21.5.10

GULDASTE - E - SHAYARI

GULDASTE - E - SHAYARI
इसी से मिलता मुक्तक है
खुशी के बाद खुशी की तरफ नही देखा,
तुम्हारे बाद किसी की तरफ नही देखा।
मै जानता था तेरा इंतजार लाजिम है,
तमाम उम्र घड़ी की तरफ नही देखा।

No comments:

Post a Comment