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8.2.11

राग वसंत में सरस्वती वंदना

प्रणव ज्योति अति पूज्य शारदे ,
शुभ्र वसन मणिमय रचिते ।
वीणा धारिणी हे तम हारिणी !
अमिय उषा अम्बर खचिते ॥

कर पुस्तक धर हंस वाहिनी
नीर-क्षीर गत ज्ञान दायिनी ,
जग उद्भासिनि मातु सरस्वती ,
सम्मत सर्व ,विमल मति दे ।।
प्रणव ज्योति अति पूज्य शारदे ......... ॥

5 comments:

कविता रावत said...

कर पुस्तक धर हंस वाहिनी
नीर-क्षीर गत ज्ञान दायिनी ,
..Maa sarswati kee kripa sab par bane rahe.. aabhar

Dr Om Prakash Pandey said...

dhanyawaad! kavitaji.

Anamikaghatak said...

bahut sundar

Dr Om Prakash Pandey said...

dhanywaad, anaji !

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

--- चुटकी---

मंदिर हमने
बना दिए
श्रद्धालुओं की
लगी कतार ,
खाली झोली
लौट गए सब
मंदिर हुए व्यापार।