12.7.11

अल्प्संखयक और हमारी धर्मनिरपेक्ष सरकार

पिछले दिनों कुछ ऐसा देखने को मिला जिससे की हम ये सोचने पर मजबूर हो गए की क्या ये जो हो रहा है वो सही हो रहा है? हम क्या सच में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को दुनिया के सामने पेश करते है? और क्या सच में हम धर्मनिरपेक्ष समाज से है?
हम भारत के निवासी है और सभी जानते है की हमारा दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है ऐसा ही हमने बचपन में पढ़ा था लेकिन आज कल तो हमें बिलकुल भी ऐसा नहीं लगता की हम धर्मनिरपेक्ष है |कुछ दिन पहले अल्पसंख्यक मामलो के मंत्री ने अल्पसंख्यको के कल्याण एवं उत्थान के लिए एक बैठक बुलाई थी और उस बैठक में केंद्रीय वक्फ कौंसिल के सदस्य ही हिस्सा ले पाए और बैठक के बाद हमारे माननीय अल्पसंख्यक मामलो के मंत्री ने ये कहा की शैक्षिक और सामाजिक आधार पर पिछड़े मुस्लिमो को आरक्षण देने का खाका लगभग तैयार है | अब बात ये आती है की क्या हमारे मंत्री साहब को केवल मुस्लिम ही अल्प संख्यक लगते है या उन्हें इस मामले में पूरी जानकारी नहीं है |
एक आंकड़ो के हिसाब से हमारे देश में लगभग 78% हिन्दू, 15% मुस्लिम, 2.6 इसाई, 2% सिख, 0.9 बुद्धिस्ट, 0.7 जैन और बाकि धर्म 0.8% है अब इन आंकड़ो को देखने के बाद कोई भी ये बता सकता है की हमारे देश में अल्पसंख्यक कौन है | फिर केवल मुस्लिमो को ही आरक्षण देने का क्या तुक हो सकता है ? क्या हमारे अल्प्संखयक मामलो के मंत्री को अपने ही बिभाग की जानकारी नहीं है जो की उन्होंने अल्पसंखयको के कल्याण के लिए जो बैठक बुलाई थी उसमे केवल मुस्लिम प्रतिनिधियो को ही शामिल किया गया और जो फैसला लिया गया वो केवल मुस्लिमो के लिए ही लिया गया | किस आधार पर ये फैसला लिया गया क्या इसाई, सिख, बौध, जैन, पारसी आदि समुदाय अल्पसंख्यक नहीं है| माननीय मंत्री महोदय ने कहा की  एक उद्देश्यपरक और तर्कसंगत पद्धति की जरूरत है जिससे मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को देश में समान अवसर मिल सकते हैं। अच्छे से अच्छा कैसे किया जा सकता है यह सरकार पर छोड़ देना चाहिए। यहाँ पर तो बात बात सभी अल्पसंख्यक समुदायों की हो रही है लेकिन जब बात उस पर अमल करने की आती है तो सरकार को केवल मुस्लिम ही क्यों नजर आते है ? हमने तो कभी भी ये नहीं सुना की सिख समुदाय को भी आरक्षण मिलना चाहिए या फिर इसाई, बौध, जैन आदि समुदाय बिशेष को भी सरकारी नौकरी या सरकारी संस्थानों में दाखिलो में आरक्षण मिलना चाहिए तो फिर हमारी कांग्रेस सरकार को मुस्लिमो में ही इतनी रूचि क्यों है ?? क्या और समुदाय इन्हें अल्प्संखयक नहीं लगते और सही मायने में अगर देखा जाये तो और बाकि समुदाय ही भारत में अल्पसंखयको का दर्जा हासिल करते है मुस्लिम समुदाय हमारे देश में अल्प संख्यक नहीं जा सकता है क्यूंकि वो दुसरे बड़े समुदाय है हमारे देश में लेकिन क्या सही में हमारी सरकार अल्पसंख्यको के लिए कुछ करना चाहती है या वो अपने वोट बैंक को और मजबूत बनाने के लिए हमारे जनसँख्या के एक बड़े भाग को ही लाभ पहुचना चाहती है | हिन्दू और मुस्लिमो को छोड़ के बाकि और समुदाय सच में हमारे देश में बहुत ही अल्पसंख्यक है जिस से की हमारी धर्मनिरपेक्ष सरकार को कुछ फायदा नहीं दिखता चूँकि वो संख्या में बहुत कम है और सरकार को उनसे अपना वोट बैंक मजबूत बनता नहीं दिख रहा है इस लिए वो केवल मुस्लिम प्रेम को ही दिखाती है |
वैसे भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जो गन्दा खेल ये  भ्रष्ट सरकार खेल रही है वो किसी से छुपा नहीं है बस कुर्सी और सता के लिए ये सब करने को तैयार है अगर यही धर्मनिरपेक्ष है तो इस से अच्छा तो हम बगैर धर्मनिरपेक्ष ही सही है कम से कम किसी एक समुदाय को फायदा तो नहीं मिलेगा |
-- अक्षय कुमार ओझा
Contact me at: akshaykumar.ojha@gmail.com

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