18.5.11

Political Dairy of Seoni Disst. of M.P.


शशि और हरवंश सिंह के बजाय हालोन बान्ध की स्वीकृति का असली श्रेय परिसीमन अयोग को जाता है 
जिले के धनोरा विकास क्षेत्र में लम्बे समय से पेंड़िग पड़ी हॉलोन जलाशय योजना पर अब श्रेय लेने की होड़ लग गई हैं। सबसे पहले भाजपा विधायक शशि ठाकुर का आभार मानने की विज्ञप्ति अखबारों में प्रकाशित हुयी और अब ब्लाक कांग्रेस धनोरा ने विज्ञप्ति जारी कर विधानसभा उपाध्यक्ष एवं केवलारी के विधायक हरवंश सिंह और सांसद बसोरी सिंह का आभार मानने वाली विज्ञप्ति छपी। मोगी उत्सव में आये मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह का दौरा इस बार विवादित रहा। गौगपा और मीडिया ने उन्हेेंं आरोप लगाकर कठघरे में खड़ा कर दिया हैं।जिले को ना तो मन्त्री तथा ना ही कोई बड़ी सौगात देने के बावजूद भी जब 2008 के चुनाव में भाजपा जिले में 4 में से तीन सीटें जीत गईं तो भला वहां कुछ करने या देने का क्या मतलब हैंर्षोर्षो लेकिन यदि शिव की नगरी के साथ ऐसा ही खिलवाड़ होता रहा तो तो सकता है कि इस बार शिव का तीसरा नेत्र खुल जाये और भाजपा जिले में भस्म होकर रह जाये। क्षेत्रीय आवश्यक्ता को देखते हुये इस साल वहां स्वामी नारायणानन्द जी को आमन्त्रित किया गया था। लेकिन उसी दिन शंकराचार्य के सिवनी में रहने के कारण खुद हरवंश ही वैनगंगा महोत्सव में शामिल नहीं हुये। युवा इंका के चुनावों के बाद अखबारों में जारी किये गये विज्ञापनों के माध्यम से भी शायद राजनीति ही खेली गई।  अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को मिले वोटों के इस फर्क को क्या माना जायेर्षोर्षो इसे लेकर राजनैतिक विश्लेषकों में अलग अलग मत हैं।
हॉलोन बान्ध का असली श्रेय परिसीमन आयोग को -जिले के धनोरा विकास क्षेत्र में लम्बे समय से पेंड़िग पड़ी हॉलोन जलाशय योजना पर अब श्रेय लेने की होड़ लग गई हैं। सबसे पहले भाजपा विधायक शशि ठाकुर का आभार मानने की विज्ञप्ति अखबारों में प्रकाशित हुयी और अब ब्लाक कांग्रेस धनोरा ने विज्ञप्ति जारी कर विधानसभा उपाध्यक्ष एवं केवलारी के विधायक हरवंश सिंह और सांसद बसोरी सिंह का आभार मानने वाली विज्ञप्ति छपी। वास्तव में यदि देखा जाये तो इस बान्ध की स्वीकृति के लिये असली आभार तो परिसीमन आयोग का मानना चाहिये। जिसने घंसौर विस क्षेत्र समाप्त कर केवलारी क्षेत्र को सामान्य कर धनोरा ब्लाक के एक हिस्से को केवलारी और दूसरे हिस्से को लखनादौन विस क्षेत्र में शामिल  किया। लगभग 40 करोड़ की इस योजना की लम्बे समय से मांग चल रही थी। भाजपा विधायक शशि ठाकुर और इंका विधायक हरवंश सिंह दोनो ही धनोरा ब्लाक का पहली बार प्रतिनिधित्व कर रहें हैं। भाजपा विधायक होने के नाते उनके समर्थकों ने अपनी सरकार की उपलब्धि पर जब श्रेय लेने की  मोहर लगा दी तो फिर इस खेल में माहिर हरवंश सिंह भला कैसे पीछे रह सकते हैं। उन्होंने मीडिया को पूरी लिखा पढ़ी के दस्तावेजों के साथ कांग्रेस की विज्ञपित भिजवा दी आर श्रेय लेने की कोशश की हैं। कांग्रेस की विज्ञप्ति में इस बात का भी उल्लेख किया गया हें कि जब वे इस क्षेत्र के विधायक भी नहीं थे तब भी उन्होंने 2007 में दस हजार लोंगों साथ इस बान्ध के लिये आन्दोलन किया था। इसका अर्थ यह है कि वे बिना