22.4.10

पत्नी चालीसा-ब्रज की दुनिया

नमो नमो पत्नी महरानी.तुमरी महिमा कोई न जानी. हमने समझा तुम अबला हो.पर तुम सबसे बड़ी बला हो.माई को बेटा से पिटवावे.तब जाके उर ठंढक पावे.जिस घर में हो तुमरा वास.सास ससुर करे स्वर्ग निवास.घर के खंड-खंड करवावे.अपनी दुनिया आप बसावे.अपने घर को नरक बनावे.तब आधुनिक नारी कहावे.भाई के पूत पर नेह लुटावे.अपनी बेटी को टुगर बनावे.नैहर के कुक्कुर भी आवे.उसकी सेवा पति से करवावे.जीजा को देखत तन फड़के.नंदोई को देख के भड़के.बेटा पहले नाना जाने.बाद में फ़िर पापा पहचाने.देवर ससुर को धूल चटाए.भाई बाप को सूप पिलाये.बाहर पति शेर कहलावे.घर आकर चूहा बन जावे.जिस दिन हाथ में बेलन आवे.उस दिन पति घर लौट न पावे.सारे बेड पे पत्नी सोये.पति बैठ के फर्श पे रोये.भाई को दे पूड़ी-हलवा.प्राणनाथ को उबला अलुआ.बहिन उड़ाए चाट और घुघनी.ननद की थाल में सूखी सुथनी.ननद को ना दे फूटी कौड़ी.बहिन को देवे सोने की सिकड़ी.सास ननद को नाच नचावे.अपने कोप भवन में जावे.तुमसे ही घर मथुरा काशी.तुमसे ही घर सत्यानाशी.पत्नी चालीसा जो नर गावे.सब सुख छोड़ परम दुःख पावे.

4 comments:

  1. kya ji ye koi baat hui meri shadi ko to 1 saal bhi nhi hua aur mujhe hi ye padhwa di
    anyway bahut acchi rachna h ye

    ReplyDelete
  2. लाख पते कि बात फ्री में ही बताने के लिए शुक्रिया..

    ReplyDelete