अक्टूबर में गिर्दा के लोक गीतों और एक कहानी के शूटिंग की बात नरु दा ने कही तो आखिर गिर्दा ने हाँ करी और अक्टूबर में शूटिंग तै हुई. ई टी वी से गोविन्द कपतियाल जी ने स्टूडियो आने का न्योता दिया. और फिर हम सब अपने अपने विश्राम की और चल दिए.
लेकिन किसी को भी एहसास नहीं हुआ कि आखिर गिर्दा क्यों मन कर रहे हैं. शायद उन्हें आभास था कि वोह जीते जी खुछ ही रहेंगे और खुछ ही रखेंगे.
लेकिन जब गिर्दा पञ्च तत्व में विलीन हो रहे थो तो सभी की ऑंखें नम थी रामनगर से गनेह्स रावत, प्रभात ध्यानी, हरी मोहन, मुनीश भाई, सलीम मालिक, काशीपुर से में और बाजपुर से बल्ली सिंह चीमा धूम कोट से मनीष सुन्द्रियाल हम सब भी पूरे रास्ते गिर्दा की बातें और कविताओं पर ही बातें करते रहे. कभी कभी बल्ली भाई कोई नज़म छेड़ देते. यह शायद कई लोगों को अटपटा लग रहा था कि राम नाम सत की जगह गिर्दा के जनगीतों की गूँज चरों और थी. राजीव लोचा दा, नवीन जोशी, पी सी तिवारी. शेखर पाठक सभी की ऑंखें नाम थी लेकिन सबने शब्प्थ भी ली कि गिर्दा तुम हमेशा अमर रहोगे. और हम तुम्हे हमेशा जीवित रखेंगे.
इश्वर हम सबको गिरीश तिवारी गिर्दा को अमर करने की शक्ति प्रदान करे
प्रेम अरोड़ा
काशीपुर
9012043100
अगर दो चार सम्पर्क नंबर भी प्रकाशित हो जाएँ में आना चाहता हूँ और इसका नजदीकी मेट्रो स्टेशन भी बताएं
प्रेम अरोड़ा
काशीपुर
9012043100
गिरीश तिवारी गिर्दा की याद में सेमीनार हॉल, दूसरा तल, राजेंद्र भवन, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, दिल्ली और दिन व समय है, 4 सितंबर, शनिवार शाम 5 बजे। कुछ महत्वपूर्ण वक्ताओं में गिर्दा के पुराने साथी प्रो. शेखर पाठक, राजीव लोचन शाह, मंगलेश डबराल, पंकज बिष्ट आदि होंगे। इसके अलावा उनकी कुछ कविताएं हम पढ़ेंगे और उन पर एक फिल्म का भी प्रदर्शन किया जाएगा। भड़ास फॉर मीडिया पैर प्रकाशित सूचना के आधार पर उत्तराखंडी दिल्ली पहुंचे
लेखन ही किसी के आतंरिक व्यक्तित्व के विचारों को उजागर करता है इसके लिए भड़ास जैसा ब्लॉग सबसे बड़ा माध्यम है जो अछे श्रेय का सदैव भागी रहेगा|
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