13.8.10

निशंक के खिलाफ एक बड़ी सियासी साज़िश-रुचि क्षेत्री
ऐसे मैं कैसे जनता के लिए काम करें मुख्यमंत्री


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक इन दिनों जोर-शोर से उत्तराखंड की विकास यात्रा को अंज़ाम तक पहूंचाने में लगे। निश्चित तौर पर यह प्रदेश की जनता और युवाओं के लिए मुख्यमंत्री द्वारा किया जा रहा सराहनीय प्रयास है। जिसके लिए मुख्यमंत्री खुद विकास के धरातल से जुडे रहते हुए। अपने कार्यकर्ताओं को भी इसी लीक पर चलने का निवेदन कर रहे है। ताकि उत्तराखंड विश्व मानचित्र पर खुद को श्रेष्ठतम् देख सके। लेकिन कहते है...जब-जब कोई व्यक्ति विशेष विकास की मिसाल लिए आगे बढ़ता हैं तो,उसके पीछे इस मिसाल को बुझाने वाले भी दौड़ने लगते है। यही काम आजकल उत्तराखंड में कांग्रेस के कई वरिष्ठ और खुद बीजेपी के कुछ सम्मानित नेताओं द्वारा निशंक के साथ किया जा रहा है। इससे यह तो साफ हो ही गया हैं कि यह सब निशंक की कामियाबियों से कितने झला गए है। इन्हें राज्य के विकास और जनता से कोई सरोकार नहीं रह गया है। यदि ऐसा होता तो यह सब आज उत्तराखंड के विरोध में नहीं सर्मथन में निशंक के साथ खड़े होते।
लेकिन ये सर्वव्यापी हो गया हैं कि कांग्रेस और बीजेपी के कुछ बरिष्ठ नेता जिस तरह से उत्तराखंड में हो रहे विकास में रोड़ा लगा रहे है। इससे सबसे बड़ा नुकासन तो खुद इन्हीं का हो रहा है। यह आज किसी से छुपा नहीं हैं कि कांग्रेस उत्तराखंड के मुख्यमंत्री निशंक को घेरने के नाम पर...लगातार प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है। क्योंकि इन दिनों कांग्रेस के नेता जिस तरह से निशंक के खिलाफ एक के बाद एक झूठे मामले उछाल रही है। उससे साफ जाहिर हो जाता हैं कि इन नेताओं को प्रदेश के विकास से कोई लेना देना नहीं हैं,इन्हें तो सिर्फ अपनी राजनिति चमकानी हैं,और खुद के हित के लिए किसी भी स्तर तक गिर जाना है। यही इन दिनों कांग्रेस उत्तराखंड में कर रही है। जबकि कांग्रेस का खुद का गिरेबान कभी भी पाक साफ नहीं रहा....फिर चाहे वह मंहगाई का मामला हो...जैनी प्रकरण हो...या नौछमी नारेणा...के ठुमके हो। यह खुद के किए कर्मों को कैसे भूल जाते है...शायद इसलिए इसे राजनिति कहते है।
ताजा मामला जो इन दिनों उत्तराखंड के राजनैतिक हल्कों में कांग्रेस के माध्यम से उछाला गया है वह हैं,रुचि क्षेत्री,जिसका दामन कभी खुद ही पाक साफ नहीं रहा है। यही वजह भी हैं कि आपराधिक मामलों में आरोपित रही रुचि क्षेत्री द्वारा उच्च न्यायालय में दायर याचिका कई सवालों को जन्म दे रही है। जिसको सपोट कर रहे है कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता, एक पूर्व मुख्यमंत्री, एक चर्चित वकील तथा एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री के अतिउत्साही समर्थन। इसे एक तीर से कई शिकार करने का प्रयास भी माना जा रहा है। राजनीतिक क्षेत्रों में ख़ासकर उत्तराखंड में यह चर्चा हैं कि निहित राजनीतिक हित साधने के लिए रुचि को ‘टूल’ बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि रुचि पूर्व में संस्कृति विभाग के तहत संविदा पर कार्यरत थी। शुरू से विवादों में रही रुचि ने वर्ष 2004 में संस्कृति विभाग के अपर सचिव अमिताभ श्रीवास्तव पर भी बदसलूकी करने का आरोप लगाया था। यह मामला तब अखबारों की सुर्खियों में रहा। बाद में रुचि को नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इससे पूर्व रुचि ने मच्छी बाजार में रहने वाले शम्मी नामक एक हिस्ट्रीशीटर से विवाह रचाया था। रुचि के रवैये से शम्मी के साथ उसकी निभ नही पायी। तब रुचि ने अपने पति शम्मी पर यह भी आरोप लगाया था कि उसकी मां के साथ उसके संबंध है। कुछ समय बाद दोनों एक-दूसरे से अलग हो गये। उसी दौरान यह भी चर्चा रही थी कि रुचि ने किसी अन्य व्यक्ति से शादी रचा रखी थी। रुचि ने इसके बाद समता पार्टी के नेता विनय क्षेत्री से शादी की और दोनों साथ रहने लगे। इस दौरान विनय के परिजनों की हत्या