छीन लो मेरी जमीनें/तोड दो मेरे घर
उजाड दो मेरी बस्ती
मगर-सरकार को बता दो- कि
रोटी अब तुम्हारे खून से
चुपड कर खाई जाएगी
तुम्हारे मांस के लोथडे लपेट कर
रोटी अब चोंगा बनाकर
चबाई जाएगी....
रोटी अगर नहीं भी मिली- तो भी
आदगी अब भूखे पेट लडेगा
नंगी देह भिडेगा
युद्ध आदमी और सरकार के बीच
अब होकर ही रहेगा....
कल मेरी पूरी बस्ती ने
नाखून न काटने की कसम खाई
और तय किया- कि अब हर
नाखून पर धार लगाई जाएगी
कुर्सियों पर फूंक दिए जाएंगे
भ्रष्ट साहब...
चौराहों पर नोची जाएगी खद्दर
माननीयों की लाशें
फटे पैरों रौंदकर
नंगी दफनाई जाएगी...
खेत की तो बात ही छोडो
मुट्ठी भी मिट्टी तक भी न दी जाएगी....- Atul Kushwah
Atul ji ne kya kamal likha hai, sir aap hamesa aissa hi likhte rahe asi hamari kamna hai or aapki in pngtiyon ko logoun tk phunchane blogar ka bhut -bhut sukriya.
ReplyDeletebhagvan aapko or adhik sakti de jisse aapke ander bharstachariyon ke karnamon ko ujagar kar sake.
Atul ji ne kya kamal likha hai, sir aap hamesa aissa hi likhte rahe asi hamari kamna hai or aapki in pngtiyon ko logoun tk phunchane blogar ka bhut -bhut sukriya.
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