19.7.11

अन्ना हजारे की घोषणा का मजाक उड़ाते.......

 अपने प्रस्तावित अनशन की सुरक्षा के लिए कोर्ट जाने की अन्ना हजारे की घोषणा का मजाक उड़ाते हुए कांग्रेस ने कहा है कि अन्ना को पुलिस के डंडे से इतना डरने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, देश के हर नागरिक को अदालत जाने का अधिकार है, और पुलिस की लाठी का डर ऐसे लोगों में स्वाभाविक है जो कभी किसी राजनीतिक आंदोलन में शामिल नहीं हुए हैं। वरना, वह पुलिस से इतना नहीं डरते। 
मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि आखिर कांग्रेस चाहती क्या है ? अन्ना हजारे अनशन करे या न करे | करने के लिए तो ये खुद ही बाध्य कर रहे है | न करे तो कायर कह रहे है | समझ नहीं आता खुद कि कारस्तानियों पर कब तक पर्दा डालकर एक सच्चे इन्सान के आड़ में राजनितिक रोटियाँ सेंकते रहंगे?एक तो सुशासन के नाम  पर भ्रष्टाचार करते जा रहे है  और कोई आवाज़ उठता है तो उसके खिलाफ C B I जांच बैठा देते है |कांग्रेस के कालाबाजारी और भ्रष्टाचार की कहानी तो  जगजाहिर है |
    और  इधर टीम अन्ना मजबूत लोकपाल के लिए एक बार फिर सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। आंदोलन के अगली रूपरेखा तैयार है। साथ ही, अन्ना ने अपनी टीम भी बड़ी कर ली है। टीम के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने पूरे देश खास तौर से युवाओं से आह्वान किया कि वे सात दिन की छुट्टी लेकर सशक्त लोकपाल बिल के लिए शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर उतरें। समाजसेवी अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार उनके आंदोलन को कुचलने की बजाय संसद में मजबूत लोकपाल विधेयक पेश करे। अन्ना हजारे ने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि 16 अगस्त से दिल्ली में किए जाने वाले अनशन को लेकर उनकी दिल्ली पुलिस से बातचीत चल रही है और अगर उन्हें अनुमति नहीं दी गई तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने बताया कि वह अपने बनाए जनलोकपाल को ही मजबूत लोकपाल का मसौदा मानते हैं और इस पर लोगों की राय जानने के लिए वह 21 से 24 जुलाई तक सभी लोकसभा क्षेत्रों में जनमत संग्रह कराएंगे। स्वतंत्र एजेंसी के जरिए कराए जाने वाले इस जनमत संग्रह का रिजल्ट 26 अथवा 27 जुलाई तक घोषित कर दिया जाएगा(साभार राष्ट्रीय सहारा ) इस राम-रावन के युद्ध में किसका विजय होता है ये तो जन - आन्दोलन पर निर्भर है |जिसकी लाठी उसकी भैस के तर्ज़ पर कब तक इस  कुशासन को झेलना पड़ेगा ये देखना है |
न्याय और अन्याय का, नोट करो जिफरेंस,
जिसकी लाठी बलवती, हाँक ले गया भैंस।
निर्बल धक्के खाएँ, तूती होल रही बलवान की,
जय बोलो बईमान की !

(काका हाथरसी)
  

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