सत्य पारीक-
2014 से पहले जब राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति राज्यपाल का कहीं कार्यक्रम होता था तो राष्ट्रीय गरिमा से परिपूर्ण होता था । क्योंकि उस समय तक तीनों पदों वाले पद की गरिमा का विशेष ध्यान रखते थे लेकिन 2014 के बाद उक्त पदों पर जातिय आधार पर निर्वाचन होने लगा इस कारण राजनीति में रचे बसे नेताओं को ये पद मिलने लगे । नेताओं के इन पदों पर आते ही पद गरिमा तार तार होने लगी जो गिर कर यहां तक आगई कि पहले उक्त पदों वालों के कार्यक्रमों की शुरुआत व समापन राष्ट्रीय गायन से होता था वो अब राजनीतिक आलोचना से शुरू हो कर उसी पर सम्पन्न हो जाता है , शुक्र इस बात का है कि राष्ट्रपति इससे बचे हुए हैं लेकिन कब तक ! क्योंकि जातियता ने इस पद को लपेटे में ले लिया है ।