स्वार्थ के भी जिले के विकास के लिये समर्पित रहतें हैं। लेकिन यह दावा अत्यन्त हास्यासपद हैं। यदि ऐसा होता तो प्रदेश सरकार में दससाल तक मन्त्री रहते उन्होंने हॉलोन बान्ध की सुध क्यों नहीं ली थीर्षोर्षो तब वे अपने क्षेत्र की पेंच परियोजना का लाली पाप दिखा कर चुनाव जीतने की जुगत जमाते रहते थे जो कि आज तक किसानों के खेत में पानी नहीं दे पायी हैं और वे उस इलाके से चार चुनाव जीत थे। परिसीमन में जब धनोरा क्षेत्र का एक हिस्सा केवलारी क्षेत्र में जुड़वाने में सफल हो गये तब उसके बाद ही उन्हें हॉलोन बान्ध की सुध आयी और उसे सहारा बना का चुनाव जीतने की जुग त उन्होंने जमाना प्रारम्भ कर दिया था। अब देखना यह हैं पेंच के समान हॉलोन बान्ध भी उन्हें तीन चार चुनाव जिताता हैं या फिर अगली बार ही दगा दे देता हैं।
तीसरा नेत्र खुला तो जिले में भस्म हो जायेगी भाजपा  -मोगली उत्सव में शामिल होने आये मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान का यह दौरा विवादों में रहा। पहले तो गौगपा ने उन्हें कठघरे में खड़ा करते हुये यह आरोप लगा दिया कि भाजपा विधायक एवं प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष नीता पटेरिया की पुत्री और नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के अनुज के 11 मई को होने वाले विवाह समारोह में आने के लिये कार्यक्रम की तारीख आगे बढ़ायी गई और प्रदेश भर के छोटे बच्चों को भरी गर्मी में परेशान किया गया। इस बार मीडिया ने भी उनकी घोषणायें पूरी ना होने के कारण कठघरे में खड़ा किया    और यह लिखा कि शिव की नगरी सिवनी शिव के राज में ठगी सी रह गई। इनमें शिवराज द्वारा अपने पिछले प्रवासों में की गई लगभग सभी घोषणाओं का जिक्र किया गया था। लेकिप प्रदेश भर में घोषणावीर मुख्यमन्त्री के नाम से ख्याति अर्जित कर चुके शिवराज ने इसके बाद भी घोषणा करने से कोई परहेज नहीं किया और टुरिया में अगले सत्र से हायर सेकेन्डरी स्कूल चालू करने की घोषणा कर डाली। वैसे भी शिवराज ऐसे पहले मुख्यमन्त्री हैं जिन्होंने सत्ता पक्ष के तीन तीन विधायक होने के बाद भी जिले से किसी को मन्त्री नहीं बनाया वरना आजादी के बाद से कभी ऐसा नहीं हुआ था कि सत्ता पक्ष के विधायक रहते हुये जिला मन्त्री विहीन रहा हो। अपने पहले कार्यकाल जिले को ना तो मन्त्री तथा ना ही कोई बड़ी सौगात देने के बावजूद भी जब 2008 के चुनाव में भाजपा जिले में 4 में से तीन सीटें जीत गईं तो भला वहां कुछ करने या देने का क्या मतलब हैंर्षोर्षो वैसे भी जिले में भाजपा का यह आलम है कि जितने नेता हैं उतने ही गुट हैं। गुटबाजी का राजरोग गली चौराहों और पान के ठेलों और चाय की होटलों तक खुल आम देखा जा सकता हैं। लेकिन यदि शिव की नगरी के साथ ऐसा ही खिलवाड़ होता रहा तो सकता है कि इस बार शिव का तीसरा नेत्र खुल जाये और भाजपा जिले में भस्म होकर रह जाये। 