हुई। बाद में विनय क्षेत्री की भी हत्या हो गई। रुचि भी अपने पति की हत्या के आरोप में जेल चली गयी। बताया जाता है कि अब जब वह बरी होकर लौटी तो कांग्रेस व भाजपा के कुछ नेताओं से उससे संपर्क साधा, इसी दौरान पूर्व में निस्तारित हो चुके मामले को नये सिरे से ‘बिजूका’ की तरह इस्तेमाल करने के लिए रुचि का सहारा लिया गया। राजनीतिक गलियारों में अब चर्चा गर्म हो रही है कि रुचि को कुछ राजनेताओं ने ‘टूल’ बनाने के लिए उकसाया है। इस प्रकरण के पीछे प्रदेश के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का हाथ बताया जा रहा है,और यह राजनेता कौन ही...इनके नाम की चर्चा लोग इनके खुद के गिरेबान में झाकने की सलाह देकर कर रहे है।
सूत्रों के मुताबिक उक्त नेता की देहरादून जिले में करीब सौ बीघा भूमि है जिसको लेकर वह पिछले कई दिनों से सरकार पर दबाव बना रहे है। इस मामले में एक वरिष्ठअधिकारी द्वारा जांच भी की गयी। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच रिपोर्ट सरकार के समक्ष रखने की हरी झंडी नहीं मिल पाई है। तर्क दिया जा रहा है कि सरकार इस मामले में कार्रवाई न करे, इसके लिए दबाव की राजनीति के तहत रुचि को मोहरा बनाया गया है। इसके अलावा प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री व एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री के ‘अति आतुर’ निकटस्थ का भी हाथ बताया जा रहा है, इसके लिए रुचि के बहाने वर्षों पूर्व एक बार निस्तारित हो चुके मामले के तहत यह षडयंत्र रचा गया ताकि भाजपा हाईकमान के सामने मुख्यमंत्री की गलत छवि का संदेश भेजा जा सके। इसी के साथ शातिर दिमाग की रुचि भी इस बहाने अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहती है। लेकिन यहां सवाला यह उठता हैं कि जो महिला और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस पूरे प्रकरण को उछाला रही है। क्या उनका खुद का दामन पाक साफ है। क्या बीजेपी हाईकमान इन झूठे आरोप को सुनकर कर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर निर्णय लेगा। क्या इससे मुख्यमंत्री की छवि ये लोग धूमिल कर पायेगें...शर्म आनी चाहिए इन नेताओं को जो हमेशा प्रदेश की विकास की बात करते है। जनता के साथ रहने का ढिढोंरा पिटते हैं। इस झूठे प्रकरण से तो साफ हो जाता हैं कि उत्तराखंड में मुख्य विपक्षी दल प्रदेश का विकास नहीं बल्कि प्रदेश की जनता को भटकाने का ज्यादा काम कर रहा है। लेकिन विपक्ष को ये नहीं भूलना चाहिए की उत्तराखंड का जनमानस शांत और सुशील जरूर हैं....अंधि नहीं हैं...उसे सब कुछ दिखायी देता हैं,और समझ में भी आता है...इसलिए कांग्रेस के वरिष्ठगण ये अच्छी तरह समझ ले कि प्रदेश में जो सरकार प्रदेश की जनता के हित में काम कर रही है...उसे अपनी यात्रा तय करने दें...यकीनन डॉ.निशंक के नेतृत्वता में प्रदेश का विकास हो रहा है..युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे है..इसलिए विपक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से प्रदेश की जनता का निवदेन हैं कि प्रदेश सरकार को ऐसा बेकार के मामलों में ना उझायें...उसे काम करने दें...जिससे जनता की भावनाओं का सम्मान होता है..और उत्तराखंड का विश्व पटल पर नाम...अभी भी समय हैं..विपक्ष और बीजेपी के वह नेता जो जिसमें खाते है और आज उसमें छेद करने पर तुले है..सुधर जाइए...कहीं ऐसा न हो की आने वाले समय में आपको कहीं मुंह छिपाने को भी जगह न मिले।
- जगमोहन 'आज़ाद'

2 comments:

  1. यह दुखद है कि अच्छे लोगोँ को फँसाया जा रहा है. बेबाक और सटीक पोस्ट के लिये बधाइ.

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  2. jagmohan jee aap ya to cm ke liye kam kar rahe hain ya fir full timmer hain
    jo bhi ho badhai
    arvind jee ko bhi pata chale sarkaren kya kya karati hain meri or se aap aur appki sarkar dirghau ho
    thans

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