4.5.10
जनगणना २०११ में किन्नरों को अलग से स्थान दिये जाने की मुहिम में मिली बड़ी सफलता।
दिनांक ०३.०५.२०१० और ०४.०५.२०१० को संस्था सिस्फा-इस्फी को प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार तथा गृहमंत्रालय भारत सरकार से क्रमशः दो पत्र प्राप्त हुए हैं। सर्वविदित है कि ॰संस्था सय्यद शाह फरज़न्द अली एजुकेशनल एण्ड सोशल फाउंडेशन ऑफ इण्डिया॰ के सचिव डॉ० एस० ई० हुदा द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम २००५ के अन्तर्गत प्रधानमंत्री कार्यालय से देश में होने वाली पन्द्रहवीं जनगणना २०११ में किन्नर समाज की अलग से गणना किये जाने के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी माँगी गयी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने उपर्युक्त विषय को गंभीरतापूर्वक जानकारी में लेते हुए गृह मंत्रालय भारत सरकार को अतिशीघ्र कार्यवाही का आदेश दिये हैं और समस्त जानकारी निर्धारित समयसीमा के अन्तर्गत उप्लब्ध कराने का संस्था को भी आश्वासन दिया है।
अतः आपसे निवेदन है कि लगभग एक करोड़ आबादी वाले किन्नर समुदाय को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये हमारे प्रयास को बल दें। साथ ही सविनय अनुरोध है कि से किन्नरों के हक़ में उठी संस्था की इस आवाज़ को देशव्यापी आवाज़ बनाने में हमारा सहयोग करें।
भवदीय - डॉ० एस० ई० हुदा (सचिव)
neta jee kisme honge.narayan narayan
ReplyDeleteAll men delusion, but not equally. Those who fancy by cimmerian dark in the dusty recesses of their minds, wake in the heyday to find that it was vanity: but the dreamers of the day are menacing men, because they may deception on their dreams with problematic eyes, to get them possible.
ReplyDeleteThe glory of spacious men should always be stately by way of the means they from reach-me-down to come into possession of it.
ReplyDeleteLocale an model is not the main means of influencing another, it is the only means.
ReplyDeleteA untroubled beloved time eon is the prize of a well-spent youth. A substitute alternatively of its bringing dejected and woebegone prospects of degenerate, it would give in to defeat us hopes of unchanged lad in a recovered world.
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