वैनगंगा महोत्सव में क्यों नहीं शामिल हुये हरवंश?  -तामझाम से पिछले चुनाव के पहले वैनगंगा महोत्सव की शुरूआत इंका विधायक हरवंश सिंह ने जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी की उपस्थिति में करायी थी। वैसे तो चुनाव जीतने के बाद यह कार्यक्रम औपचारिक रूप से होता रहा हैं लेकिन अब 2013 में होने वाले चुनावों को देखते हुये इस साल इस वृहद रूप देने की योजना बनायी गई थी। क्षेत्रीय आवश्यक्ता को देखते हुये इस साल वहां स्वामी नारायणानन्द जी को आमन्त्रित किया गया था। यहां यह उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में स्वमी नारायणानन्द जी के भक्तों की संख्या अत्यमिधक हैं। जिस दिन इस उत्सव में विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को शामिल होना था उसी दिन जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी सरस्वती भी अपने पुराने शिष्य परिवार के सदस्य सञ्जय भारद्वाज के वन निर्मित मकान के गृह प्रवेश के अवसर पर सिवनी में ही थे। यदि हरवंश सिंह वैनगंगा महोत्सव में शामिल होते और जगतगुरू शंकराचार्य जी से नहीं मिलते तो विषम स्थिति बन जाती। इसलिये हरवंश सिंह ने उस दिन भोपाल में ही रहना उचित समझा ताकि धर्माचार्यों के आपसी विवाद से बचा जा सके। अभी चुनाव में दो साल बाद बाकी है। इसीलिये अन्त मे भी विशाल वैनगंगा महोत्सव आयोजित कर धर्म प्रमी जनता को लुभाया जा सकता हैं। 
क्या युवा इंका के विज्ञापनों में भी खेली गई राजनीति?-युवा इंका के चुनावों के बाद अखबारों में जारी किये गये विज्ञापनों के माध्यम से भी शायद राजनीति ही खेली गई। इन विज्ञापनों में सिवनी विस क्षेत्र के विजयी नेताओं को बधायी देते हुये हरवंश सिंह के साथ पूर्व इंका प्रत्याशी राजकुमार पप्पू खुराना के साथ ही युवा नेता राजा बघेल की फोटो तो प्रमुखता से छापी गई लेकिन पूर्व विधायक नेहा सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं के नाम ऐसे छापे गये मानो उन्हें बेइज्जत करना ही उद्देश्य रहा हो। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय हें कि पप्पू खुराना कमलनाथ समर्थक माने जाते हैं और जिले की राजनीति में उन्हें हरवंश सिंह विरोधी माना जाता हैं।  अखबारों में प्रकाशित इन समाचारों से यह सन्देश भी देने का प्रयास किया गया कि हरवंश - पप्पू खुराना ने मिल कर चुनाव लड़ा और जीता। वास्तविकता क्या हैर्षोर्षो यह तो चुनाव का नेजा सम्हाने वाले नेता ही जानते होंगें लेकिन चुनाव परिणाम तो ऐसा सन्देश दे रहें हैं कि या तो समझोता हुआ ही नहीं था या फिर वोटिंग में यह समझोता कायम नहीं रह पाया। उल्लेखनीय हैं कि सिवनी विस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शिव सनोड़िया को 51, उपाध्यक्ष शाहिद खॉन, जो पप्पू समर्थक थे, उन्हें मात्र 27, महामन्त्री द्वय आनन्द पञ्जवानी को 20 तथा आसिफ इकबाल को 18 को 18 वोट मिले थे। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को मिले वोटों के इस फर्क को क्या माना जायेर्षोर्षो इसे लेकर राजनैतिक विश्लेषकों में अलग अलग मत हैं।          


सप्ताह की सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक हलचल रही युवक कांग्रेस के चुनाव की। कांग्रेस के महासचिव और युवक कांग्रेस के प्रभारी राहुल गान्धी कांग्रेस से युवाओं को जोड़ने के लिये नये प्रयोग कर रहें हैं। इन प्रयोगों में से एक ये चुनाव भी हैं। देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त लिंगदोह के मार्ग दर्शन और देख रेख में ये चुनाव हो रहें हैं। मध्यप्रदेश में इन चुनावों का दूसरा चरण समाप्त हो गया हैें और अब तीसरे चरण में लोकसभा क्षेत्र