13.6.10

तो नेताओं की कठपुतली होते

लगता है कि सीबीआई के निदेशक अश्विनी कुमार मीडिया में भोपाल गैस त्रासदी की खबरें पढ़ और देख-सुनकर पक से गए है......तभी तो वे जबलपुर में पत्रकारों को नसीहत देते दिखे कि क्या अभी भी पच्चीस साल पुराने मामले का पोस्ट मार्टम करने में जुटे हो....go ahead....आगे बढ़ो और ये चिता करो की भविष्य में इस तरह की त्रासदी ना हो और हो भी तो पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत मिल सके.......भाई सीबीआई निदेशक को कौन समझाए कि यदि मीडिया अपनी आवाज ना मुखर करे तो ये नेता ऐसे ही लाशों का सौदा करते रहेंगे....और ये मीडिया न हो तो जीतनी स्वतंत्रता से सीबीआई निदेशक फ़िलहाल काम कर रहे है........नेता उतनी भी स्वतंत्र उन्हें न दे......और पूरी तरह से अपनी कठपुतली बना कर अपनों को बचाने और दुश्मनों को निपटाने की नौकरी बजवाएं.... वैसे सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार ने ये मान कर बड़ी मेहरबानी कर दी कि ट्रायल और अभियोजन के दौरान उनकी संस्था की ओर से कमी रह गयी.....लेकिन आगे के लिए उनका दिया ये भरोसा कितना सही होगा कि अब कोई भी जाँच छः माह में पूरी करके दोषियों को दो साल में सजा दिलवा देंगे, ये वक्त ही बताएगा.

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