27.7.11

महंगाई के दौर में चूल्हा, रोता सुबह-ओ-शाम है

यूपीए का राज गजब है,लाचारी चहुंओर है
पी.एम एक भला है तो क्या,आधी कैबिनेट चोर है
मूर्छित पीएम सोच रहे हैं, ऐसी क्यूं किस्मत फूटी
जिसने पलकों पर बैठाया, जनता आज वही रूठी
सच्चाई और नेक इरादे था जिस पार्टी का नारा
आज उसी पार्टी का पीएम,है शागिर्दों से हारा
दाल में काला वाली बातें, अब न होती चरितार्थ हैं
अब काले में दाल पड़ी है, नेताओं का स्वार्थ है
गीता और रामायण के सब ज्ञान बहाए गंगे में
देशप्रेम-सौहार्द्र मिटाए, हिन्दु-मुसलिम दंगे में
राहुल बाबा गांव गली में स्वांग रचाकर घूम रहे हैं
दलितों के घर-घर जाकर, आंगन उनका चूम रहे हैं
महंगाई के दौर में चूल्हा, रोता सुबह-ओ-शाम है
दे पाया है कौन किसी को, सबके दाता राम हैं
कुंवर प्रीतम

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