एवं प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना हैं। इन चुनावों के माध्यम से राहुल गान्धी युवा इंका की कमान ऐसे नेतृत्व के हाथों में सौम्पना चाहते हैं जो कि ना केवल नया हो वरन उसका कांग्रेस का कोई बड़ा नेता Þकेअर आफÞ भी ना हो। जिमें के बालाघाट लोस में आने वाले सिवनी और बरघाट विस क्षेत्रों के अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों का चुनाव 3 मई को हो गया जिसमें सिवनी से शिव सनोड़िया और बरघाट से देवेन्द्र ठाकुर अध्यक्ष चुन लिये गये हैं।सिवनी से चुने गये शिव सनोड़िया का नाम कांग्रेस की छात्र और युवा राजनीति में नया नहीं हैं। वे पिछले कुछ सालों से जिला एन.एस.यू.आई. के अध्यक्ष पद कार्य कर रहें हैं और आज भी अध्यक्ष हैं। उनका कार्यकाल यदि प्रशंसनीय नहीं रहा तो निन्दनीय भी नहीं कहा जा सकता हैं। छात्र संघों के चुनावों के दौरान इनकी सक्रियता देखी जाती रही हैं। अब देखना यह हैं कि पिछले पांच चुनावों से जिन सिवनी और बरघाट क्षेत्रों से कांग्रेस चुनाव हारती चली आ रही हैं वहां राहुल गान्धी की मंशा के अनुसार ये दोनो युवा नेता पार्टी को कितनी मजबूती प्रदान करते हैं या जिले की पिछले पन्द्रह सालों से चली आ रही कांग्रेस की परम्परा के अनुसार गुटबाजी में व्यस्त रह कर कांग्रेस के बजाय नेता विशेष को मजबूत करतें हैं। 
चुनव हो तो हथकंड़े भी होंगं ही-जहां चुनाव हों वहां चुनावी हथकंड़े ना अपनाये जाये इसकी तो कल्पना ही नहीं करनी चाहिये। ऐसा ही सब कुछ युवक कांग्रेस के चुनावों में भी हुआ। राहुल गान्धी चाहते थे कि इन चुनावों के जरिये हर विधान सभा की प्रत्येंक ग्राम पंचायत और हर वार्ड में युवा इंका की निर्वाचित इकाई हो। लेकिन ऐसा नही हो पाया। चुनाव होने के लिये जितनी इकाइयां आवश्यक थी उतनी इकाइयां बनायीं गईं और शेष को छोड़ दिया गया। उदाहरण के लिये सिवनी विधानसभा क्षेत्र में शहर के सभी वाडोZं के अलावा मात्र चालीस पंचायतों में ही इकाइयों का गठन किया गया जबकि इस क्षेत्र में सौ से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। रहा सवाल चुनावी हथकंड़ों के अपनाने का तो इसके बारे में तो अध्यक्ष पद एक प्रत्याशी आसिफ इकबाल ने बाकायदा विज्ञप्ति जारी कर इसका खुलासा किया हैं। वैसे तो चुनावों में ऐसा ही रहता हैं कि जो जीता वही सिकन्दर कहलाता है। लेकिन इन चुनावों में हार का गम कम करने की व्यवस्था की गई है। जिन पांच पदाधिकारियों को चुना था उसमें नियमानुसार सबसे अधिक मत पाने वाना अध्यक्ष उससे कम वोट पाने वाला उपाध्यक्ष और फिर उनसे कम मत पाने वाले तीन प्रत्याशी महामन्त्री चुने गये हैं।
भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नही रह गया है भाजपा के लिये -अत्याचार ना भ्रटाचार हम देंगें अच्छी सरकार के नारे पर भाजपा ने प्रदेश की सरकार पर आज से सात साल पहले अपना कब्जा किया था। