साबित कर दिया हैं कि राजनीति से बढ़कर कुछ भी नही
- आलेख:-स्त्री विमर्श के नये आयाम
- बोधि पुस्तक पर्व के दूसरे सैट का लोकार्पण समारोह 18 जून को:-बुकिंग शुरू
- आलेख:- सभी कलाओं में तत्कालीन समय से संवाद करने की अद्भुत क्षमता होती है
- छायाचित्र:-ऐसा होता ही गोटिपुआ नृत्य
- छायाचित्र :-'चरण दास चोर', वो भी नगीन तनवीर के निर्देशन में
- एक जून,2011 को होने वाले सूर्य ग्रहण से नफ़ा-नुकसान
- 15 जून को होने वाला पूर्ण चन्द्र ग्रहण और उसके प्रभाव
- गीत चतुर्वेदी का रचना पाठ भोपाल में होगा
- छायाचित्र :-जिर्णोद्धार के बाद रतन सिंह महल,चित्तौड़ दुर्ग
- आलेख:-विश्वविद्यालयो में विधिक पत्रकारिता कोर्स;हो तो करें
- राजेश भंडारी की एक मालवी कविता
- स्पिक मैके के कटक में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन के छायाचित्र
- अपने समय के सच को पहचानने की जिद है शैलेन्द्र चौहान की कविताएँ
- आर.ए.एस. परीक्षा सुधार:- भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु जितेन्द्र सोनी का जवाबी पत्र
- जाने-माने हारमोनियम वादक पद्मश्री महमूद धोलपुरी नहीं रहे
- '' जरूरी नहीं कि बेहतर कविताएं महानगरों में लिखी जाएं''-डा. नामवर
- ॐ कारेश्वर यात्रा के छायाचित्र
- होशंगाबाद के लिए मेरी दूसरी बार की यात्रा और कुछ छायाचित्र
- प्रमोद वर्मा आलोचना सम्मान-2011,कृष्णदत्त पालीवाल और प्रफुल्ल कोलख्यान को
- आलेख:-आधुनिक तकनीक ने दिए मीडिया को कई मुड़ाव
- 'मोहल्ला लाइव' जुलाई-2011 से मासिक पत्रिका निकालेगा
- ज्योतिष के क्षेत्र में एक बड़ा आयोजन भटिंडा में
- डॉ. अरुण शर्मा की चुनिन्दा कवितायेँ
- नाथद्वारा में हुए खगोल विज्ञान सम्मलेन की फोटो रपट
- समीक्षा :-रजनी गुप्त की पुस्तक पर कालु लाल कुलमी:'स्त्री विमर्श की एक जरुरी किताब'
- "लेखक का काम दिल बहलाना नहीं है"
- स्पिक मैके महोत्सव लाइव का शेड्यूल
- मालवा की एक सांस्कृतिक परम्परा :-'मालवी छल्ला '
- ''ऐसा साहित्य जो समाज से कटा हुआ हो, साहित्य हो ही नहीं सकता''-राजकुमार सचान 'होरी'
- जनवादी चित्रकार चित्तप्रसाद को याद करते हुए वरिष्ठ चित्रकार अशोक भौमिक
- शिवराम का मुख्य ध्येय आज के जड संस्कारों को बदलने का रहा
- जनता के नाट्यकर्मी का नहीं रहना खलेगा
- आयोजन निमंत्रण :-"काल से होड़ लेती कविता"
- कालुलाल कुलमी की पुष्कर यात्रा
- डॉ0 महेन्द्र प्रताप पाण्डेय की दो नई रचनाएं
- कविता संग्रह "उजाले का अँधेरा " का लोकार्पण
- लघु आलेख:-कला किसी की बपोती नहीं होती
- चित्तौड़ी आठम महोत्सव संपन्न
- प्रतिनधि कवियों की प्रतिनिधि कवितायेँ
- डॉ. सदाशिव श्रोत्रिय का निबंध:-'विघटन हमारी विरासत का'
- ''केदार की कविता कठिन जीवन-संघर्षों के बीच अदम्य जिजीविषा बनाये रखने वाले स्त्रोतों की खोज करती है'':-डा. पूनम सिंह
- ''राजस्थानी भाषा को मान्यता हेतु इसमें एकरूपता नहीं होना मूल रोड़ा'':-नन्द किशोर 'नेक'
- पुस्तक समीक्षा :-'केदार की कविता और केदार को अलग करके नहीं देखा जा सकता'
- लघु आलेख:- ये कहां आ गये आप!
