4.6.11

बाबा रामदेव योगी या हठयोगी ?

श्री रामकृष्ण यादव (?) या बाबा रामदेवजी यद्यपि औपचारिक रूप से मात्र आठवीं कक्षा तक ही शिक्षित हैं , वास्तव में उन्होंने प्रचुर ज्ञान हासिल कर लिया होगा , अन्यथा विज्ञों में इतनी पकड़ आसान बात नहींवे अच्छी तरह से यह जानते हैं कि जो कुछ वे प्रचारित कर रहे हैं वह योग का एक अल्प महत्वपूर्ण पहलू है : योगासनपर यह योग साधना का एक सार्थक सहयोगी अवश्य हैऔर , यह भी नहीं भूलना है कि जिन लोगों ने बाबा का आश्रय लिया है उनमें शायद ही कोई योगी होअगर उनके अनुयायी कुछ चाहते हैं तो वह है 'शारीरिक स्वास्थ्य '।




शरीर मात्र के लिए किया गया प्रयत्न विवेक सम्पन्न नहीं बना सकतागोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है ,


'सेवहीं राम सीय रघुवीरही । जिमी अविवेकी पुरुष शरीरही ॥'


रघुवंश में राजा दिलीप भी कहते हैं ,


'पिंडेषु अनास्था खलु भौतिके षु ॥ '.५७ रघुवंश


अतः योग को लोगों ने सफल चिकित्सा के रूप में लिया और बाबा को एक करिश्माई चिकित्सक के रूप में


लोगों ने योगासन को अपनाया जिसे हठयोग भी कहते हैं


पर वैदिक मूल के आस्तिक दर्शन पतंजलि-प्रणीत योग के अंग हठयोग में भी अध्यात्मिक उन्नत्ति के मार्ग खुलते हैंअतः योगासन करनेवाले में , उसके बिना चाहे भी , कुछ नैतिक उत्थान होता ही है


अब यह कैसे होता है ?


किसी विशेष मानसिक स्थिति में कोई विशेष शारीरिक मुद्रा बनती हैअगर वैसी मुद्रा बना ली जाय तो वह उससे जुडी मानसिक स्थिति को प्राप्त करने में सहायक हो जाती है ; जैसे , बालासन या शवासन में लेते रहने


पर नींद का जाना अथवा गहरी साँसों के साथ ध्यानस्थ होने पर मन का शांत हो जाना



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