3.8.11

धनंजय कहिन: गंगे तुम बहती कैसे हो !

धनंजय कहिन: गंगे तुम बहती कैसे हो !: रामकृष्ण परमहंस जी एक बार,अपने भक्तो के बहुत जोर देने पर काशी आये,मंदिरों में घूम फिर के गंगा घाट पर बैठे.साथ आये लोगों ने पूछा की यहाँ सबसे बढ़िया क्या लगा तो उनका जवाब था की यहाँ के लोगों की पाचन शक्ति बहुत अच्छी है.जाहिर है घाटों पर प्रमाण बिखरे पड़े थे.आज तो स्थिति ऐसी हो गयी है की गंगा को ही पचा लेने वाली व्यवस्था पैदा होगई है.ऐसे में दूर आस्ट्रेलिया में कोई कुछ कहता है तो चिल्लाने की बजाय हम ये सोचें की हम गंगा के लिए क्या कर रहे हैं.

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