15.8.10

आजादी का जश्नः गोली-लाठी, आग, पथराव, जूता, मौत, भूख-प्यास, बेहोशी

आज पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था। जश्न की तैयारियां तो पूर्व संघ्या से चर्म पर थीं, लेकिन इस वर्षगांठ पर चंद कारनामें ऐसे भी हुए जिन्हें कुछ लोग शायद ही कभी भुला पायें। ऐसे न भुलाने में आईपीएस पीसीएस अधिकारी, एक मुख्यमंत्री, स्कूली बच्चे, किसान, पुलिसकर्मी आदि शामिल हैं।
नंबर-1-
सबसे पहले बात अलीगढ़-मथुरा एक्सप्रेस वे की। अलीगढ़ के कई गांवों के किसान मुआवजे की मांग को लेकर कल से ही भड़के हुए हैं। वह इतने भड़के कि उन्होंने करोड़ों की सम्पत्ति को आग के हवाले कर दिया। इसमें कई सरकारी व प्राईवेट वाहन व अन्य सामान शामिल है। पुलिस चौकी को स्वाह कर दिया गया। बेकाबू हालात में पुलिस व किसानों के बीच पत्थर व गोलियां चलीं। इस खूनी संघर्ष में एक पुलिसकर्मी व चार किसानों की मौत हो गई। आज भी जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने यूपी सरकार पर आरोप लगाये तो सब नींद से जाग गए। वोटों की राजनीति कहें या कुछ ओर किसानों को पांच-पांच लाख मुआवजे की घोषणा कर दी गई। अलीगढ व मथुरा के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया। किसानों के मुआवजे पर विचार के लिये एक कमेटी का गठन भी कर दिया गया। हालांकि यह काम पहले भी हो सकता था, लेकिन शायद इस बिगुल का ही इंतजार था।
नंबर-2-
आज पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ था। दिल्ली के अम्बेडकर स्टेडियम में भी आजादी का अहसास दिलाने के लिये बच्चों को जैसे बंधक बना लिया गया। सुबह ही करीब चार सौ बच्चे भूखे चले आये। घंटों उन्होंने धूप में खड़े रहकर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का इंतजार किया, लेकिन कई बच्चे इस जश्न को बर्दाश्त नहीं कर सके ओर वह बेहोश हो गए। बेहतर होता बच्चों के लिये आयोजन खाने की नहीं तो पानी की व्यवस्था तो कर ही देते। वैसे इसे शर्मनाक जश्न ही कहा जायेगा। रोंगटे खड़े कर देने वाले एक हादसे में बिजली के नंगे तारों के कारण एक बच्चे की मौत भी हो गई।
नंबर-3-
आज जब देश आजादी का जश्न मना रहा था तो हिंसा की आग में सुलग रहे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर एक पुलिसकर्मी ने जूता फेंक दिया। जूते फेंकने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। नेताओं के लिये चिंता का विषय हैं। ये सिलसिला कब रूकेगा ओर कैसे?

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