ताकता रहा में रातभर इस प्यार की निशानियाँ
गड़ता रहा में रात दिन झूठी मुठी कहानियां
जिद पे अड़ी है आज तो की रख करना है तुझे
केसे संभालूँगा इन्हें ये आग सी जवानियाँ
है दर्द कितना प्यार में क्यों कर तुझे कहना लगा
रब न मिले तो न सही,रब यार है ओ जनियाँ
निखिल
खूबसूरत ग़ज़ल के लिए धन्यवाद्
ReplyDeleteshukriya manish ji
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