- डॉ. सदाशिव के सध्य प्रकाशित निबंध संग्रह की समीक्षा:-'उपभोक्तावादी समाज का प्रभावी चित्र'
- रवींद्रनाथ ठाकुर की याद में एक ज़रूरी आयोजन
- कटक अधिवेशन आमंत्रण
- फोटो रपट:-दिव्या का परिंडा बांधो अभियान
- चित्ररेखा संजय जैन की एकांकी:-'किसी को तो आगे आना ही होगा'
- पुस्तक समीक्षा:- नन्दकिशोर आचार्य कृत 'चॉद आकाश गाता है'
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जनसंख्या बढ़ोतरी, कहीं बहुत कम कहीं बहुत ज्यादा;खुशबू(इन्द्री)करनाल
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक 2100 में दुनिया की जनसंख्या दस अरब हो जाएगी। 1950 से अब तक दुनिया की जनसंख्या का बढ़ना आधा हो गया है। मतलब पहले हर महिला के औसतन पांच बच्चे होते थे, लेकिन अब यह संख्या आधी हो गई है। इसका मुख्य कारण परिवार नियोजन है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग के अध्यक्ष थोमास बुइटनर कहते हैं, 'जो जनसंख्या आज हम देख रहे हैं वह सुधार भरे कदम का परिणाम है। अगर 1950 के कदम नहीं बदले होते तो आज जनसंख्या के आंकड़े अलग होते।'
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ एक और मामले पर नजर डालते हैं, 'ज्यादा से ज्यादा लोगों को परिवार नियोजन की सुविधा मिल रही रही और मत्यु दर कम हो गई है। विकास के सभी काम, परिवार नियोजन की कोशिशें मां और बच्चों के मरने की दर कम करती है।'
इन आंकड़ों के मुताबिक गरीब से गरीब देशों में भी प्रति महिला बच्चों की संख्या कम हो जाएगी। और इसलिए 2100 तक दुनिया में करीब दस अरब लोगों के धरती पर रहने का अनुमान संयुक्त राष्ट्र ने लगाया है।
असमान जनसंख्या बढ़ोतरी : यूएन ने अनुमान लगाया है कि अगर प्रति महिला औसतन एक दशमलव छह बच्चे पैदा होते हैं तो जनसंख्या 16 अरब तक पहुंच जाएगी। यह सबसे ज्यादा वाला अनुमान है और एकदम कम होने की स्थिति में दुनिया की जनसंख्या घट कर छह अरब ही रह जाएगी जो आज की संख्या से भी कम होगी। दो हजार आठ में भी संयुक्त राष्ट्र ने इसी तरह का अनुमान लगाया था जिसे उसे ठीक करना पड़ा था।
खुशबू(इन्द्री)करनाल
जर्मन जनसंख्या संस्था (वेल्ट बेफ्योल्करुंग प्रतिष्ठान) की प्रमुख रेनाटे बैहर बताती हैं, 'दो हजार पचास में बीस करोड़ जनसंख्या बढ़ने के सुधार को इसलिए करना पड़ा क्योंकि पैदा होने वाले बच्चों की संख्या जितना कम होने का अनुमान था वैसा आखिरी दो साल में हुआ नहीं। यह एक चेतावनी है। उम्मीद करते हैं कि नेता इस चेतावनी को सुनेंगे और इस पर कार्रवाई करेंगे।'
इसके लिए रेनाटे बैहर थाईलैंड और केन्या का उदाहरण देती हैं, 'आप अगर आज केन्या और थाईलैंड की ओर देखें तो पता चलेगा कि दोनों में जमीन आसमान का फर्क है। केन्या में जनसंख्या चार गुना बढ़ी है जबकि थाईलैंड में सिर्फ दो गुना।'
इसका कारण सिर्फ एक ही है कि 1970 के दशक में थाईलैंड ने दो बच्चे प्रति परिवार की नीति अपनाई और इसे आगे बढ़ाया। अब तो केन्या भी इसे समझ गया है कि परिवार की खुशहाली कम बच्चे ही जरूरी हैं, लेकिन दुनिया के कई देश अभी भी नहीं समझे हैं।
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Political Dairy of Seoni Dist- Of M.P.
