मित्रों,इस तरह इस निर्विशेष देश के विशेष प्रधानमंत्री मूर्खमोहन सिंह ने जो जनता के बीच बिना दिमागवाले के रूप में लोकप्रिय रहे हैं;ने मंत्रियों का चयन किया.यहाँ मैं आपको यह बताता चलूँ कि प्रतियोगिता शुरू होने से पहले ही दो कुर्सियों को हटा दिया गया था.उनमें से एक तो काजल की कोठरी उर्फ़ जेल का दरवाजा बन चुकी संचार मंत्री की थी और दूसरी कपड़ा मंत्री की.दरअसल मूर्खिस्तान में अब प्रधानमंत्री का पद पहले की तरह शक्तिशाली नहीं रह गया है.पहले इस देश में भी हिंदुस्तान की तरह ही एकदलीय सरकारें बनती थीं और तब मूर्खिस्तान का प्रधानमंत्री ही देश का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी हुआ करता था.अभी यहाँ की पिछली सरकार भी हालाँकि गठबंधन सरकार थी लेकिन प्रधानमंत्री तब इस कदर कमजोर नहीं था.लेकिन अब वो बात कहाँ?आजकल जो व्यक्ति प्रधानमंत्री है पहले नौकरशाह था और अब नौकर है गधा पार्टी की अध्यक्षा का.जो भी अध्यक्षा जी का हुक्म हुआ मूर्खमोहन जी उस पर अमल कर डालते हैं चाहे उससे देश का भला हो या बुरा;उसकी बला से.हमारा देश इन दिनों फिर से सामंतवाद की चपेट में है.आज की तारीख में मूर्खिस्तान के प्रादेशिक क्षत्रप इतने शक्तिशाली हो चुके हैं कि दिल्ली की गद्दी का फैसला भी करने लगे हैं.अब संचार और कपडा मंत्रालय कौन संभालेगा का फैसला एक शक्तिशाली क्षत्रप की ईच्छा पर छोड़ दिया गया है.वो चाहें तो कुर्सी को यूं हीं खाली-खाली सडा दे या फिर से किसी किसी महाभ्रष्ट परिजन के हवाले कर दे.
मित्रों,इन दिनों हमारा देश एक कथित ईमानदार व्यक्ति की संदिग्ध गतिविधियों से काफी परेशान है.यह गांधीवादी पूरे देश की जनता को भ्रष्टाचार के नाम पर गुमराह कर रहा है.वह कह रहा है कि वह भ्रष्टाचार से लडेगा.अब आप ही बताईए कि भला भ्रष्टाचार लड़ने की चीज है.वो तो करने की चीज है न.इसलिए तो मुझे लगता है कि यह बूढा झूठ-मूठ का अपना बुढ़ापा ख़राब कर रहा है.शादी नहीं करके अपनी जवानी तो पहले ही बर्बाद कर चुका है खूसट.बड़ा चला है गाँधी बनने.जब हिन्दुस्तानवालों ने गाँधी को गाँधी नहीं बनने दिया तो मूर्खिस्तान क्या खाकर इस बुड्ढ़े को गाँधी बनने देगा?
मित्रों,हमारे देश पर बराबर आतंकी हमला होता रहता है.जब किसी देश में दुनिया की सबसे नकारा सरकार सत्ता में हो तो फिर डर किसको,किससे और क्यों?हमारे प्रधानमंत्री और उनके दल का मानना है कि हमें अथिति देवो भव की सदियों पुरानी परंपरा का पालन करते रहना चाहिए;आतंकवादियों के साथ भी.हमारे देश में आतंकियों को फांसी नहीं दी जाती बल्कि उन्हें दामाद बनाकर रखा जाता है.
मित्रों,इस बार भी हर बार की तरह मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद प्रधानमंत्री ने गैरइरादतन कहा कि उन्होंने युवराज बबुआजी से मंत्रिमंडल में शामिल होने का दंडवत अनुरोध किया था लेकिन उन्होंने सिरे से मना कर दिया.कितना बड़ा झूठ है ये?असलियत तो यह है कि युवराज इस डर से मंत्री बनना नहीं चाहते कि कहीं मंत्री बनने के बाद उनके बिना भेजे वाले दिमाग से कोई ऐसी गलती न हो जाए जिससे वे मंत्री से प्रधानमंत्री बन ही नहीं पाएं.अंत में प्रधानमंत्री जी ने अपने मुखबंदर से यह भी कह डाला कि यह उनकी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी फेरबदल है और आगे वोटों की अगले बंदरबांट तक मंत्रिमंडल में कोई बदलाव नहीं होगा.कितने बड़े गपोरी हैं श्रीमान!कोई उनके बाप का राज है क्या?वे आदेशपाल हैं केवल आदेशपाल और इससे अधिक कुछ भी नहीं.असली सत्ता है राजमाता जी के पास और उनकी जब मर्जी होगी मंत्रिमंडल में बदलाव होगा.वे चाहें तो ऐसा रोज-रोज भी करें.अंत में लेख पढने के लिए आप सभी मित्रों को मैं धन्यवाद नहीं देता हूँ.गुड बाय.फिर मिलेंगे.
अच्छा व्यंग है |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाई ||
तरह तरह के किरदारों से
सजे- हमारे ये बेहूदे |
कुछ भी नहीं है बस में इनके,
व्यर्थ भूमि पर झूरै कूदे ||
बड़ा भलामानस बनता है,
सच्चाई का झूठा पुतला,
चरण वंदना सोनी मैया,
करे हमेशा आँखे मूंदे ||
dhanyawad madhur bhaee apki madhur dippani aur protsahan ke lie.
ReplyDelete