27.7.11

बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से पाए!!!


ये कहना गलत नही होगा की,
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से पाए!!!

आप सभी सोच रहे होंगे ये क्या हो गया हैं मुझे और मैं ऐसा क्यों बोल रहा हु अरे मित्रो अभी कुछ दिनों से हो रहे बम धमाको से पूरा पडोसी मुल्क सकते में हैं अब जिसने उस तालिबान नाम के साप को पाला अब वो उसी को  ही डस रहा  हैं तो ये कहावत तो सही माईने में पडोसी मुल्क के ऊपर लागू होना जायज सी बात हैं. अगर वहां की हकुमत सही माईने में अपने लोगो की परवाह करती तो शायद पडोसी मुल्क भी अपने नाम की तरह पाक कहलाता और तरक्की की और बढता पर अब वहां की हकुमत ने भारत से हमेशा द्वेष की भावना ही रखी हैं और हमेशा ही मुह की ही खायी हैं.
अभी हाल ही में मैंने कहीं टेलीविजन में एक वृत्तचित्र देखा जिसमे ये बताया जा रहा था की पडोसी मुल्क किस तरह से अपने विद्यालयों में कैसे गुमराह की शिक्षा अपने आने वाले पीढियों को दे रहा हैं जहाँ भारत का चित्रण एक आतंकवादी देश के रूप में किया जाता हैं, अब वो तो बेचारे बच्चे हैं जो कोरे कागज की तरह होते हैं जिनपे द्वेष, आतंक की स्याही से कुछ भी लिख दो वो हमेशा के लिए ही छाप छोड़ जाता हैं उन मासूमो के दिमाक में.

खैर यही कारन हैं की वह की आम जनता भी अब अपनी सरकार का वो भयानक रूप देख चुकी हैं और अगर जल्द कुछ नही किया गया तो ये डर का साया यहाँ भी पहुँच जाएगा. और शायद पहुच भी सकता हैं क्योंकि यहाँ तो हमारे देश में ही पीठ पर छुरा घोपने वाले मौजूद हैं.
वो कहते हैं न की,
जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो दुसरो से क्या उम्मीद रखी जा सकती हैं.

अब देखते हैं कब वो मदारी आते हैं और कब अपने इशारो पे इन्हें नाचना शुरू करते हैं. अगर हम अब नहीं जागेंगे तो फिर हमारी आवाम भी पडोसी मुल्क की तरह हो जाएगी असहाय और बेबस....


By : Pawan Mall
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