31.7.11

फेसबुकी संसार में यारो, बनते मीत हजार हैं


फेसबुकी संसार में यारो, बनते मीत हजार हैं
परिचित,भूले-बिसरे मित्रों का ये गजब संसार है
लेकिन बात हकीकत की इक, पूछ रहा है दोस्त कुंवर
कितने साथ निभाएंगे, जब फंसेगा कोई बीच भंवर
कलियुग का है दौर, यहां पर रिश्ता कौन निभाता है
मतलब का है नेह यहां और मतलब का ही नाता है
प्रेम की भाषा लिखने वाले,फेसबुकियों की चाल में
नामसझी में हलो किया तो समझो फंस गए जाल में
हालांकि सब नहीं है फर्जी, फिर भी सुन लो सीख मेरी
सावधान गर नहीं रहे तो,कल निकलेगी चीख तेरी
कुंवर प्रीतम

गीत: आज भी रोये वन में -nazrul giti

गीत: आज भी रोये वन में -nazrul giti:आज भी रोये वन में कोयलिया
चंपा कुञ्ज में आज गुंजन करे भ्रमरा -कुहके पापिया
प्रेम-कुञ्ज भी सूखा हाय!
प्राण -प्रदीप मेरे निहारो हाय!
कहीं बुझ न जाय विरही आओ लौट कर हाय!
तुम्हारा पथ निहारूं हे प्रिय निशिदिन
माला का फूल हुआ धुल में मलिन
जनम मेरा विफल हुआ

राग-हमीर
ताल-त्रिताल

समाचार '' भारतीय नारी'' से सम्बंधित


समाचार '' भारतीय नारी'' से सम्बंधित

* पहला समाचार चिंतनीय है .संयुक्त राष्ट्र  ने भी वृन्दावन में बसी १५,००० विधवाओं की स्थिति पर चिंता  व्यक्त की है .मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा व् बिहार से किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् वृन्दावन में लाकर छोड़ी गयी इन  महिलाओं  की  स्थिति
नारकीय है .इनको यहाँ इस उद्देश्य se   छोड़ दिया जाता है की ये शेष  जीवन भजन-कीर्तन कर बीता देंगी किन्तु भोजन,आवास व् अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के अभाव  में ये भीख मांगती नज़र आती हैं .सर्वप्रथम तो इनके परिवारीजनों को धिक्कार है जो विधवा माँ अथवा सम्बन्धी की जिम्मेदारी स्वयं न उठाकर उन्हें ऐसा गरिमा-विहीन जीवन व्यतीत करने के लिए छोड़  देतें   हैं.इसके पश्चात् वे धार्मिक नेता जो वादे तो बड़े बड़े करते हैं पर जहाँ उन्हें सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए वहां से  वे नदारद हो जाते हैं .सरकार को विधवा स्त्रियों की इस दुर्गति पर ध्यान देना चाहिए और समाज को भी . 

*दूसरा  समाचार भारतीय नारी के साहस को अभिव्यक्त कर रहा है .पुणे की सुचेता ने १,६२३ किमी. में फैले गोबी रेगिस्तान को पार कर ऐसा करने वाले प्रथम भारतीय बनने का गौरव प्राप्त किया है .मंगोलिया  का गोबी रेगिस्तान एशिया का सबसे  बड़ा व् विश्व का पांचवा बड़ा रेगिस्तान है . .''भारतीय नारी ब्लॉग परिवार '' की ओरसे  उन्हें हार्दिक शुभकामनायें

*तीसरा समाचार भारतीय नारी की सृजनात्मकता को सलाम का है .हिंदी के यशस्वी कथाकार  मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिवस पर उनके पैत्रिक ग्राम ''लमही'' के नाम पर शुरू की गयी पत्रिका से  पहला सम्मान प्रसिद्ध महिला कहानीकार ''सुश्री ममता कालिया जी '' को प्रदान किया गया है .''भारतीय नारी ब्लॉग परिवार '' की ओर से  उन्हें हार्दिक शुभकामनायें .

                     शिखा कौशिक

हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है.......

हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है.......

मैंने वक्त बदलते देखा है,
दुनिया के दस्तूर बदलते देखे हैं,
मैंने, मैंने, रिश्ते और रिश्तेदार बदलते देखे हैं
मैंने, अपनो को बैगाना होते देखा है,
हाँ, हाँ,  मैंने वक्त बदलते देखा है......

मैंने लोगो की मधु-मुस्कान में  स्वार्थी बदबू को आते देखा है...
कथनी और करनी में अंतर को देखा है....
मैंने, मैंने, रंग बदलते इंसानी गिरगिट देखे हैं,
मैंने अपनेपन की केचुली पहने इंसानों को देखा है
हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है....

मैंने अपने लियें सजी 'अपनो' की महफ़िल  भी देखी है
मैंने गैरों की गैरत को देखा है, और 'अपनो' के 'अपनेपन' पन को भी देखा है,
मैंने, हाँ, हाँ, मैंने इस 'अपनो की दुनिया ' में अपने को अकेला भी देखा है.
हाँ, हाँ मैंने  वक्त बदलते देखा है.......
- पंकज व्यास, रतलाम 

तथाकथित आधुनिकता पता नहीं भारत को कहाँ पहुँचा कर छोड़ेगी ?

बेशर्मी मोर्चा छोटे कपड़ों को गलत नहीं मानता .मैं इन तथाकथित समाजसुधारकों जैसे नफीसा अली आदि से पूछना चाहूँगा जिस प्रकार से हानिकारक गैस वातावरण को प्रदूषित करके प्राणियों पर मानसिक व शारीरिक दुष्प्रभाव डालती हैं.ऊँची ध्वनियों से ध्वनि प्रदूषण होता है.जिस प्रकार से किसी बच्चे के अबोध मन मस्तिष्क पर अश्लील चित्र गलत असर डालते हैं.अगर आप अपने किसी भी मकान दूकान ,वाहन,वस्तु,रुपये पैसे या अन्य भौतिक संशाधन को उचित देखरेख व सुरक्षा में नहीं रखोगे तो हरेक व्यक्ति का हौंसला बढ़ जाता है कि वह मौका मिलते ही उपरोक्त चीजों पर हाथ साफ़ करदे.छेड़खानी की घटनाओं में अभिवृद्धि के पीछे गलत कपड़ों का पहनना भी एक कारण है.सही सोच वाला पुरुष भी यदि छोटे कपड़ों में महिलाओं को बार बार देखेगा तो कभी न कभी उसकी मानसिक कलुषिता इतने खतरनाक स्तर पर पहुँच जायेगी कि वह कोई दुर्व्यवहार कर बैठेगा.जब मुनि विश्वामित्र जैसे तपस्वी ऋषियों का तप भंग हो सकता है तो आज के वातावरण में,जहाँ विभिन्न माध्यमों से वैचारिक प्रदूषण चरम पर है, इसकी सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है.मोर्चा के संयोजकों का एक और बेहूदा तर्क कि हम क्यों नहीं पुरुषों की तरह अपनी छाती को खुला रख सकते,हमें भी पुरुषों की तरह अपने शरीर पर पूरा अधिकार है.समाज और परिवार में इसप्रकार आपस में कोई तुलना या प्रतिस्पर्धा नहीं होती,फिर तो बच्चे,नौजवान व बूढ़े हरेक यह सवाल उठा सकता है कि अमुक काम वह क्यों नहीं कर सकता.विश्व की प्राचीन मानव सभ्यताओं का निर्माण इसप्रकार की बेतुकी प्रतिस्पर्धा से नहीं हुआ है.तदुपरान्त इससे एक कदम और आगे यह भी कहने में कोई बुराई नहीं है कि यदि पशु पक्षी जीव जन्तु स्वच्छंद जीवन शैली जीते हैं तो हम क्यों नहीं .हम तो सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ हैं..इस प्रकार की तथाकथित आधुनिकता पता नहीं भारत को कहाँ पहुँचा कर छोड़ेगी ?
(राजेश तोशामिया,भिवानी 9215923655)

राष्ट्र निर्माण .......

जैसे जल है और शर्बत ।
शर्बत में बहुत सी अन्य चीजें घुली हुयी हैं पर जल ही की प्रधानता है , उसी का परिस्कार है या संस्कार है , ऐसी ही किसी राष्ट्र की संस्कृति है ।
कभी एक राज्य के अन्दर कई राष्ट्र होते हैं और कभी एक राष्ट्र के अन्दर कई राज्य ।
यूरोप में कभी ऑस्ट्रिया के अन्दर कई राष्ट्र थे यद्यपि राज्य एक ही था , औस्ट्रिया । यही राष्ट्र जर्मनी और इटली के रूप में स्वतंत्र राज्य भी बने ।
जब जर्मनी का विभाजन हुआ तो एक ही राष्ट्र दो राज्यों में बँट गया ।
फिर एक दिन वह बांटने वाली दीवार ढह गयी और राष्ट्र तो एक था ही वह फिर एक राज्य बन गया ।
अब आप आसानी से भारत का परिदृश्य देख सकते हैं और मेरी पीड़ा को को समझ सकते हैं ।

समलैंगिकता एक अक्षम्य अपराध-ब्रज की दुनिया

समलैंगिकता एक अक्षम्य अपराध

homosexual


मित्रों,मानव ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है यह आपको भी पता है.हम लोग बडभागी हैं जो हमें मानव-शरीर मिला है.शास्त्रों में कहा गया है कि शरीरमाद्यं धर्म खलुसाधनं यानि शरीर ही सभी धर्मों को करने का माध्यम है.
           मित्रों,मानव-शरीर ईश्वर की अतुलनीय कृति है.ईश्वर ने हमारे शरीर के सभी अंगों को अलग-अलग काम सौंपा हुआ है.उसने मुँह को खाने-पीने का,नाक को साँस लेने और सूंघने का,कानों को सुनने का,गुदा को मलत्याग का,योनि और शिश्न को प्रजनन का और यौनानन्द लेने का काम दिया है.
           मित्रों,प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में मृत्यु के भयानक तांडव को देखकर पश्चिम के लोग यह सोंचकर भोगवादी हो गए कि जब जीवन का कोई ठिकाना ही नहीं है तब फिर नैतिकता को ताक पर रखकर क्यों नहीं जीवन का आनंद लिया जाए?बड़ी तेजी से वहां के समाज में यौन-स्वच्छंदता को मान्यता मिलने लगी और इसी सोंच से जन्म हुआ सार्वजनिक-समलैंगिकता के इस विषवृक्ष का.बेशक समलैंगिक व्यवहार पहले भी समाज में प्रचलित था लेकिन ढके-छिपे रूप में.
             मित्रों,इन दिनों भारत में भी पश्चिम की संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के चलते समलैंगिकों की एक नई जमात खड़ी हो गयी है.ये लोग गुदा से मलत्याग के साथ-साथ यौनाचार का काम भी लेने लगे हैं.उनमें से कईयों ने तो आपस में शादी भी कर ली है.हद तो यह है कि भारत की केंद्र सरकार भी इन सिरफिरों के कुकृत्यों को मान्यता देने की समर्थक बन बैठी है.
             मित्रों,यह एक तथ्य है कि वर्तमान काल की सबसे भयानक बीमारी एड्स की शुरुआत और फैलाव में सबसे बड़ी भूमिका इन समलैंगिकों की ही रही है.गुदा-मैथुन से ई-कोलाई नाम जीवाणु जो आँतों में पाया जाता है के मूत्र-मार्ग में पहुँचने और गुर्दों के संक्रमित होने का खतरा भी रहता है.सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह बिलकुल ही अनुत्पादक और वासनाजन्य कार्य है.इससे सिर्फ काम-सुख मिलता है प्रजनन नहीं होता.
                मित्रों,जब हम मुंह से मलत्याग नहीं कर सकते,गुदा से भोजन ग्रहण नहीं कर सकते,नाक से सुन नहीं सकते,कान से बोल नहीं सकते,हाथ पर चल नहीं सकते तो फिर गुदा से मैथुन की जिद क्यों?यहाँ मैं आपको यह भी बताता चलूँ कि हिन्दू शास्त्रों में गुदा-मैथुन में संलिप्त रहनेवाले लोगों को सूअर की संज्ञा दी गयी है जो मेरे हिसाब से बिलकुल सही है.
              मित्रों,मानव ही वह जैविक प्रजाति है जिसको दुनिया में सबसे लम्बे समय तक प्रजनन-काल ईश्वर ने प्रदान किया है.यही कारण है कि हम अपनी जनसंख्या में पर्याप्त वृद्धि कर सके और धरती पर आज हमारा राज है.यह प्रजनन-शक्ति हमें संतानोत्पत्ति के लिए दी गयी है न कि निरा भोग के लिए.जो भारत सहस्राब्दियों से विश्व को संयम और ब्रह्मचर्य का पाठ पढ़ाता रहा है और इसलिए विश्वगुरु भी कहलाता रहा है;उसी हिंदुस्तान के कुछ लोग पश्चिम का अन्धानुकरण करने के चक्कर में समलैंगिकता का खुल्लमखुल्ला प्रदर्शन कर रहे हैं.जरा सोंचिये,इनके परिवारवालों पर क्या गुजरती होगी जब उन्हें यह पता चलता होगा कि उनका बेटा समलैंगिक हो गया है.उनके सारे सपनों पर तो अकस्मात् तुषारापात हो जाता होगा न!
                मित्रों,कुल मिलाकर मेरे कहने का लब्बोलुआब यह है कि समलैंगिकता व्यक्ति,परिवार,समाज और राष्ट्र सबके लिए हानिकारक है;सबके प्रति अपराध है.यह नितांत भोगवादी प्रवृत्ति है जैसे कि अफीम का सेवन.इसका परिणाम हमेशा बुरा ही होनेवाला है इसलिए ऐसे समाज-विरोधी लोगों के प्रति सरकार को अत्यंत कठोरता के साथ पेश आना चाहिए और यदि ऐसा करने के लिए वर्तमान कानून पर्याप्त नहीं हों तो बिना देरी किए ऐसे कानून बनाए जाने चाहिए.

