प्रणव ज्योति अति पूज्य शारदे ,
शुभ्र वसन मणिमय रचिते ।
वीणा धारिणी हे तम हारिणी !
अमिय उषा अम्बर खचिते ॥
कर पुस्तक धर हंस वाहिनी
नीर-क्षीर गत ज्ञान दायिनी ,
जग उद्भासिनि मातु सरस्वती ,
सम्मत सर्व ,विमल मति दे ।।
प्रणव ज्योति अति पूज्य शारदे ......... ॥
कर पुस्तक धर हंस वाहिनी
ReplyDeleteनीर-क्षीर गत ज्ञान दायिनी ,
..Maa sarswati kee kripa sab par bane rahe.. aabhar
dhanyawaad! kavitaji.
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeletedhanywaad, anaji !
ReplyDelete--- चुटकी---
ReplyDeleteमंदिर हमने
बना दिए
श्रद्धालुओं की
लगी कतार ,
खाली झोली
लौट गए सब
मंदिर हुए व्यापार।