6.4.10

हिन्दुओ की ये भावना के "कुत्ता भौंक कर अपने आप चुप हो जाएगा" काफी हद तक जिम्मेवार है कुत्ते की भों-भों सुनने के लिए!

आजकल जो ब्लोग्युद्ध सा छिड़ा हुआ है ब्लॉगजगत में हिन्दू-मुस्लिम संस्कृतियों को लेकर अपने-आप में दुर्भाग्यपूर्ण है!लेकिन जब कोई हमारे बारे में कुछ गलत कह रहा है तो उसे उसका जवाब भी तो मिलना चाहिए!जो सक्षम है जवाब देने में वो तो जवाब जरुर देंगे,देना भी चाहिए!हिन्दुओ की ये भावना के "कुत्ता भौंक कर अपने आप चुप हो जाएगा" काफी हद तक जिम्मेवार है कुत्ते की भों-भों सुनने के लिए!


कुत्ते से एक बात याद आ गयी,कवी सुरेंदर शर्मा जी की!

एक फौजी की शादी हो गयी जी,बन्दे के पास अपनी दोनाली बन्दुक!नयी-नयी दुल्हन घर में!फौजी साहब खाना खा रहे है जी,बन्दूक पास में रखी है!
एक कुत्ता वही बैठा था,जब उसे काफी देर तक टुकड़ा नहीं मिला तो बेचारा आदतन भौंकने लगा!जब काफी देर हो गयी तो फौजी बोला "कुत्ते चुप"!अब बिना टुकड़े वो कहाँ चुप होने वाला था!वो भौंकता रह जी!फौजी बोला "कुत्ते चुप,मेरी बन्दूक नहीं देखी क्या?"अब कुत्ता कोई पढ़ा-लिखा डॉक्टर तो था नहीं!वो बेचारा बन्दूक क्या देखता,वो तो रोटी देख रहा था!रोटी मिली नहीं तो वो भौंकता रहा!
अब हो गयी जी हद!फौजी साहब अपने वास्तविक रूप में आते हुए बोले कुत्ते मै तीन तक गिनूंगा,चुप हो गया तो ठीक नहीं तो फिर देख लेना!
कुत्ता अब भी नहीं समझ पाया बेचारा!कुत्ता जो था!उधर गिनती शुरू!कुत्ते चुप हो जा एक...कुत्ते चुप हो जा दो...कुत्ते चुप होजा तीन....!
कुता बेचारा सच में अनपढ़ था!गिनती का महत्त्व नहीं जानता था,भौंकता रहा गिनती के दौरान भ और बाद भी!
बस एक फायर ही काफी था उस कुत्ते के लिए तो!सदा के लिए चुप!फौजी अपनी जीत पर अति प्रसन्न!अब आराम से खाना खाया उसने!लेकिन उसकी पत्नी थोड़ी जागरूक नारी थी!वो ये अत्याचार सहन ना कर पायी!उसने आवाज उठायी!
फौजी पतिधर्म के तहत सब सुनने लगा!वो कहे जा रही थी....."ये कोई मानवता है क्या?कुत्ता था भौंक ही तो रहा था,गोली मार दी!ऐसे ही इसी को गोली मार देते है क्या......"
अब फौजी अपने धैर्य को टूटा सा देख कर बोला के बहुत हो चुका अब चुप हो जा!
पर नारी थी,जागरूक!"मुझे तो पता ही नहीं था कि आप ऐसे भी हो,पता होता तो कभी शादी नहीं करती......"
अब फौजी से ना रहा गया!वो बोला चुप होजा एक.....चुप होजा दो......
और फिर तीन गिनने कि जरुरत नहीं पड़ी!आज सब ठीक चल रहा है!उसके बाद उस घर में फिर कभी लड़ाई नहीं हुई!
मतलब यही कि,कभी-कभी शान्ति के लिए हमे भी कठोर रूप अख्तियार कर लेना चाहिए!कोई हमे गलत कह रहा है तो कोई कब तक सहे!वो गलत है ये कहने वाला कोई ना कोई तो होना ही चाहिए!और वो कोई मै क्यों नहीं,ये बात सभी हिन्दुओ को सोचनी चाहिए!जब सभी अपने-अपने स्तर पर विरोध दर्ज कर सकते है तो करना चाहिए!क्यों हम गलत को गलत नहीं कह पा रहे है?

सोचो!
कुंवर जी,

3 comments:

  1. ब्लॉगजगत में हिन्दू-मुस्लिम संस्कृतियों को लेकर ब्लोग्युद्ध गलत है ।

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  2. ji hum aap se sahmat hai dhiraj bhai,magar unka kya kare jo ise hi apne paathko(ya galiya dene walo) ki ginti badhaane ka jariya banaaye huye hai....

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  3. aap phauji banne ki slah de rahe hai ya kitta.is khani ka fauji bhi kutte ke sman hai. yah bhukne ke sath kat khane ki bhi takt rakhata hai . akhir roti se kisi ko kabtak vanchit karke rakhege.kya yah ek tarah ki hridyhinta nahi hai. ham ek dusare ko rupantrit kre achchhe bhavisv ke nirman ki or.

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