6.8.10

काश हम भी दलित होते तो ऐसा न होता

अखिलेश उपाध्याय
कटनी. हरिजन होना आज गर्व की बात है. हरिजनों के लिए विशेष कानून बने है जिनका हमेसा से सवर्णों को परेशान करने और नीचा दिखने के लिए किया जाता है. हरिजन थाने में जिस पुलिस वाले की तैनाती हो जाती है वह अपने आप को धन्य  मानता है. क्योकि शिकायत में डरा सहमा ब्राहमण, ठाकुर, बनिया होता है जो अपनी इज्जत बचाने के लिए डरता-डरता थाने पहुचता है और सवर्ण के भय को हरिजन थाने में बैठे यमदूत जमकर भुनाते है उसे ब्लेकमेल  करते है.

हमारे परिवार में पिछले हफ्ते भी इसी तरह की घटना घटी जब सरकारी सेवा में लगी हमारी घर की एक महिला  के साथ  एक दलित स्वीपर इसी  प्रकार हरिजन एक्ट का दुरूपयोग कर बार-बार डरा धमका रही है. झूठी शिकायत करने की इस स्वीपर महिला की पुरानी आदत है. दो साल पहले भी इसी स्वीपर ने ब्रह्मण होने की सजा दिलाई थी और हरिजन थाने में शिकायत की थी तब भी पुलिस ने ले देकर मामले को निपटाया था और उस दलित महिला को फिर से सेवा में मजबूरन रखना पड़ा था.

हरिजन होने का मतलब आज शान की बात है क्योकि आप उनसे ऊची  आवाज में बात तक नहीं कर सकते. नहीं तो हरिजन एक्ट की तलवार आप के सर पर लटकती रहती है. कटनी हरिजन थाने में पदस्थ शर्मा और उईके जमकर पैसे की उगाही कर रहे है. हरिजन थाने पहुचने का मतलब आप पर पुलिसिया अंदाज से डरा धमकाकर आपकी इज्जत और पैसे की क्षमता देखकर मांग की जाती है.

अधिकतर शिकायते हरिजन थानों में बिलकुल झूठी होती है. इसे थाने में बैठे अधिकारी  बखूबी जानते है. पिछले दिनों महिला बाल विकास विभाग में एक हरिजन महिला ने परियोजन अधिकारी के खिलाफ शिकायत  कर दी थी बेचारी सीधी सादी महिला अनावश्यक परेशान होती रही. उस हरिजन महिला के परिवार की किसी महिला का आगंवादी  कार्यकर्त्ता या सहायिका में करने के बाद ही मामला शांत हुआ. पुलिस ने तो अपना हाथ पहले ही बहा लिया

हरिजन एक्ट का दुरूपयोग करने वालो के खिलाफ भी तो कोई क़ानून बनना चाहिए. कटनी में हरिजन थाने में बैठे अधिकारी शिकायत के लिए आये हरिजन को बुद्धि देते है के कैसे सवर्णों की रिपोर्ट को बढ़ा चदा कर लिखाया जाए ताकइसकी तरकीब भी बताते है.

आज उस ब्राह्मण  परिवार को अपने ब्राह्मण  होने पर शर्म है क्योकि यदि वह भी दलित होते तो इस तरह के बार-बार हरिजन एक्ट लगवाकर नाजायज नकारे लोगो को नौकरी पर से कब का हटा देते और समाज में होने वाली बदनामी  से बचते तथा एक बार की शिकायत में हरिजन थाने में हजारो रूपये की चादोत्री देबे से बगी बचते .

धर्म निरपेक्षता की बात करने वाली भारत की सरकार, जाती पाती को मिटाने वाली सरकार फिर क्यों जनरल, ओ बी सी, एस टी, एस सी में विभाजित कर रही है. वैदिक परंपरा को गाली देने वालो ने ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इन चार वर्णों  में समाज को बाट रखा  था लेकिन आजाद भारत में जाती पाती व्यवथा  का विरोध करने वालो ने इसे ख़तम करके उपरोक्त नई सरकारी जातिया बना दी. 

हम सवर्ण आखिर कैसे हरिजन एक्ट के भय से निजत पाए, कोई तो बताओ ?

4 comments:

  1. हर कोई मसीहा तेरा है, पर मेरा मसीहा कोई नहीं ,
    वोटों की चिंता रात-रात, इस देश की संसद सोई नहीं .......... such ko samney lane
    ka sahash tarif-e- qabil hai ...abhaar.

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  2. sarkar vote ki rajneeti me harijan act me sansodhan to karna hi nahi chahegi..sir ji ham sab v ek samiti gathit kar harijan ki hi tarah sawarn act ki mang sarkar se kare...aur har roj morcha, traine roke to shayad kuchh ho sakta hai...

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  3. Sir,
    Hamare pariwar ko bhi harijano ne pareshan kr raha h .wo hamesha hamse jhagda krne ki firak rahte h.kai baar police complete bhi ho chuki h ..waha police wale acche h Jo jhagda suljha dete h . unko pata h kon galti karta h. Wo(harijan) thane m mafi maang lete h... Kuch dino tak shant rahte h fir jhgra kr lete h...or to or police walo ko kahte h ki hum unko chuda kahte h..jabki hum to unse jhagda karna Hi nahi chahte..

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  4. दलित और अन्य वर्गों में इस अधिनियम के कारण दुरिया पैदा होगी। अपराध् बढ़ेगा। यदि आपके साथ कोई दलित गलत करता है तो सह लेना नही तो हरिजन एक्ट में फसा दिये गये तो उसी दलित को बाप भी कहना पड़ेगा। पुलिस और दलित वर्गों के लिये यह एक बहुत ही सरल और सुलभ कमाई और बदला लेने का श्रोत है। जिसे हमारे सविधान द्वारा उपहार स्वरुप दिया गया है। यह अत्यंत शर्मनाक है।

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