15.7.11

आतंकवादी हाय-कु-कथा?

आतंकवादी हाय-कु-कथा?
सौजन्य-गूगल


आतंकवादी हाय-कु-कथा?


१.

सुबह पूरे
  
थे पापा; शाम लौटे

हैं  टुकड़ों में..!!

२.

छिपे हो खुद,

कमांडो के पिछे यूँ?

बहुत अच्छे..!!

३.

ऐ  सियासत

क्या चाहिए और भी,

जान के सिवा?

४.

मरी है आज,

इन्सानियत एक  

ही, धमाके में?

५.


दिल का कोना


हुआ  लहूलूहान,

  
रोता भी नहीं..!!

६.

मुंबई-कर,


कभी सोता नही है,

लाश बन के..!!

७.

उठेगी आंधी,

कभी तो ढेर होगा,

आतंकवाद?

========



हे राम..!!

मार्कण्ड दवे । दिनांक-१५-०७-२०११.

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MARKAND DAVE
http://mktvfilms.blogspot.com   (Hindi Articles)

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