30.1.11

नो वन किल्ड महात्मा गांधी?

(उपदेश सक्सेना)
यह शायद बड़ा संयोग है कि यह मेरी 150 वीं पोस्ट है और आज ही महात्मा गाँधी को राष्ट्र आज उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दे रहा है. गांधी की चौक-चौराहों पर लगी प्रतिमाओं पर जी भरकर श्रद्धासुमन अर्पित किये जा रहे हैं, देश गांधी मय हो गया है, मगर उनका क्या जो अब गांधी का चित्र केवल करारी करेंसी में ही देखने के आदी हो चुके हैं. यह कितनी बड़ी विडम्बना है कि जिस गांधी ने देश की आज़ादी के लिए अपने शरीर के सारे वस्त्रों का त्याग कर महज़ एक लंगोटी को अपनाया, जिनकी सच्चाई की कसमें खाईं जाती हों उसी बापू के चित्र वाले नोटों ने आज आदमियत खत्म कर दी है, यही नोट आदमी के गरीबी की रेखा के ऊपर-नीचे होने की सीमाएं तय करते हैं. आज़ादी का सबसे ज़्यादा सुख भोग रहे नेता भी अब गांधी को नोटों में छपा देखकर ही खुश होते हैं. ..........शर्म करें आज के दिन.....आखिर कितनी बार गांधी की ह्त्या करेंगे? पूरी पोस्ट देखें- http://aidichoti.blogspot.com/

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