हदों की भी हदें लांघी न्‍यूज़ 24 ने

इस बार हदों की भी हदें लांघी हैं न्‍यूज़ 24 ने. पता नहीं चैनल कौन चला
रहा है और उसका मकसद क्‍या है, पर एक बात तय है कि जो भी इसके मालिक या
एडिटर होंगे, उन्‍हें न्‍यूज़ की कोई समझ नहीं होगी.
शनिवार शाम सात बजे के बुलिटेन में 'धोनी का छुपा हथियार' का हैडिंग चल
रहा था. समझा शायद कुछ खास दिखा रहे होंगे. काफी देर बकवास करने के बाद
युवराज सिंह को छींकते हुआ दिखाया गया.
स्‍क्रीन पर लिखा था- छुपा हथियार बनाएगा धोनी को ट्रेंटब्रिज का सिंघम.
वाइस ओवर था-
....................
पूरा पढ़ने के लिए- http://mydunali.blogspot.com/

राष्ट्र निर्माण...... (श्री अशोक गुप्ता जी अवश्य पढ़ें )

राष्ट्र क्या है ?


क्या राज्य एवं राष्ट्र एक ही हैं ?


क्या प्रान्त एवं राज्य एक ही हैं ?


प्रान्त एवं राज्य का अंतर राजनैतिक संप्रभुता को लेकर है ।


इसके विपरीत राष्ट्र (नेशन ) वास्तव में एक नस्ल या नस्लों का एक सुचारू मिश्रण है जिसमें एक की प्रधानता एवं अन्य के विलय से प्रधान तत्त्व को समृद्ध करने वाली एक संस्कृति बनती है ,वही राष्ट्र है । मैंने राष्ट्र का अर्थ यही समझा है । जैसे जल है ।

अमन का पैग़ाम: क्यों साऊथ अफ्रीका मैं बलात्कार इंडिया से अधिक होत...

अमन का पैग़ाम: क्यों साऊथ अफ्रीका मैं बलात्कार इंडिया से अधिक होत...: "क्यों साऊथ अफ्रीका मैं बलात्कार इंडिया से अधिक होते हैं? यह सवाल उस समय मेरे दिमाग मैं आया जब मैं दुनिया मैं हो रहे अपराधों की तुलना करने व..."

30.7.11

ठंड रख कलमाड़ी !


ठंड रख कलमाड़ी !
Suresh Kalmadi by cricfan
अदालत  ने पूछे ये कैसे सवाल ?
गलते-गलते रह गयी मेरी काली दाल,
कैसे जान गए वे मेरी तिनको वाली दाढ़ी ?
मन को समझाना होगा !ठंड रख कलमाड़ी .
                     शिखा कौशिक

'समीक्षा: अन्‍ना हजारे के अनशन की राह में ......

'समीक्षा: अन्‍ना हजारे के अनशन की राह में ......: अन्‍ना हजारे के अनशन की राह में एक और अड़ंगा सामने आ गया है। टीम अन्‍ना से कहा गया है कि वो जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन के लिए पहले नई दिल्‍ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लें।दिल्‍ली पुलिस के प्रवक्‍ता राजन भगत ने कहा है, ‘अभी तक हमने न तो अनशन की इजाजत दी है और न ही इनकार किया है। मजबूत लोकपाल की मांग को लेकर 16 अगस्‍त से जंतर-मंतर पर अनशन की तैयारियों में जुटे अन्‍ना हजारे को दिल्‍ली पुलिस ने इससे पहले साफ कह दि‍या था कि‍ वह जंतर-मंतर पर बेमियादी अनशन नहीं कर सकते|(दैनिक भास्कर )
    सरकार ये भ्रम फ़ैलाने के लिए पूरी तरह तत्पर है की जनता सिविल सोसाईटी के लोगों ने सरकार को डराने की कोशिश कर रही है |अन्ना हजारे जनता को मौजूदा सरकार के खिलाफ भड़काने का प्रयास कर रहे है |जबकि दिखाई ये दे रहा है कि सरकार अन्ना के अनशन को जबरन बंद करने के प्रयास में पूरी तरह तत्पर है |सरकार को लग रहा था कि अगर इस बार उसने अन्ना हजारे को अनशन करने का मौका दे दिया तो जोकपाल बिल का उसका ड्रामाख़त्म हो जायेगा इसलिए दिल्ली पुलिस की आड़ में उसने यह आदेश दिलवा दिया कि दिल्ली में कोई धरना-प्रदर्शन नहीं होने दिया जाएगा |  
              इधर एक महत्वपूर्ण खबर ये है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के चेयरमैन प्रकाश चंद्र ने एक चौंकाने वाला बयान दिया. यह बयान स्विट्जरलैंड और भारत के बीच काले धन के मामले में हुए क़रार के बारे में है. इस समझौते को स्विट्जरलैंड की संसद की मंजूरी मिल गई है| इस क़रार में भारतीय नागरिकों के स्विस बैंकों के खातों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रावधान है| प्रकाश चंद्र ने कहा कि इस क़ानून के लागू होने के बाद खोले गए खातों के बारे में ही जानकारी मिल सकती है| इस बयान का  मतलब यह है कि जो खाते इस क़ानून के लागू होने से पहले खुले हैं, उनके बारे में अब कोई जानकारी नहीं मिलेगी| यानी भारतीय अधिकारियों को अब तक जमा किए गए काले धन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकेगी|देश की जनता कितना भी चेत जाए हाथ  मलने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता |ये बातें विपक्ष को भी मालूम है पर सवा हितार्थ चुप्पी साधे बैठे हुए है |उनको लगता है कुछ दिनों तक हो-हल्ला मचेगा उसके बाद सब चुप हो जायेंगे |लगता है सत्तापक्ष और विपक्ष इस मामले हाथ मिलाये बैठे है |ये दोनों भ्रष्ट है |भ्रष्टाचार मिटाने का खोखला दावा करते है |और जनता को धोखा देते है |जनता भ्रमित है |कौन सही है ?कौन वास्तव में विशवास के काबिल है ?जाहिर है ऐसे में अब लोकपाल बनने नहीं दिया जायेगा | और पढ़े ......


