13.8.10

कपटी लोगों का धर्म इस्लाम

चर्च में जलाई जाएंगी कुरान
बर है कि फ्लोरिडा के एक चर्च में ११ सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुरान को जलाने (इंटरनेशनल बर्न ए कुरान डे) के दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। न्यूयॉर्क के समाचार पत्रों के अनुसार ११ सिंतबर २००१ को हुए आतंकी हमले की घटना की नौवीं बरसी पर चर्च ने यह कदम उठाने का फै सला लिया है। फ्लोरिडा के 'द डोव वल्र्ड आउटरीच सेंटरÓ में ९/११ की बरसी पर एक शोक सभा आयोजित की जाएगी। जिसके तहत इस्लाम को कपटी और बुरे लोगों का धर्म बताकर कुरान को जलाया जाएगा।
संसद में उछला मुद्दा
चर्च द्वारा कुरान की प्रतियां जलाने के बारे में अमरीकी चर्च की घोषणा के मुद्दे को ९ अगस्त सोमवार को लोकसभा में उठाते हुए इस पर चर्चा कराए जाने की मांग की गई। बसपा डॉ. शफीकुर रहमान बर्क ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के समक्ष इस मसले को रखना चाहिए। भारत और दुनिया के मुसलमान अपने पवित्र धर्मग्रंथ के किसी भी तरह के अपमान को बर्दाश्त नहीं कर सकते।
नोट:- इस महाशय ने कभी-भी उस वक्त आपत्ति दर्ज नहीं कराई, जब मुस्लिमों द्वारा कई बार बीच सड़क पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज जलाए। लगता है ये देश का अपमान बर्दाश्त कर सकते हैं... साथ ही इन्हें दूर देश में क्या हो रहा है इस बात की तो चिंता रहती है, लेकिन अपने देश में सांप्रदायिक ताकतें क्या गुल खिला रही हैं यह नहीं दिखता।
कुरान- इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब थे। इनका जन्म अरब देश के मक्का शहर में सऩ ५७० ई में हुआ था। अपनी कट्टर सोच के कारण इन्हें अपनी जान बचाने के लिए मक्का से भागना पड़ा। इस्लाम के मूल हैं-कुरान, सुन्नत और हदीस। कुरान वह ग्रंथ है जिसमें मुहम्मद साहब के पास ईश्वर के द्वारा भेजे गए संदेश संकलित हैं। कुरान का अर्थ उच्चरित अथवा पठित वस्तु है। कहते हैं कुरान में संकलित पद (आयतें) उस वक्त मुहम्मद साहब के मुख से निकले, जब वे सीधी भगवत्प्रेरणा की अवस्था में थे।
मुहम्मद साहब २३ वर्षों तक इन आयतों को तालपत्रों, चमड़े के टुकड़ों अथवा लकडिय़ों पर लिखकर रखते गए। उनके मरने के बाद जब अबूबक्र पहले खलीफा हुए तब उन्होंने इन सारी लिखावटों का सम्पादन करके कुरान की पोथी तैयार की, जो सबसे अधिक प्रामाणिक मानी जाती है।
ईसाइयों से विरोध
कुरान सबसे अधिक जोर इस बात पर देती है कि ईश्वर एक है। उसके सिवा किसी और की पूजा नहीं की जानी चाहिए। हिन्दुओं से तो इस्लाम का सदियों से सीधा विरोध है। हिन्दू गौ-पालक और गौ-भक्त हैं तो मुस्लिम गौ-भक्षक, हिन्दू मूर्ति पूजा में विश्वास करते हैं तो इस्लाम इसका कट्टर विरोधी है। ईसाइयों से भी उसका इस बात को लेकर कड़ा मतभेद है कि ईसाई ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र कहते हैं। कुरान का कहना है कि ईसा मसीह ईश्वर के पुत्र कतई नहीं हो सकते, क्योंकि ईश्वर में पुत्र उत्पन्न करने वाले गुण को जोडऩा उसे मनुष्य की कोटि में लाना है।
दोनों से भला हिन्दुत्व
कुछ लोगों को हिन्दुत्व से बड़ी आपत्ति है, लेकिन मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि मैं हिन्दू जन्मा। हिंदू होने के नाते मुझे सभी धर्मों का आदर करने की शिक्षा मिली है। मैं मंदिर जा सकता हूं, मस्जिद और दरगाह पर श्रद्धा से शीश झुका सकता हूं और चर्च में प्रार्थना भी कर सकता हूं। जिस तरह से एक आतंककारी घटना से ईसाइयों में इस्लाम के प्रति इतना क्रोध है कि कुरान को चर्च में जलाने का निर्णय ले लिया। इससे तो हिन्दू भले हैं। हिन्दुओं ने तो मुगलों के अनगिनत आक्रमण और आंतकी हमले झेले हैं, लेकिन कभी भी कुरान जैसे ग्रंथ को जलाने का निर्णय नहीं लिया। भले ही इस देश के मुसलमान सड़कों पर यदाकदा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को जलाते रहे हों या फिर राष्ट्रगीत वन्देमातरम् के गाने पर एतराज जताते हों।
                असल में इस्लाम और ईसाई दोनों ही धर्म अति कट्टर हैं। वे अपने से इतर किसी अन्य धर्म की शिक्षाओं को न तो ठीक मानते हैं और न उनका आदर करते हैं। एक ने अपने धर्म का विस्तार तलवार की नोक पर किया तो दूसरे ने लालच, धोखे और षडय़ंत्र से भोले-मानुषों को ठगा। खैर चर्च में कुरान जलाने का मसला तूल पकड़ेगा। इसके विरोध में पहली प्रतिक्रिया भारतीय संसद में हो चुकी है।

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