सत्यप्रकाश पाण्डेय |
बिल्कुल,बाबा रामदेव को अपनी सारी संपत्ति और ट्रस्ट का लेखा-जोखा सार्वजनिक कर देना चाहिए...लेकिन ये तब संभव होगा जब बाबा सफ़ेद और काले धन में अंतर स्पष्ट कर देंगे...मतलब बाबा पहले ये साफ़ कर दे की ट्रस्ट में दान के रूप में आने वाली हजारो-करोडो की राशि कौन से धन{काला-सफ़ेद}में शामिल है..? बाबा ने राजनेताओ पर निशाना साधा तो भला दिग्गी जैसे चालाक राजनीतिज्ञ का खामोश रहना शायद संभव नही था...तभी तो दिग्गी बाबू ने योग गुरु से पूछ ही लिया कि बाबा जी आपके पास तो साईकिल का पंचर बनाने राशि नही थी तो भला १० साल में ऐसा कौन सा जादू हो गया कि आप ११०० करोड़ के मालिक बन बैठे...? जवाब में बाबा जो भी कहें लेकिन ये तय हो गया है कि बाबा की राजनीति में आने की लालसा उनके कपडे कम करती चली जाएगी...
मुझे आज भी याद है अविभाजित मध्यप्रदेश के ज़माने में छत्तीसगढ़ के संत पवन दीवान का काफी नाम हुआ करता था...मै उस वक्त स्कूल में पढ़ता था,पापा और उनके परचितो से संत पवन दीवान की कभी कभार चर्चा कानो में सुने दे जाया करती थी,आज जब मै जानने समझने लायक हुआ तो उन्ही पवन दीवान का नाम दूर-दूर तक कानो में नही सुनाई पड़ता...वजह सिर्फ राजनीति लालसा...मुझे लगता है बाबा की हालत भी कुछ वैसी ही होने वाली है हालाँकि अभी ना तो बाबा ने किसी राजनैतिक पार्टी का एलान किया है ना किसी राष्ट्रीय पार्टी को खुलकर समर्थन देने की घोषणा...परिस्थितिया उन दिनों क्या होंगी जब योग गुरु राजनीति के दलदल में खुले तौर पर छलांग लगा देंगे,क्योंकि इस मुल्क के आवाम ने कई साधू-महात्माओ के कपडे फटते और उतरते देखे है...ऐसे में कांग्रेस महासचिव का योग गुरु के खिलाफ इतना सख्त बयान सही मायने में बाबा जी को वक्त बिगड़ने से पहले की चेतावनी है....
वैसे भी योग गुरु के योग की जरुरत खाए-पीये अघाए लोगो को है...जो इस देश का श्रम वीर है उसे आज भी योग की जरुरत नही है...गरीब और मेहनतकश को करेले,लौकी के जूस की जरुरत नही है....बाबा जी ये भूल गए है की सड़क की लड़ाई या यूँ कहूँ की सड़क पर पसीना मेहनतकश लोग बहाते है ऐसे में बाबा के साथ समर्थको का संकट आने वाले दिनों में जरुर नजर आएगा ..खैर बाबा जी ने पिछले १० बरस में आर्थिक सम्पन्त्ता और सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल करने के बाद राजनीतिक सम्मान पाने का खवाब संजो रखा है...देखते है बाबा को आने वाला वक्त कितना सम्मान और यश दिलाता है....
शायद एक मोटा अंतर लोग नहीं जानते की योगी और संत में एक अंतर होता है. बाबा रामदेव योगी है कोई संत नहीं. योगी का आत्मविश्वास तोडना टट्टू टाइप के नेताओ के बसकी नहीं है. श्री कृष्ण एक योगी थे संत नहीं और इसी योग माया से महाभारत का इतना बड़ा युद्ध सफलतापूर्वक न केवल संचालित किया बल्कि कोरोवो को हरवा कर ही दम लिया. सभी पत्रकार मोहद्यो को मेरा विनम्र निवदन है बाबा रामदेव के बारे में लिखने से पहेले कुछ समय हिमालये की तराई में या काशी में समय बीताये. काले, कालवे और कल्लू धन के मालिक भ्रष्ट नेता अपने अपाहिज बच्चो पर इस धन को खर्च करेंगे, तो करो भाई करो. परन्तु राम देव के लड़ाई बहुत से लोगो को बड़ी भरी पड़ने वाली है. इस बात को नोट करले.
ReplyDeleteTyagi
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