पर सवाल है कि आप हम करेंगे क्या. कैसे करेंगे. इसको लेकर कई सुझाव आए हैं. वो नीचे क्रमवार तरीके से दिए गए हैं. इन पर तुरंत अमल की जरूरत है. बाकी आप कुछ सुझाना चाहें तो नीचे कमेंट बाक्स में अपने विचार प्रकट कर सकते हैं.
''Justice for मां''
1- नीचे दिए गए सभी शीर्षकों व उससे संबंधित लिंक-यूआरएल को अपने मेल के जरिए अपने कांटेक्ट बुक के सभी लोगों तक पहुंचा दें. नीचे हेडिंग व लिंक के साथ मेल का सब्जेक्ट व संदेश भी लिख दिया गया है ताकि आप कापी कर मेल भेज सकें. नीचे के संदेश सब्जेक्ट व लिंक को कापी कर अपने मेलबाक्स में ले जाएं, कांटेक्ट्स पर क्लिक करें, सभी कांटेक्ट्स को सेलेक्ट करें, फिर कंपोज मेल या ईमेल पर क्लिक कर उसमें इस मैटर को डाल दें. सब्जेक्ट की जगह नीचे दिए गए सब्जेक्ट को डालें और सेंड बटन दबा दें.
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सब्जेक्ट : एक मां को चाहिए न्याय... justice for मां...
संदेश : उम्मीद है आप स्वस्थ सानंद होंगे. एक कंपेन शुरू किया गया है. एक मां को लोकतांत्रिक तरीके से न्याय दिलाने के लिए. अगर वक्त निकाल कर नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कर पूरे प्रकरण को समझेंगे और यथोचित पहल करेंगे तो आभारी रहूंगा. पढ़ने के बाद आप न्यूनतम यह कर सकते हैं (अगर उचित लगे तो) कि इस मेल को अपने कांटेक्ट बाक्स के अधिक से अधिक लोगों तक फारवर्ड कर दें.
यह एक पत्रकार की अपने मां के सम्मान के लिए लड़ी जा रही निहत्थी लड़ाई है. हिंसक व हथियारबंद सिस्टम में एक आम जर्नलिस्ट द्वारा अपने परिवार की इज्जत व आत्मसम्मान बचाने का लोकतांत्रिक प्रयास है. इसमें सहयोग दें. अपने स्तर पर भरसक कोशिश शुरू करें कि दोषियों को दंड मिल सके.
धन्यवाद और आभार
http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6969-2010-10-16-11-26-00.html
http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6980-2010-10-17-09-05-00.html
http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6981-legal-provision-arrest-detention.html
http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6982-2010-10-17-09-56-04.html
http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6986-justice-for-mother-part1.html
http://bhadas4media.com/article-comment/6992-2010-10-18-10-30-20.html
http://bhadas4media.com/dukh-dard/6991-jusitce-for-mother-part2.html
http://bhadas4media.com/article-comment/6993-2010-10-18-10-46-56.html
http://bhadas4media.com/article-comment/6994-2010-10-18-11-15-58.html
http://bhadas4media.com/dukh-dard/6995-2010-10-18-11-51-57.html
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2- लखनऊ व दिल्ली में बैठे सत्ताधारी नेताओं, अफसरों, मंत्रियों व आयोगों के पदाधिकारियों को विशेष तौर पर मेल के जरिए इस मामले की शिकायत भेजें. जितनी ज्यादा मेलें जाएंगी, उतनी ज्यादा संभावना सोए हुओं के नींद खुलने की होगी.
3- मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और अदालतों में इस मसले की शिकायत दर्ज कराई जाए. इसके लिए जरूरी नहीं है कि जिन पर गुजरी है, वही शिकायत दर्ज कराएं. कोई भी पहल कर फैक्स, डाक, निजी तौर पर मिलकर इन आयोगों में शिकायत दर्ज कर सकता है. इसी तरीके से इस मामले को सभी अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों तक पहुंचाया जा सकता है. उम्मीद करते हैं कि कुछ संवेदनशील व ईमानदार लोग जरूर होंगे जो नजर पड़ने पर अपने स्तर पर पहल शुरू कर देंगे.
4- अगर आप मीडिया से किसी भी रूप से जुड़े हैं तो इस मसले को किसी न किसी रूप से फ्लैश करें, प्रकाशित करें, प्रसारित करें ताकि यह आवाज, यह अभियान, यह मुद्दा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे. ज्यादा से ज्यादा लोगों की इसमें भागीदारी हो. भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित इस प्रकरण से संबंधित सभी खबरों-आलेखों का जिस भी रूप में चाहें, आप इस्तेमाल कर सकते हैं.
5- अगर आप राजनीति में हैं तो इस प्रकरण से जुड़ी सभी सूचनाओं, खबरों, लेखों के प्रिंट निकालकर उसे उपर तक भेजें ताकि संसद से सड़क तक के नेताओं से इस मुद्दे पर सहयोग लिया जा सके, उन्हें यह मुद्दा उठाने, दोषियों को दंडित कराने को आगे आने के लिए प्रेरित किया जा सके.
6- अगर आप पुलिस व प्रशासन से जुड़े हैं और भ्रष्ट नहीं हैं, चोर नहीं हैं तो बेईमान नहीं है, और आपको लगता है कि इस मां के साथ वाकई अन्याय हुआ है तो स्वतः संज्ञान लेकर, अंतरआत्मा की आवाज पर इस मुद्दे पर फौरी कार्रवाई करने के लिए प्रयास शुरू कर करने की कोशिश करें.
7- आप आम नागरिक हैं, सामान्य नौकरीपेशा हैं, बिजनेसमैन-व्यापारी हैं तो आपसे चाहेंगे कि इस मुद्दे को चर्चा का विषय बनाएं. गाजीपुर जिले के पुलिस अधीक्षक, वाराणसी परिक्षेत्र के आईजी व डीआईजी, राज्य के डीजीपी से लेकर मायावती सरकार तक की भर्त्सना करें.
8- आप अगर मानवाधिकार आंदोलन, किसी सामाजिक संस्थान, किसी सोशल एनजीओ, आरटीआई के काम से जुड़े हैं तो इस मसले पर जो भी संभव हो सके, वह करें, शिकायत दर्ज कराएं, सवाल पूछें, उचित मंचों पर आवाज उठाएं.
9- और क्या तरीके हो सकते हैं, वह भी आप सुझाएं और इस पूरे प्रकरण को आगे बढ़ाने के लिए क्या क्या किया जा सकता है, इसके बारे में भी बताएं. लोकतंत्र में आस्था है, सो, इस लोकतंत्र के हर दरवाजे को खटखटा लिया जाना चाहिए. इंतजार करेंगे न्याय का, देर लगे तो लगे, पर हम लोग संघर्ष करते रहेंगे, अगर न्याय हुआ तो ठीक, नहीं हुआ तो रास्ते बहुत हैं.
10- आज विजयदशमी के दिन यह अभियान शुरू किया गया है. आप सभी के संगठित प्रयास, ताकत के बल पर मैं उम्मीद कर रहा हूं कि अगले साल की विजयदशमी से पहले ही इन रावणों की लंका में हम लोग आग लगा चुके होंगे.
यशवंत
एडिटर, भड़ास4मीडिया
माडरेटर, भड़ास ब्लाग
मेल : yashwant@bhadas4media.com
मोबाइल : +91 9999330099
written by abhai, October 18, 2010
written by Rukhsana Maqsood , October 18, 2010
how can we help you
written by विजय शंकर पाण्डेय, October 18, 2010
विजय शंकर
written by प्रभाकर, October 18, 2010
सस्नेह,
प्रभाकर
written by Dev Tripathi, October 18, 2010
उसमे से अगर एक माँ को न्याय मिल जाय तो धरती के इस बेटे को जनकम लेने का
उद्देश्य पूरा हो जायेगा
आपका,,,
देव!!!!
written by uttarakhand vichar, October 18, 2010
written by satya prakash "azad", October 18, 2010
written by Amit Luthra, October 18, 2010
Namashakar ,
yashwant ji jab sey apke mail meli hai maan udaas ho gaya hai , mai hindustan sey aur kuch bhe expect nahi kar sakta system sara ganda hai ,ministery toh khandani business ho gaya hai woh vapari hai humaray leye kaya karaay gaye , hummay apnay huq ke ladae khud ladhni padaye gae..... yashwant ji sab sey pehlay CM sey question kejey , agar woh sahi tara sey jawab nahi detta hai toh uskay estefay ke mang karey ........muh par keh dejey ga hum he ney tumay minister banaya hai agar humay ensaf nahi milay ga toh tumay minister baanay ka haq nahi ......
sath mai un police wallo par FIR kar do aur maan hani ka dava kar aur mental torcher ka .......
mujay etney ganday system key bav zood bhe Indian Law pa barosa hai
PM Aur President bhe Indian Law key upar nahi hai .....
bake mannay apane face book aur social site par update kar diya hai .....
Yashwant ji hum apkay sath hai
With Respect
Amit Luthra
+16179224662
written by vineet kumar, October 18, 2010
written by sakhi, October 18, 2010
आपकी माँ के साथ जो हुआ बहुत बुरा हुआ...और माँ के साथ अन्याय हो और बेटा चुप रहे ये उससे भी बुरा होगा..
मगर क्या आपकी माँ के साथ जो हुआ वो सिर्फ मायावती के मुख्यमंत्री होने के कारन हुआ है जो आप इस तरह अपने शीर्षक रख रहे है..मेरे ख्याल से आपने ऐसे शीर्षक लोगो को आकर्षित करने के लिए रखे है..या पना गुस्सा सिर्फ मायावती पर दिखाना चाह रहे है .
ये हाल तो पूरे देश का है. और आज से नहीं न जाने कब से ऐसा हो रहा है..
में नहीं जानती आपके बारे में जयादा कुछ....मगर हाँ इतना जरुर कहूँगी कि आपका हाला सही नहीं होगा ..क्यों कि आपको मानसिक कष्ट और आत्मिक कष्ट जो हुआ है इस घटना से .
पर इसके लिए सिर्फ मायावती को दोष न देकर सिस्टम को दोष देना वो भी पूरे देश के , जयादा सही है और उस व्यवस्था को सुधारने का प्रयास करने कि जरुरत है..
यहाँ मायावती जी है देल्ही में शीला जी है. इन दोनों जगह के अलावा भी हर जगह ऐसा वाकया होता है..जिन प्रदेशो में कोई और मुख्यमंती है .
सरकार कोई भी हो मुख्यमंती कोई भी हो..ये दुखद घटनाये बहुत समय से हो रही है ..बस फर्क इतना है कि जब खुद पर बात आये तब जाकर इंसान का खून खोलता है और तब जाकर ही वो कुछ सोचता है दिल से.
वरना अपने कभी कुछ इस तरह कि घटना पर करने का सोचा होगा..
अब सोचा है अच्छा किया..मैं आपके साथ हूँ..मगर यही गुजारिश है कि किसी वक्ती विशेष पर टिप्पणी न कर इस व्यवस्था को बदलने कि बात करे इस देश को समाज को सुधरने कि बात करे.
इसी से सर्वजन का भला होगा
written by Abhishek Anand, October 18, 2010
http://www.facebook.com/abhishek.letters
written by joseph, October 18, 2010
written by shyamal kumar tripathi, October 17, 2010
written by aapkiawaz.com, October 17, 2010
जय यश
जय यशवंत
यसवंत जी
ReplyDeleteमाँ , माँ होती है , उसके दुखों को सारा जग महसूस करता है...मुझे भी अपार दुःख और छोभ है
हम आपके साथ हैं..
इस समय मै आपसे यही कह सकता हूँ की ............
नक्कारखाने में तूती की आवाज भले दब कर रह जाती हो,
भीड़ के शोर में लूटे-पिटे लोगों की चीख न सुनी जाती हो ।
रात के अँधेरे में कुछ काले साये नजर बचाकर निकल जाते हों,
झूंठ को बचाने की जद्दोजहद में सच को भले लोग भूल जाते हों।
परोपकार का मुलम्मा लगाकर स्वार्थी अपना भला करते जाते हों,
बेंचकर अस्मिता देश की नित नेता अपनी राजनीत चमकाते हो।
साधुवों के भेष में चोर-डाकू लम्पट छुप जाते हों,
बेचने को ईमान अपना लोग बाजार सजाते हों।
फिर भी कभी महत्व तूती का नहीं मिट जाता है,
ना ही सच की जगह, झूंठ दूर तक चल पाता है।
लगे भले ही देर मगर इन्साफ मिल ही जाता है,
अंत में! सुखद अंत देर से ही सही पर आता है......।।
विवेक मिश्र 'अनंत'