भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
17.4.11
कुंवर प्रीतम का नया मुक्तक
घाट घाट पर जाकर पानी, हमने खूब पिया अब तक
गम, दुश्वारी और उदासी, जीवन खूब जिया अब तक
चलते-चलते पगडण्डी पर, सांझ हो गयी जीवन की
जिसको मान सकूँ अपना वो मिला नहीं पिया अब तक
कुंवर प्रीतम
कोलकाता
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