जब किसी इंसान को कुछ पाने की लालसा होती है तब वो उसे पूरी इमानदारी के साथ हांसिल करने की कोशिश करता है फिर लक्ष्य उसका कुछ भी हो....इसी तरह मेरे जीवन का भी एक लक्ष्य है जो की है एक प्रसिद्ध एंकर बनना...करीब १० साल की उम्र से ही ये सपना लिए हुए...हालाँकि मुझे यह पता नहीं था की एक एंकर बन्ने के लिए क्या करना पड़ता है बस बचपन मैं यही सोचती थी की टी।वी.पर माइक लेकर मैं भी आऊं एक दिन... मुझे भी बोलना है औरों की तरह...उसके बाद समय बीतता गया मैंने स्कूली पदाई ख़त्म करके कॉलिज मैं दाखिला लिया और बी.सी.ए.करने का निर्णय लिया...उसी दौरान मेरे एक टीचर ने जिनका नाम श्री केशव है यह बताया की मेरे अन्दर एंकर बन्ने के गुण हैं इसलिए मैं जेर्न्लिस्म का कोर्स करूँ... बस तभी से मैंने ठान ली की अब तो बी.सी.ए.ख़त्म करने के बाद एम .जे.एम .सी.की ही डिग्री करनी है...फिर थोडा और समय बीता तो मुझे अपने घर की आर्थिक स्थिति खराब होते हुए दिखी तब मैंने दिल्ली की एक कंम्पनी मैं जॉब करने का मन बनाया यह सोचकर की माँ -बाप को थोड़ा तो रिलेक्स मिले...फिर मैंने दो साल तक दिल्ली में ही जॉब की॥दिल्ली मैं एम.जे.एम.सी. का इतना स्कोप देखा तो मैंने वहीँ पर गुरु जभेश्वर यूनिवर्सिटी मैं डिस्टेंस कोर्स के साथ दाखिला ले लिया लेकिन पहले दिन की क्लास मैं ही मुझे एक टीचर के दुआरा पता चला की एम.जे.एम.सी. तो ग्वालियर मैं भी है वो भी रेगुलर कोर्स तब मैंने वहाँ से जॉब छोडी और बिना कुछ सोचे समझे ग्वालियर आ गयी...और आज मैं जीवाजी यूनिवर्सिटी मैं सेकेण्ड सेमेस्टर की छात्रा हूँ...

हे अतिथि (कसाब) तुम कब जाओगे ?"

कल शाम से ही स्वर्ग और नरक या कहे तो जन्नत और जहन्नुम  दोनों में हडकंप मचा हुआ है कारण आप सब जानते है. वो एसा कारण तो है ही जिसके कारण हडकंप मच सके आखिर उसने २६ नवम्बर २००८ को पूरे मुंबई में हडकंप मचा दिया था. हाँ में उसी महान (अन्यथा ना ले पर पिछले दो साल से जिस तरह से उसे सर आँखों पर बिठाकर उसकी मेहमाननवाजी कर  रहे  हैं उसे देखकर अब यही लगता है) आतंकवादी ,हत्यारे कसाब की बात कर रही हू .हमारे देश में जब जमाई (बेटी का पति) घर आता है तो उसकी खूब खातिरदारी की जाती है उसे किसी तरह की कोई तकलीफ ना हो ये ध्यान रखा जाता है.कसाब को  जेल में जो सुविधाएं प्रदान की गई उन्हें देखकर लगता है वो जमाई जेसे मजे लूट रहा है .


 हम स्वर्ग- नरक पर थे वहा हडकंप मचा हुआ है क्यूंकि कसाब ने अपनी फासी की सजा के खिलाफ उच्चतम नयायालय जाने का फैसला लिया है अब साल भर वो वहा निकाल लेगा और फिर भी संतुष्टि ना मिली तो राष्ट्रपति  के पास अर्जी दे देगा....हाँ तो स्वर्ग में हडकंप इसलिए है क्यूंकि २६/११ के हमले में जो बेकुसूर मारे गए उनकी आत्माएं कराह रही है बार बार कह रही है "हमें किसी ने मौका क्यों नहीं दिया काश हमें भी मौका मिला होता कुछ पल और जीने का" .इन आत्माओं के साथ वो आत्माएं भी दुखी है जो हाल ही में हुए मुंबई हमले के कारण वहा पहुंची है.आखिर सबका एक ही दुःख है हम उस हत्यारे को सजा तक नहीं दे पा रहे जिसने इतने मासूम लोगो को अधूरी जिंदगी और अकाल मृत्यु की सौगात दी.
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''भारतीय नारी '' ब्लॉग पर आज प्रस्तुत है -ये ''हॉरर किलिंग हैं ''


''भारतीय  नारी '' ब्लॉग पर आज प्रस्तुत है -ये ''हॉरर किलिंग हैं ''

आजकल हर ओर ''औनर किलिंग '' के नाम पर लड़कियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है .मेरा मानना है कि ये ''हॉरर किलिंग '' हैं .15 से २० साल की युवतियों को परिवार की मर्यादा के नाम पर मौत के घाट उतारना अमानवीय कृत्य तो है ही साथ ही यह आज की प्रगतिशील नारी शक्ति को ठेंगा दिखाना भी है जबकि अधिकांश  लड़कियां अपने परिवार का नाम ऊँचा कर रही हैं .ऐसे में इज्जत के नाम पर उनका क़त्ल न करके बहुत सोच विचार के बाद परिवार को कोई निर्णय लेना चाहिए .लड़कियां चौखट से बाहर आकर कैसे हर कसौटी पर खरी उतरती हैं इन्हें मैंने इन शब्दों में व्यक्त करने का प्रयास किया है -

लड़कियां जब चौखट से 
बाहर आती हैं 
उनके साथ पग-पग चलती 
है कुल की मर्यादा 
पिता का स्वाभिमान 
माता का विश्वास 
भाई की हिदायतें 
और अनंत स्वप्नों 
की श्रृंखला  ,
लड़कियां हर कसौटी
पर खरी उतर जाती हैं 
लड़कियां जब चौखट से 
बाहर आती हैं .

वो धैर्य  से ,सहनशीलता से 
पार करती हैं हर बाधा ,
छीन लेती हैं इस जग से 
लूटा गया अपना हक आधा ,
आधी दुनिया  की बुझी 
आस फिर जग जाती है .
लड़कियां जब चौखट से 
बाहर आती हैं .

