24.3.11

बोल मेरी दिल्ली बोल-ब्रज की दुनिया

delhiबोल मेरी दिल्ली बोल,
मोल तोल के बोल;
गांवों में है घुप्प अँधेरा,
तेरे घर में अखंड रोशनी;
बोल मेरी दिल्ली बोल;
गांवों में है सूखा पड़ रहा,
तेरी सड़कों पर पानी बह रहा;
बोल मेरी दिल्ली बोल;
सज-धज के तू बनी है रानी
कहाँ से आया बिजली-पानी;
बोल मेरी दिल्ली बोल;
मोल तोल के बोल.

कदम-कदम पे उडती सड़कें,
चिकनी-चुपड़ी खिलती सड़कें;
बोल मेरी दिल्ली बोल;
अपने भाग्य पर इठलाती सड़कें,
मंत्रालयों को जाती सड़कें;
बोल मेरी दिल्ली बोल;
कहाँ से आया इतना पैसा,
बेशर्म नहीं कोई तेरे जैसा;
बोल मेरी दिल्ली बोल;
मोल तोल के बोल.

तू दूसरों का हक़ खानेवाली,
फिर क्यों न रोज मने दिवाली;
बोल मेरी दिल्ली बोल;
तेरे घर में रोज घोटाला;
तेरा मुखिया (मनमोहन सिंह) बेईमानों की खाला,
बोल मेरी दिल्ली बोल;
कब आयेंगे तेरे होश ठिकाने,
पूरा देश जब लगेगा गाने;
लालगढ़ के लाल तराने;
बोल मेरी दिल्ली बोल;
मोल तोल के बोल.

1 comment:

  1. डा.मनोज रस्तोगी,मुरादाबाद25/3/11 2:37 AM

    बेहतरीन रचना । बहुत बहुत बधाई ।
    rastogi.jagranjunction.com

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