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा कितनी गम्भीर हैं ये प्रदेश की जनता बखूबी देख चुकी है। आज लगभग एक दर्जन मन्त्री लोकायुक्त की जांच में के दायरे में हैं। जो जहां चुनकर आया उसमें से अधिकांश भाजपा नेता भ्रष्टाचार के एक सूत्री कार्यक्रम को लेकर चलना अपना ही सब कुछ समझने लगे हैं। भ्रष्टाचार के प्रमाणिक मामलों में भी अपने कार्यकत्ताZओं को बचाव करना भाजपा नेता अपना कत्तZव्य मानते हैं। पिछले दिनो भाजपा की प्रदेश सरकार ने ही सिवनी नगर पालिका की तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती पार्वती जंघेला को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाते हुये उनसे ना केवल तीन लाख रुपये की वसूली के आदेश दिये हैं वरन पांच साल के लिये चुनाव लड़ने के लिये भी अयोग्य घाषित कर दिया हैं। पार्वती जंघेला जिला महिला मोर्चे की अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने महंगायी और केन्द्र शासन के तमाम घोटालों और गलत नीतियों के खिलाफ आन्दोलन किया। मीडिया में इस बात को लेकर कमेण्ट भी किये गये लेकिन भाजपा नेतृत्व पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उनके ही नेतृत्व में जिले के तमाम वरिष्ठ नेताओं पैदल मार्च भी किया। और और उनके बचाव भी यह कहा गया कि अभी उनके लिये आदालत के दरवाजे खुले हुये हें और हो सकता है कि वे वहां से निर्दोष साबित हो जायें। उनके बचाव में कही गई यह बात भाजपा चाल चरित्र और चेहरे के दावे को बेनकाब कर देता हें और इससे यह भी साबित होता  है कि भाजपा का यह मानना हैं कि अपना यदि कोई करे तो शिष्टाचार हो और दूसरा कोई करे तो भ्रष्टाचार। जिले में यदि संगठन के प्रमुख पदों पर भी यदि भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाणित होने वाले नेताओं को पद बनाये रखा जायेगा तो प्रदेश में भाजपा की सरकार रहते जिले में भ्रष्टाचार समाप्त होने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
मोगली उत्सव पर सवाल खड़े कर गौगपा ने भाजपा को कठघरे में किया खड़ा- गोंड़वाना गणतन्त्र पार्टी ने मोगली उत्सव पर सवाल उठाते हुये भाजपा और प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया हैं। पहले तो एक विज्ञप्ति जारी कर प्रशासन द्वारा प्रेस के प्रवेश निषेघ किये जाने की आलोचना की गई थी। फिर एक अन्य विज्ञप्ति में यह सवाल उठाया गया था कि विधायक श्रीमती नीता पटेरिया और नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के यहां विवाह समारोह में आने के लिये मुख्यमन्त्री और अन्य भाजपा नेताओं के कारण भीषण गर्मी में बच्चों को परेशान किया गया और उसकी तारीख 9 से 11 मई रखी गया है। उल्लेखनीय है कि दोनों ही विवाह समारोह 11 मई को होने वाले हैं। वैसे भी इस बार मोगली महोत्सव प्रारम्भ से ही विवादों में घिर गया था। प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह घोषणा की थी हर साल मोगली उत्सव पेंच नेशनल पार्क में मनाया जायेगा। लेकिन इस साल सरकार ने इस उत्सव को पन्ना नेशनल पार्क में मनाने का फैसला कर लिया था। वैसे भी शिव की नगरी सिवनी को शिवराज ने कुछ दिया तो नहीं लेकिन छिन बहुत कुछ गया था। इसर तर्ज पर इस बार मोगली उत्सव भी छिन रहा था। लेकिन बाद में फिर स्थान परिवर्तित कर पेंच नेशनल पार्क तो कर दिया गया लेकिन आयोजन की तिथि बझ़ा कर एक नये विवाद को पैदा कर दिया हें। लेकिन आजकल तो राजनेताओं की यह प्रवृत्ति हो गई हैं कि कोई कुछ बोलता रहे     हमें जो करना हैं वह हम करते रहेंगें भले ही वह गलत ही क्यों ना हो।          

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