सदियों से सुप्त मेधा को 
झंकझोर कर जगाती हैं ,
चहुँ ओर अपनी प्रतिभा का 
लोहा मनवाती हैं ,
बछेंद्री बन एवरेस्ट पर 
चढ़ जाती हैं ,कल्पना रूप 
में ब्रह्माण्ड घूम आती हैं .
लड़कियां जब चौखट 
से बाहर आती हैं .

''हॉरर किलिंग'' करने वालों को अपने गिरेबान में भी झांक कर   देख लेना चाहिए कि आखिर घर का बच्चा ऐसा करने के लिए क्यों विवश हो जाता है .वो क्यों बाहर के व्यक्ति पर  विश्वास कर घरवालों से बगावत कर देता है ?क्यों घर से भागने को विवश होता है ? कहीं न कहीं कमी उन में ही है जो मर्यादा का नाम लेकर अपने मासूम बच्चों  का  खून  बहा रहें हैं .

                                         शिखा कौशिक

अरे निकम्मो, देश लुटेरो,बापू को कुछ याद करो

अन्ना की तमन्ना है कि मिट जाए सब भ्रष्टाचार
मगर सियासतदां सब के सब अपनी आदत से लाचार
कैसे-कैसे दम्भी बैठे कांग्रेस में आज हैं
दमन कर रहे जन आकांक्षा, नहीं किसी को लाज है
एक पीएम से आस बची थी, वह भी निकले अ-सरदार
सारे नेता बने हुए हैं चमचों के परचमबरदार
अरे निकम्मो, देश लुटेरो,बापू को कुछ याद करो
देश हमारा सबसे ऊपर, मत इसको बरबाद करो
कुंवर प्रीतम

29.7.11

Bezaban: क्या कहा आपने शादी नहीं करेंगे?

Bezaban: क्या कहा आपने शादी नहीं करेंगे?: "क्या कहा आपने शादी नहीं करेंगे? परेशान ना हों भाई आप को तो केवल अपनी पसंद बतानी है. अभी इस सप्ताह मैंने दो पोल (POLL) किये और आश्चर्य जन..."

क्या कहा आपने शादी नहीं करेंगे? परेशान ना हों भाई आप को तो केवल अपनी पसंद बतानी है. अभी इस सप्ताह मैंने दो पोल (POLL) किये और आश्चर्य जनक रूप से टिप्पणिओं से अधिक इमानदार नतीजे सामने आये.
उन विषयों पे जहाँ लोग कम बोलना चाहते हैं पोल (POLL) वैसे भी एक कामयाब तरीका हुआ करता है हकीकत जानने का.
आज हम जिस समाज मैं रह रहे हैं वहाँ शादी के पहले सेक्स या शादी के बाद पति या पत्नी के अलावा सेक्स स्वीकार नहीं किया जाता. लेकिन ऐसा होता है यह भी सत्य है और बहुत से परिवारों मैं शादी के पहले सेक्स की इजाजत तो नहीं लेकिन बहुत बुरा नहीं समझा जाता. और कई जगह तो बिना शादी जीवन साथ गुजरने मैं भी आपत्ति नहीं होती लोगों को.

इस श्रेणी का पहला POLL

1) आप को क्या लगता है?




2) शादी के बाद परायी स्त्री या पराये पुरुष से सेक्स


है कोई निर्माता ! या सब अपने आप .......जादू से !....कहाँ है ! ...कौन है वो जादूगर.....


इस फूल को किसने बनाया ! who made this flower !






यह एक सुंदर फूल है न . 


कभी सोचा इसे किसने बनाया !


क्या बेवकूफी भरा सवाल है !


अरे किसी ने भी बनाया हमें क्या लेना देना .


हाँ ! यह प्रश्न सबके लिए नहीं है .  केवल उस विचारक के लिए, जिसके पास इन चीजों के लिए , दिमाग , वक्त व जरुरत है . 


बिना जरूररत तो मनुष्य करवट भी नहीं बदलता . 


अब मुझे क्या जरुरत आन पड़ी .  


बस आन पड़ी . और आज सुबह सैर करते हुए यह प्रश्न आ गया कि इतना सुंदर फूल कैसे बन गया , 


बराबर में साथ सैर कर रहे गोयल साहेब से मन का प्रश्न कह दिया , 


उन्होंने वही घिसा-पिटा  उत्तर दे दिया -    "भगवान ने".    


पर मैं तो विज्ञानं का विद्यार्थी रहा हूं. (विद्यार्थी = जो विद्या की अर्थी निकाल दे ) , मैंने कहा , विज्ञानं वाले तो कहते हैं , जीवन , अपने आप बन गया . 


दादा डार्विन का तो यही सिद्धांत , हमने स्कूल की पुस्तकों में पढ़आ है , कि अपने आप कुछ कैमिकल इकठ्ठे हुए , बिजली चमकी , बादल गरजे , और जीवन बन गया . और वह जीवाणु इतना होशियार था कि बनते ही उसने विकास का मन बना लिया, और अपने आप को मछली , मेंढक , जानवर, पक्षी , बन्दर व मानव में विकसित कर लिया.  


ऊँचे वृक्षों के पत्ते खाने से घोड़ा , जिराफ बन गया. बच्चे को दूध चाहिए था तो अपने आप माता के स्तनों में दूध बन गया . बच्चे का इतना विकास हो चूका था कि पैदा होते ही उसने दूध पीना भी आ गया. 


गोयल साहिब हँसने लगे, कि गुप्ता जी, जब बच्चे थे तो विज्ञानं के इतिहास में आपने ये सब बातें पढ़ लीं , पर अब तो तुम बड़े हो गए हो , जरा फिर अपने आप से ही पूछो , ये चंदू खाने की कहानि तुमको खुद भी सच लगती है क्या. 


मिटटी, पानी ,  चाक , डंडा यदि करोड़ साल भी पड़े रहें तो एक बर्तन नहीं बन सकता, और आपने बिना किसी चीज के इतना विकसित जीवन बना दिया , जो इस फूल में रंग भर गया, दूसरे फूल में दूसरा , पहले कली , फिर फूल , फिर फल .....फिर .....  सब अपने आप .........


इस बेवकूफी की बात को मानने से तो अच्छा है आप दूसरी भी बेवकूफी की बात मान लें , कि एक अनजानी, अद्रश्य शक्ति ने इस विश्व का, इस फूल का निर्माण कर दिया. 


और आप उस शक्ति को मान कर अपने को दकियानूसी समझ रहे हैं. तो एक इससे अच्छी कल्पना ले आओ , मगर ये बन्दर से आदमी की बात तो इंडिया के अलावा , कहीं भी नहीं मानी गई , विज्ञान में भी , न तब , न अब , पर पश्चिम की , की हुई उल्टी भी हमें स्वाद ले कर खाने की आदत सी हो गई है , तो सारे तर्क बेकार हैं. 


