भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
24.8.10
बसंत को पतझड़
अपनों के बीच
बेगाने की तरह
रहता हूँ,
कोई क्यों जाने
क्या क्या
सहता हूँ,
वो पतझड़
समझते हैं
जो
बसंत कहता हूँ।
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment