31.12.10

अंत के बाद शुरुआत से उम्मीद


जनता की कमर तोड़ महगाई के साथ कदम रख लोगों के बिच प्रवेश करने वाले जा रहे बीते वर्ष से शायद सबकी सिर्फ यही उम्मीद थी की इस वर्ष महगाई जैसी बीमारी से लोगों को कुछ राहत जरुर मिलेगी क्योंकि वर्ष २००९ ने जनता को महगाई के आग में बहुत जलाया था लेकिन आग बुझने की आस लगाये बैठी जनता ने अपना एक और वर्ष २०१० के रूप में बिता डाला जिसमे एक तरफ अंत तक राहत के नाम पर सिर्फ महगाई रूपी जहर को पीते-पीते दामो में बढ़ोत्तरी ही देखने को मिली वहीँ दूसरी तरफ पुरे साल ख़ुशी और देश के विकास में टकटकी लगायी आँखों को अंत में महा घोटालों का तोहफा मिला,अब ऐसे में जब अंत ऐसा तो शुरुआत कैसी होगी पता नहीं बस अंत के बाद शुरुआत से उम्मीद ही लगायी जा सकती है!
कहते है जो बच्चो को शिखाया जायेगा वही भविष्य होगा ठीक उसी प्रकार जैसा रास्ता बनेगा वैसा ही भविष्य में रिसल्ट देखने को मिलेगा और फिर इसका प्रमाण अभी देखने को भी मिला जिसमे पुरे वर्ष महगाईं से जूझता २००९ ने बीते वर्ष २०१० को भी पुरे साल देश को महगाई के हिचकोले खिलाता रहा जिसमे एक तरफ पुरे साल जनता बढ़ते दामो से त्रस्त रही वही दूसरी तरफ राजनितिक पार्टियों को भी इस महगाई ने पुरे शाल सिर्फ अपने ही इर्द्द गिर्द रखा,ठीक इसी क्रम में जहाँ एक तरफ जनता और देश को जोर का झटका जोर से देने वाले घोटालो के बिच वर्ष के अंत में प्याज ने काटने के बजाय खरीदते समय ही रोने पर मजबूर कर दिया वही दूसरी तरफ पुरे वर्ष सिर्फ भ्रस्टाचार का ही बोल बल रहा!
बीते वर्ष २०१० ने देश व देश की जनता को कामयाबी के कुछ शुखद पल जरुर दिए जिसको हर हाल में नहीं भुलाया जा सकता और शायद जो कभी भूल भी नहीं सकता क्योंकि वो हमेशा के लिए इतिहास के पन्नो पर सुनहरे अछरों से लिखा जा चूका है जैसे जहाँ एक तरफ पिछड़े राज्य के नाम से चर्चित बिहार को बदल माडल रूप देने वाली बिहार में नितीश सरकार की दुबारा से जोरदार ताजपोशी जिसमे जनता ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए स्पस्ट रूप से सबसे कह दिया की उसे राजनीती करने वाले नहीं बल्कि विकास करने वाले मालिक चाहिए वहीँ दूसरी तरफ एक दिविसीय क्रिकेट में दोहरा शतक बना इतिहास रचने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने इसी वर्ष टेस्ट क्रिकेट में जबरदस्त उपलब्धि हासिल करते हुए शतकों का अर्ध शतक बना देश का सम्मान बढाया,ठीक इसी प्रकार अनेकों उपलब्धियों के साथ साथ एक और उपलब्धि हासिल करते हुए कामन वेल्थ खेलों को संपन्न करा पुरे विश्व में एक अलग पहचान अर्जित करना! जैसे शुखद पलों को वर्ष २०१० ने देश को दिया जिसमे भारत की अलग ही तस्बीर नजर आती है!
अब तो जहाँ एक तरफ महगाई और घोटालो का वर्ष २०१० सबको बिदाई कहने को तैयार है वहीँ दुसरे तरफ नए वर्ष के रूप में २०११ हम सब के बिच दस्तक देने को आतुर है जो अब से कुछ ही घंटों के अन्दर अपने में सबको तब्दील कर देगा लेकिन एक बार फिर इस देश में जीवन यापन करने वाली भोली भली जनता को अपने नए आगंतुक से शायद यही उम्मीद है की शायद ये वर्ष भ्रस्टाचार और महगाई से कुछ राहत दिला पाए! कुछ वर्षों से तोहफों के रूप में चली आ रही महगाई को यह नव आगन्तुक वर्ष कितना अपने बस में कर सकता है यह देखने योग्य होगा जिसका अंदाजा लगाना इतना आसन नहीं,हाँ एक नए वर्ष में कदम रख उम्मीद की किरण जरुर जगाई जा सकती है की इस वर्ष जनता को महगाई से कुछ राहत जरुर मिले!
आप सब को नए वर्ष २०११ की हार्दिक सुभकामनाओं सहित

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