मैंने आते समय उनका धन्यवाद किया , और सोचा कि अपने ब्लॉग मित्रों से भी राय ले लूँ. 


जय सच्चिदानंद 
          

हमे नहीं पता? कहाँ का प्रधानमंत्री नपुंसक है?

एक बार एक आम आदमी जोर जोर से चिल्ला रहा था,प्रधानमंत्री नपुंसक है.पुलिस के एक सिपाही ने सुना और उस की गर्दन पकड़ के दो रसीद किये और बोला चल थाने, प्रधानमंत्री की बेइज्ज़ती करता है.वो बोला साहब मै तो कह रहा था इंग्लैंड का प्रधानमंत्री नपुंसक है.ये सुन कर सिपाही ने दो और लगाए और बोला साले, बेवक़ूफ़ बनाता है, हमे नहीं पता ? कहाँ का प्रधानमंत्री नपुंसक है?

बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होए ?

संयम रख रे अब मनुज तू आपा काहे खोए
बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ  से होए ?

प्रदुषण की मार को लेकर दिन रात क्यों तू रोता है
गन्दगी फ़ैलाने  वालों में तू सबसे पहले होता है

सरकारी कामों को लेकर दिन में आवाज़  बुलंद करे
रात में तू ही गिट्टी , रेती को चोरी  से घर में बंद करे

पैसे के लालच में घटिया लोगो को संसद में भेज दिया
अब क्यों कहता है नेताओं ने दिन रात का चैन लिया

रिश्वत का पैसा मिले तो बेबस को पूरी तरह से छील लिया
फिर क्यों कहता है भ्रष्टाचारियों ने भारत को पूरा  लील लिया

पाप की घघरी खुद ने भरी अब ईश्वर के आगे रोए
बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ  से होए ?

भूल गया जब पिताजी को घर के बाहर की राह दिखाई थी
अब क्यों दुखी है जब बेटे ने वृद्धाश्रम की बुकिंग कराई है .

poori rachna padhne ke lie click karein
http://meriparwaz.blogspot.com/2011/07/blog-post_29.html

दिलेरी का एक नाम ‘फूलबाई’, अब तक 7 हजार पोस्टमार्टम !

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राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़
अक्सर कहा जाता है कि नाम बड़ा होता है या काम और अंततः कर्म की प्रधानता को तवज्जो दी जाती है। ऐसी ही एक महिला है, जिसने नाम के विपरित बड़ा काम किया है, वो भी हिम्मत व दिलेरी का। जिस काम को कोई मर्दाना भी करने के पहले हाथ-पांव फुला ले, वहीं यह नारी शक्ति की मिसाल महिला करती हैं, लाशों का पोस्टमार्टम। ऐसा भी माना जा रहा है कि संभवतः यह छत्तीसगढ़ की पहली महिला होगी, जिसने ऐसे हिम्मत के काम को चुना और एक नई मिसाल भी कायम की है।
जी हां, छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा में ‘फूलबाई’ नाम की एक महिला है, जो पिछले 25 बरसों से पोस्टमार्टम करती आ रही हैं। हर हफ्ते 3-4 पोस्टमार्टम करती हैं तथा वह सालाना 2 सौ पीएम कर लेती हैं। अनुमान के मुताबिक फूलबाई ने अब तक करीब 7 हजार पोस्टमार्टम कर लिया है।
ब्लाक मुख्यालय मालखरौदा में रहने वाली फूलबाई का नाम सुनने के बाद हर किसी के मन में सहसा ही एक ऐसी महिला की तस्वीर बनेगी, जो फूलों की तरह नाजुक हो, मगर इन बातों को फूलबाई ने धता बताते हुए कोई पुरूष भी जो काम करने से कतराता है, उसे अपनी कांधों पर लेकर निश्चित ही नारी शक्ति को जाग्रत किया है। वैसे भी जब कोई क्षत-विक्षत लाश को देखता है तो उसकी रूह कांप जाती है। किसी भी की रोंगटे खड़े हो जाते हैं, मगर फूलबाई ने हिम्मत के साथ दिलेरी भी दिखाई और पोस्टमार्टम करने लगीं। दूसरी ओर एक सामान्य व्यक्ति भी लाश देखते ही नाक-भौंह सिकोड़ने लगता है। ऐसी स्थिति में फूलबाई का सख्त निर्णय भी तारीफ के काबिल है।
सन् 1985 में काम की तलाश करते हुए फूलबाई, अपने एक बेटे व छह बेटियों के साथ मालखरौदा आई, क्योंकि इतने बड़े परिवार को पालने की जो सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी। फूलबाई का पति चरणलाल मजदूर है, जिससे इतनी आमदनी नहीं हो पाती कि इतने बड़े परिवार की आवश्वकताओं की पूर्ति की जा सके। लिहाजा फूलबाई को भी चारदीवारी से बाहर निकलकर काम तलाशनी पड़ी। आर्थिक परेशानियों से जुझने वाली फूलबाई को कुछ दिनों में ही मालखरौदा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्वीपर की नौकरी मिल गई और इस तरह उसकी परिवार की गाड़ी जैसे-तैसे दौड़ने लगी। कुछ दिनों बाद फूलबाई, अस्पताल में पोस्टमार्टम करने वाले स्वीपर ‘महादेव’ का सहयोग करने लगी और कुछ महीनों में उसने भी पीएम करने महारथ हासिल की ली। इस तरह फूलबाई की हिम्मत को देखकर अस्पताल के डाक्टर भी हैरत में पड़ गए और डॉक्टरों ने उससे पोस्टमार्टम का काम लेना शुरू कर दिया।
दिलचस्प बात यह है कि फूलबाई ने हत्या की घटना वाले शव को अकेली ही पहली बार पोस्टमार्टम किया। फूलबाई कहती हैं कि इस दौरान थोड़ी घबराहट हुई, क्योंकि इससे पहले वे पीएम साथ में किया करती थी, मगर इस बार उसे अकेले इस काम को अंजाम तक पहुंचाना पड़ा। वह बताती हैं कि उसकी चार बेटियों का विवाह हो चुका है और परिवार में पति समेत दो बेटियों व एक बेटे के साथ गुजारा करती हैं। देखा जाए तो इतने बड़े परिवार को किसी भी सूरत में एक मजदूर होकर चरणलाल (फूलबाई के पति ) किसी भी सूरत में नहीं चला पाता, मगर नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति ‘फूलबाई’ के अथक प्रयास व परिश्रम से परिवार की आर्थिक हालत पहले से बेहतर हो गई और उसने अपने पति का साथ हर राह पर बखूबी दिया। वह पोस्टमार्टम जहां बेधड़क करती हैं, वहीं शव के चीरफाड़ में उसके हाथ भी नहीं कांपते। इस बात को कई तरह से अहम मानी जा सकती है।
फूलबाई बताती हैं कि मालखरौदा व डभरा क्षेत्र के शवों का उसे पोस्टमार्टम करना पड़ता है, इसमें डाक्टरों का भी पूरा सहयोग मिलता है और जैसे ही कोई घटना के बाद अस्पताल में शव आता है, उसके बाद उसकी खोज-खबर शुरू हो जाती है। डॉक्टर भी उसकी ऐसे काम की भुरी-भुरी प्रशंसा करते हैं, क्योंकि फूलबाई को जैसे ही पोस्टमार्टम करने की सूचना मिलती है, वह बिना किसी लाग-लपेट के सहसा चली आती हैं।
मालखरौदा के बीएमओ डा. आरपी कुर्रे कहते हैं कि फूलबाई को पीएम का अच्छा अनुभव हो गया है और वह किसी सुलझे की तरह पोस्टमार्टम करती हैं। इधर समाजशास्त्री भी फूलबाई द्वारा पोस्टमार्टम जैसे कार्य किए जाने को नारी सशक्तीकरण से जोड़कर देखते हैं, उनका कहना है कि निश्चित हीऐसा कोई काम नहीं है, जो आज महिलाएं नहीं कर सकतीं। पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं की समाज में यह भागीदारी काफी मायने रखती है।
अंत में, एक महत्वपूर्ण बात, जिले ही नहीं वरन्, प्रदेश में ‘स्वीपर’ की कमी है और इस समस्या से तब दिक्कतें होती हैं, जब शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं। कई बार देखने में आ चुका है कि महज स्वीपर की कमी या फिर उसके नहीं आने से शव का दूसरे दिन पोस्टमार्टम हो पाता है। इस मामले को भी छत्तीसगढ़ सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए और नारी शक्ति के लिए मिसाल बनी ‘फूलबाई’ को सम्मानित भी किया जाना चाहिए। इससे उन महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा, जो खुद को दबे-कुचले समझ कर आगे बढ़ने की सोच को मन में रख लेती हैं और बंद कमरे में जिंदगी जी कर बेनाम रूखसत हो जाती हैं।

