31.8.10

गरीबों की भूख कोर्ट की फिक्र,लेकिन मंत्री बेफिक्र

कंेद्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पंवार अपने बेतर्क बयानों को लेकर पहचान कायम कर चुके हैं। उनकी वजह से पहले ही कई बार सरकार को जवाब देना मुश्किल हो गया है। कमर तोड़ महंगाई पर सरकार पहले ही लगाम लगाने में विफल है। शरद पंवार के बयानों से कभी चीनी तो कभी दूध के दाम बढ़ते हैं क्योंकि वह पहले ही दलालों व मुनाफाकोरों को यह कहकर मौका दे देते हैं कि फला चीज के दाम बढ़ सकते है बस जादू देखिए दाम तुरन्त बढ जाते हैं। अब ज्यादा अफसोसजनक व शर्मनाक बात यह है कि देश में जहां हजारों-लाखों लोगों को भरपेट खाना तक नसीब नहीं हो रहा वहीं लाखों कुंतल गंेहू गोदामों के बाहर सड़ रहा है। मीडिया द्वारा किये गए खुलासों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया ओर सरकार को आदेश दिया कि वह अनाज गरीबों को बाट दे, लेकिन शायद कृषि मंत्री को अदालत को आर्डर समझ में नहीं आया सो उन्होंने कह दिया कि अदालत ने यह सलाह दी है इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यह सलाह नहीं बल्कि आदेश है। जाहिर है कि कोर्ट का आदेश गरीबों के हक में है लाखों लोगों की भूख का इंतजाम करने वाला है परन्तु माननीय मंत्री जी ऐसा पॉजीटिव शायद सोच ही नहीं पाये। बहरहाल अब उनकी गलतफहमी दूर हो गई है देखिए क्या होता है। सबसे अच्छी बात यह रही कि लोकसभा में सभी विपक्षी नेताओं ने गरीबों के हक में एकजुटता दिखायी। यह वाकई अच्छी बात है केवल राजनीति नहीं हुई। कोर्ट के आदेश सरकार की चौखट के अंदर दाखिल हो चुके हैं। सरकार यदि मेहरबानी कर दे, तो अनुमानित आंकड़े के मुताबिक इतना अनाज सड़ने के कगार पर है जिससे 17 करोड़ लोग एक साल तक खा सकते हैं। देखिए क्या होता है। 

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