अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
कविता काफी अर्थपूर्ण है, और ज़्यादा समकाली। ये हमारी श्रमजीवी समाज के चरित्र हैं – अपने बहुस्तरीय दुखों और साहसिक संघर्ष के बावज़ूद जीवंत।
कविता काफी अर्थपूर्ण है, और ज़्यादा समकाली। ये हमारी श्रमजीवी समाज के चरित्र हैं – अपने बहुस्तरीय दुखों और साहसिक संघर्ष के बावज़ूद जीवंत।
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