26.4.10

वो इक भोली-सी लड़की जो मेरे सपनों में आती है

गजल

-राजेश त्रिपाठी

हवाएं गुनगुनाती हैं, वह जब जब मुसकराती है।

घटाएं मुंह चुराती हैं, वो जब जुल्फें सजाती है।।

फिजाएं झूम जाती हैं, वो जब जब गीत गाती है।

वो इक भोली-सी लड़की जो मेरे सपनों में आती है।।

किसी मंदिर की मूरत है, किसी की कल्पना है वो।

किसी सुंदर से आंगन में सजी एक अल्पना* है वो।।

किसी की आंख की ज्योती किसी दीपक की बाती है।

वो इक भोली-सी लड़की जो मेरे सपनों में आती है।।

जिधर से वो गुजरती है, उधर हो नूर* की बारिश।

इक बांका-सा शहजादा बस उसकी भी है ख्वाहिश।।

पिता का मान है वो, मां की अनमोल थाती है।

इक भोली-सी लड़की जो मेरे सपनों में आती है।।

यही डर है कहीं सपना ये उसका टूट न जाये।

उसे जालिम जमाने का लुटेरा लूट न जाये।।

कली ये टूट न जाये अभी जो खिलखिलाती है।

वो इक भोली-सी लड़की जो मेरे सपनो में आती है।।

प्रभु से प्रार्थना है हमेशा ये मोती सलामत हो।

उससे दूर दुनिया की हरदम सारी अलामत हो।।

खुशी झूमा करे हर सूं जिधर को भी वो जाती है।

वो इक भोली-सी लड़की जो मेरे सपनो में आती है।।



*अल्पना (रंगोली)

* नूर (उजाला)

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