एक मजबूत आस्ट्रेलियन प्रधान मंत्री की देश विरोधियों को ललकार . पढ़ओ और सीखो


निचे लिखा ब्लॉग इंग्लिश में है,

बहुत आसान इंग्लिश में,

फिर भी चूँकि यह ब्लॉग की भाषा हिंदी है, इसलिए पूरा पढ़ने वालों को मेरे ब्लॉग के लिंक में जाना चाहिए जो कि शीर्षक पर क्लिक करने से खुल जायेगा 

केवल कुछ फोटो , पंक्तिया इस ब्लॉग पर छोड़ रहा हूं . . 


a leadership with honest thinking can be so bold as the australian prime-minister - ms julia gilliard. a lot of salutes to her and her nation.




this post is a lesson to india 

Australia says NO - 

to muslim pacification. 

in clear , firm and bold words. 

can any leader , whether congress, bjp , or any other party , imagine to say that. 

because we , india is a very  special democracy  , of hypocrates , for hypocrates, by hypocrates, 

Second time she has done this!       

  


Australian Prime Minister does it again!!
This woman should be appointed Queen of the World. Truer words have never been spoken.
It took a lot of courage for  this woman to speak, what she had to say for the world to hear. The retribution could be phenomenal, but at least she was willing to take a stand on her and Australia 's beliefs.
The whole world needs a leader like this!
>
[]
Prime Minister Julia Gillard - Australia 
Muslims who want to live under Islamic Sharia law, were told on Wednesday to get out of Australia, as the government targeted radicals in a bid to head off potential terror attacks.


'If you aren't happy here then LEAVE. We didn't force you to come here. You asked to be here. So accept the country YOU accepted.'
and some hard facts about ms julia gillard : 
1.  she is an aethist, does not believes in god, but when she speaks for the country, she says , since country believes in god, that has to be respected. 

2.  her govt is a minority govt. , do not have absolute majority . 

Every country has its own rules and regulations, freedom of speech and freedom within limits; but why not in India

i write the answer to this question : 

because we , india is a very  special democracy  , of hypocrates , for hypocrates, by hypocrates, 



growth of muslim population in the world is very clearly shown in this video link  : 
http://www.youtube.com/watch?v=6-3X5hIFXYU
कब तक अपने को धोखा देकर नकली सेकुलर बने रहेंगे . 

जय श्री राम

अलसी का पॉवर पॉइन्ट प्रजेन्टेशन

अलसी का पॉवर पॉइन्ट प्रजेन्टेशन देखने या डाउनलोड करने के लिए यहाँ चटका करें।

http://flaxindia.blogspot.com/

डॉ. ओ.पी.वर्मा

अन्ना के सवार

* अन्ना बाबा को
कहीं मार डाले
लोकपालिका !
## [हाइकु ]

* समय तो अवश्य ही व्यस्तता का है ,होना ही चाहिए प्रगति के लिए | वक्त आपाधापी का भी है | लेकिन उस अनुपात में समय की कीमत भी समझी जा रही है , इसमें मुझे संदेह है | एक टेम्पो में छः सवारियां बैठती हैं | कोई बीच में उतरता है , बड़े आराम से सभी जेबें टटोलता है ,पर्स के सारे खाने तलाशता है | फिर एक जेब से दो रूपये ,दूसरी से दो रूपये और ऊपर कमीज़ की जेब से एक रुपया , कुल पाँच रूपये ड्राइवर को देता है | इस दौरान शेष सात सवारियों का कितना समय बर्बाद होता है उसे इसकी कोई फ़िक्र नहीं होती | जब कि यह टटोलना गाडी रुकवाने से कुछ पहले भी बैठे - बैठे भी किया जा सकता है | तब तो कुछ और टटोलते हैं | और कहीं यदि कोई नारी सवारी उतरी तो गज़ब ही समझिये | उसका नाटकीय चित्रण बड़ा मनोरंजक हो सकता है दर्शकों के लिए | सहयात्रियों के लिए तो वह समय खाऊ ही होता है | पहले उतरेंगी ,फिर बड़ा बैग खोलेंगी | सारे खाने दूंध कार एक छोटा पर्स निकालेंगी | उसके सारे चेन चलाएंगी, पर कोई पैसा नहीं निकलेगा | निकलेगा तभी जब हाथ ब्लाउज के अन्दर जायगा |

