आतंकवादी हाय-कु-कथा?
सौजन्य-गूगल
१.
सुबह पूरे
थे पापा; शाम लौटे
हैं टुकड़ों में..!!
२.
छिपे हो खुद,
कमांडो के पिछे यूँ?
बहुत अच्छे..!!
३.
ऐ सियासत
क्या चाहिए और भी,
जान के सिवा?
४.
मरी है आज,
इन्सानियत एक
ही, धमाके में?
५.
दिल का कोना
हुआ लहूलूहान,
रोता भी नहीं..!!
६.
मुंबई-कर,
कभी सोता नही है,
लाश बन के..!!
७.
उठेगी आंधी,
कभी तो ढेर होगा,
आतंकवाद?
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हे राम..!!
मार्कण्ड दवे । दिनांक-१५-०७-२०११.
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MARKAND DAVE
http://mktvfilms.blogspot.com (Hindi Articles)
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