Posted by ASHUTOSH VERMA 0 comments
राहुल गाँधी प्रकरण और आरटीआई का सच-ब्रज की दुनिया
Posted by ब्रजकिशोर सिंह 0 comments
30.5.11
दुधिया घास के करिश्मे miracles of euphorbia hirta
दुधिया घास के करिश्मे miracles of euphorbia hirta
you can go through this link and if you need to know anything , you are most welcome.
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भारत और स्वदेशी , कितना संभव
देसी विदेशी , एक मनोरंजक चर्चा.
ॐ सनातन परमोधर्म ॐ जो लोग भारतीय राष्ट्रवाद का दंभ भरते हैं और पाखंड रचते हैं, वे भी आज वृहत्तर भारत और अखंड भारत की हितचिंता से कोई सरोकार नहीं रखते और विदेशियों का साथ देते आसानी से देखे जा सकते हैं।
स्वयं का विदेश से व्यापार करना या विदेशी वस्तुयें जो आपके पास उपलब्ध नहीं हैं उनका प्रयोग करना ( यद्यपि यथासम्भव विदेशी वस्तुओं के प्रयोग से बचना चाहिये) एक अलग बात है..... विदेशी कम्पनी जो अपने यहां आकर धन्धा कर रही है वह तो आपके देश के धन का शोषण करती ही है और कुछ हिस्सा आपको देती है अत: निश्चित ही आप भी भागीदार हुए....निश्चय ही आपने सही कहा...यद्यपि एलोपथिक दवायें सब देश में ही बनती हैं...एलोपथिक ग्यान का उपयोग होता है...परन्तु वास्तव में ही यह आदर्श स्थिति नहीं है......हमें निश्चय ही आयुर्वेदिक तन्त्र का विकास करना चाहिये जिससे अरबों-अरबों की मुद्रा की बचत होगी.....परन्तु यह आज़ादी से पहले की व तुरन्त बाद बात है जब हमारे पास अधिक विकल्प नहीं थी और हम तीब्र विकास के राही थे.....आज स्थित अलग है हम विदेशी वस्तुयें...धन...सन्स्क्रिति...
आपके पते व पद वर्णन से नहीं लगता कि आप स्वतण्त्र व्यापारी हैं अपितु बहुराष्ट्रीय कं में सेवा-योजित होने का भाव लगता है।
आदरणीय डॉक्टर साहिब,
-----आप स्वयं एक बहुराष्ट्रीय क. में कार्य रत होकर विदेशी कम्पनी को देश की सम्पदा समेटने में सहयोग दे रहे हैं.....
आदरणीय डा साहिब
आदरणीय जमाल भाई ,
danger to hindus from muslims or from within themselves ?हिंदू को खतरा मुसल्मानूं से या हिंदुओं से
हिंदुओं को खतरा मुसलमानों से या अपने अंदर की मूर्खता से !
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः॥५- १८॥
ज्ञानमंद व्यक्ति एक विद्या विनय संपन्न ब्राह्मण को, गाय को, हाथी को, कुत्ते को
और एक नीच व्यक्ति को, इन सभी को समान दृष्टि से देखता है।
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