है मेरे ब्लोगी भाइयों के पास कोई उपाय ......!
पिछला ब्लॉग यहाँ बंद किया फिर ;
एक पत्राचार जो ब्लॉग लिखने के बाद हुआ , उसे यहाँ चिपका रहा हूं., चूँकि इसमें ही मेरे विचार से उत्तर है :
मेरा श्री शर्मा जी से पत्राचार :
guptaaji aapane sau fisadi sahi kaha ki charitr ke bina kuchh nahin ho sakata .aj charitr nirman ki jarurat hai
आदरणीय शर्मा जी ,
अनुमोदन के लिए धन्यवाद,
और चारित्र निर्माण कहाँ से होगा. हमारे बच्चे , जो कल I A S और बड़ी बड़ी पोस्ट पर आज हैं. उन्होंने तो यही सीखा है , जाना है , कि बेईमानी से ही बड़ा हुआ जाता है ,
जब तक वास्तविक धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती तब तक चरित्र निर्माण कहाँ से होगा.
में ५७ साल का हूं , गीता , रामायण अब जाकर पढ़ रहा हूं. अब पता चल रहा है वास्तविक धर्म क्या है.
आप क्या कहते हैं.
दासानुदास
अशोक गुप्ता
दिल्ली
बधाई ||
ReplyDelete