यह तो सवारियों का हाल है जब वे छः हों | विक्रम टेम्पो ड्राइवर को यह मंजूर नहीं | उसे चार + चार + तीन सवारियां पूरी होनी चाहिए , तभी वह गाडी हांकेगा | आप को देर हो रही है तो आप चिल्लाते रहिये | बैठाने का गुन भी उसे मालूम है | बहन जी , आप पीछे खिसकिये , भाई साहब , आप आगे होकर बैठिये | और इस तरह इस तरह एक का पुट्ठा दूसरे की जांघ से सटा कर तीन की सीट पर चार सवारियां फिट कर देता है |
इस भ्रष्टाचार पर राम देवता बोलेंगे , किरन देवी और उनकी अन्ना -टीम , अति उत्साही बालक केजरीवाल , घुटे हुए वकील भूषण बाप -बेटे | उन्हें तो सारा भ्रष्टाचार केवल पी एम की कुर्सी में नज़र आता है | मुझे कुछ अतिरिक्त नज़र आता है तो मैं टपर - टपर बोलता हूँ | तूती की आवाज़ की तरह | ##

राहुल बाबा की शादी ------ हिना रब्बानी खार

नुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी, लकदक करते नये कुर्ते में नजर आये इत्र पाउडर लगा चमचमा रहे थे । हमने पूछा - शर्मा जी आज तो कहर ढा रहे हो कहां की तैयारी है । शर्मा जी - बोले, लड़की देखने जाना है भाई । तभी आसिफ़ भाई ने टांग अड़ाई बोले मियां एक शादी में तो सुबह शाम पिटते हो फ़िर भी मन नही भर रहा । शर्मा जी भड़क गये - बोले, आप को हर बात में मजाक सूझता है । यहां हम देश हित में लड़की देखने जा रहे हैं । प्यारी मम्मी का आदेश आया है इस बुरे समय को दूर करने नयी महारानी चाहिये बाबा के लिये सभी लोग अच्छी सी सुशील लड़की देखें । हमने पूछा - भाई, तो कैसी लड़की खोजने जा रहे हो जवाब मिला यही तो मशविरा करने आप लोगों के पास आया हूं कि लड़की कैसी होनी चाहिये ।


हमने कही भाई कैटरीना कैफ़ सही रहेंगी, शर्मा जी सोच मे पड़ गये कहने लगे है तो बड़ी सुंदर पर वो तो फ़िल्मी कलाकार है । हमने कहा भाई वो एक दम सूट करेगी आपका बाबा आधा भारतीय वो आधी भारतीय दोनो मिलकर पूरे भारतीय बन जायेंगे । शर्मा जी फ़िर भड़क गये कहने लगे यार दवे जी मजा लेना है तो मै चला वरना बात गंभीर चिंतन की है गंभीरता से लो । हमने सर खुजाया भाई हिंदू या मुस्लिम लड़की कैंसल शर्मा जी अचकचाये फ़िर तो नब्बे फ़ीसदी लड़कियां कम हो जायेंगी । हमने कहा भाई बाबा हिंदू लड़की से शादी तो मुस्लिम साथ छोड़ देंगे मुस्लिम से करेगा तो हिंदू वोट बैंक खसक जायेगा । शर्मा जी ने सर हिलाया बोले सिख लड़की कैसी रहेगी हमने मेनका गांधी जिंदाबाद का नारा लगा दिया शर्मा जी ने तड़ से विषय बदल लिया । बोले गुरू मैने ट्रंप कार्ड खोज लिया है दलित लड़की से करवा देता हूं । हमने कहां मियां दलित घरों मे सोने की नौटंकी अलग बात है  शादी कर पायेगा तुम्हारा बाबा अनपढ़ गरीब लड़की से । शर्मा जी भड़क गये बोले क्या बेकार की बात है दलितो मे पढ़े लिखे लोग नही है क्या कई दलित उंचे पदो पर बैठे है उनमे से किसी की सुंदर सी लड़की से करवा देंगे ।

पूरा पढ़ने के लिये  अष्टावक्र

मन्नू ------- राजा बोला अब तेरा क्या होगा

सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने नुक्कड़ मे घोषणा की खामखा तुम तोग स्विस
बैंक का नाम भजते रहते थे वहां तो सिर्फ़ ग्यारह हजार करोड़ का कालाधन जमा
है । हमने तुरंत शर्मा जी को प्रणाम कर कहा मान गये आपको स्विस सरकार से
भी अपने प्रवक्ता टाईप बयान दिलवा दिया । खैर उन की भी मजबूरी है भारत का
बॊस लाख करोड़ से ज्यादा का काला धन वहां से निकल गया तो बेचारे भिखारी
नही हो जायेंगे । शर्मा जी भड़क गये बोले क्यों जनता को भड़काते हो दवे जी
मनगढ़ंत आकड़ो से क्या सबूत है तुम्हारे पास । हमने कहा भाई राजा खुद ही
सामने है आप ही की सरकार ने एक लाख अस्सी हजार करोड़ के घोटाले मे बंद
किया है उसको । फ़िर भारत तो ऐसे राजाओं का देश ही रहा है ये तो सिर्फ़
राजा है यहां तुम्हारी मम्मी से लेकर चिद्दीबम तक अनेको महाराजा भी हैं ।
और मन्नू तो है ही राजा ने खुला बोला है अदालत मे कि मन्नू को भी मालूम
था वह भी शामिल था ।


शर्मा जी ने तुरंत श्रद्धा से सिर नवाते हुये कहा आदरणीय मन्नू जी पर
लांछन लगाना सूरज पर थूकने के समान है । हमने कहा "भाईयों कल से रेनकोट
पहन कर आना" आसिफ़ भाई ने हैरानी से पूछा क्यों भाई! तो हमने कहा पूरा देश
इनके सूरज उर्फ़ मन्नू पर थूक रहा है सूरज तक तो पहुंचेगा नही हमारे उपर
ही न गिर जाये । पूरा नुक्कड़ ठहाके लगाने लगा तो गुस्साये शर्मा जी बोले
आप लोग एक अपराधी की बातो पर मन्नू पर आरोप लगा रहे हो । हमने कहा यह जो
आपको आज अपराधी लग रहा है कल तक आप ही को ईमानदार नजर आ रहा था । जैसे
कपिल बाबू पहले छाती ठोक एक रूपये का भी घोटाला नही हुआ कह रहे थे आज आप
मन्नू को वैसे ही निर्दोष बता रहे हो । कल इसका मामला भी सामने आयेगा तो
कहोगे हमारी प्यारी मम्मी पर जो आरोप मन्नू लगा रहा है वह गलत है ।

पूरा पढ़ने के लिये http://aruneshdave.blogspot.com/2011/07/blog-post_26.html