27.12.10

बस तू मेरे साथ रह ऐ मेरे हमसफ़र

सहमी सी निगाहों में ख्वाब हम जगा देंगे 
सूनी सी राहों में फूल हम बिछा देंगे 
हमारे संग मुस्कराकर तो देखिये 
हम आपका हर गम भुला देंगे
हर कोई दे नहीं सकता हर किसी का साथ
मगर आपका साथ हम मरते दम तक देंगे
आपकी आँखों में मैंने देखी है जो मासूमियत
उसे बरकरार रखने के लिए हम कुछ भी कर देंगे
बस तू मेरे साथ रह ऐ मेरे हमसफ़र
तेरा साथ है तो हम दुनिया से टकरा लेंगे.
अगर तू मुझसे रूठ भी गई वो मेरे सनम
हम तुझको हर हाल में मना लेंगे
तू साथ है तो सारा जहा है मेरा
तू ही है मेरा और कुछ नहीं इस दुनिया में
ऐ सनम तुझसे बिछड़ते ही हम इस दुनिया से कूंच कर देंगे.

3 comments: