''भारतीय नारी '' ब्लॉग पर आज प्रस्तुत है -ये ''हॉरर किलिंग हैं ''
आजकल हर ओर ''औनर किलिंग '' के नाम पर लड़कियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है .मेरा मानना है कि ये ''हॉरर किलिंग '' हैं .15 से २० साल की युवतियों को परिवार की मर्यादा के नाम पर मौत के घाट उतारना अमानवीय कृत्य तो है ही साथ ही यह आज की प्रगतिशील नारी शक्ति को ठेंगा दिखाना भी है जबकि अधिकांश लड़कियां अपने परिवार का नाम ऊँचा कर रही हैं .ऐसे में इज्जत के नाम पर उनका क़त्ल न करके बहुत सोच विचार के बाद परिवार को कोई निर्णय लेना चाहिए .लड़कियां चौखट से बाहर आकर कैसे हर कसौटी पर खरी उतरती हैं इन्हें मैंने इन शब्दों में व्यक्त करने का प्रयास किया है -
लड़कियां जब चौखट से
बाहर आती हैं
उनके साथ पग-पग चलती
है कुल की मर्यादा
पिता का स्वाभिमान
माता का विश्वास
भाई की हिदायतें
और अनंत स्वप्नों
की श्रृंखला ,
लड़कियां हर कसौटी
पर खरी उतर जाती हैं
लड़कियां जब चौखट से
बाहर आती हैं .
वो धैर्य से ,सहनशीलता से
पार करती हैं हर बाधा ,
छीन लेती हैं इस जग से
लूटा गया अपना हक आधा ,
आधी दुनिया की बुझी
आस फिर जग जाती है .
लड़कियां जब चौखट से
बाहर आती हैं .
सदियों से सुप्त मेधा को
झंकझोर कर जगाती हैं ,
चहुँ ओर अपनी प्रतिभा का
लोहा मनवाती हैं ,
बछेंद्री बन एवरेस्ट पर
चढ़ जाती हैं ,कल्पना रूप
में ब्रह्माण्ड घूम आती हैं .
लड़कियां जब चौखट
से बाहर आती हैं .
''हॉरर किलिंग'' करने वालों को अपने गिरेबान में भी झांक कर देख लेना चाहिए कि आखिर घर का बच्चा ऐसा करने के लिए क्यों विवश हो जाता है .वो क्यों बाहर के व्यक्ति पर विश्वास कर घरवालों से बगावत कर देता है ?क्यों घर से भागने को विवश होता है ? कहीं न कहीं कमी उन में ही है जो मर्यादा का नाम लेकर अपने मासूम बच्चों का खून बहा रहें हैं .
शिखा कौशिक
4 comments:
बिल्कुल सही कह रही हैं आप्।
आपकी रचना आज तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
http://tetalaa.blogspot.com/
सटीक और सार्थक प्रस्तुति ..
अपनी बात को बहुत शिद्दत और सच्चाई के साथ आपने रखा है ! यह समाज के कई तथाकथित ठेकेदारों को आत्मचिंतन के लिये विवश करने के लिये सक्षम है ! एक दमदार प्रस्तुति !
सार्थक.....सच्ची रचना
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