''गुडिया मुझे माफ़ कर देना !''
[फोटो सर्च से साभार ]
सुधा और दीपक दो दिन की यात्रा के पश्चात् घर पहुंचें.शाम के पांच बजने आये थे .फरवरी का माह था अत: हवाओं में शीतलता बची हुई थी .दीपक ने घर के किवाड़ खुलवाने को अपने बेटे को आवाज लगाई -''बिट्टू ......बिट्टू ....'' तीन-चार आवाज पर भी जब किवाड़ नहीं खुले तो सुधा ने भी आवाज लगाना शुरू कर दिया ''....तानी....तानी....किवाड़ खोलो बेटा .''जब इस पर भी किवाड़ नहीं खुले तो दीपक ने किवाड़ों पर जोर से धक्का मारा और किवाड़ तेजी से खुल गए .दीपक ने बमुश्किल अपने को गिरने से बचाया .''....आखिर कहाँ मर दोनों ?''सुधा आपा खोते हुए बोली .दीपक ने उसे समझाते हुए कहा '......अरे गुस्सा क्यों करती हो !यही आस-पड़ोस में गए होंगे कहीं .....तुम देखो जरा....मैं पान का बीड़ा बंधवाकर अभी वापस आता हूँ .''यह कहकर दीपक घर से बाहर निकल लिया .सुधा ने सारा सामान एक ओर रखा और स्वागत कक्ष में पहुँच कर देखा वहां कोई नहीं था .वह तानी के कमरे की ओर चल दी .कमरे में पहुँचते ही जो उसने देखा उसके पैरों तले की जमीन खिसक गयी .उसकी सत्रह वर्षीय बेटी तानी बेहोश नग्न अवस्था में लहुलुहान बिस्तर पर पड़ी थी.सारा कमरा इस बात की गवाही दे रहा था कि तानी ने अपनी इज्जत बचाने के लिए काफी संघर्ष किया होगा .सुधा के मुंह से चीख निकलने ही वाली थी कि उसने अपने होंठ भीच लिए .उसने तुरंत कमरा अन्दर से बंद किया और एक चद्दर से तानी का शरीर ढक दिया .पास स्टूल पर रखे पानी के गिलास से पानी ले तानी के मुंह पर छिड़का तो वह कुछ होश में आई और बडबडाने लगी -''..........बिट्टू भैया मुझे छोड़ दो .......छोड़ दो ....मै मम्मी से कह दूँगी .....''और फिर बेहोश हो गयी .सुधा का दिल जोर से धड़कने लगा .उसने तानी के चेहरे पर धीरे से चपत लगा होश में लाने का प्रयास किया ''......बेटा उठ ....देख मैं .....मम्मी ....''लगातार सुधा की आँखों से आंसू बहे जा रहे थे .तानी को होश आया तो सुधा से लिपट गयी .....''मम्मी ...मम्मी देखो बिट्टू भैया ने क्या किया ...?''सुधा उसके मुंह पर हाथ रखते हुए बोली ''.......बेटा चुप हो जा .....कुछ नहीं हुआ !''' तानी को साहस बंधाती हुई सुधा खुद फफक -फफक कर रो पड़ी तभी स्वागत कक्ष से दीपक की आवाज सुनाई दी''....सुधा कहाँ हो तुम /अब तुम भी रल गयी क्या ?...''सुधा तानी को चुप रहने का निर्देश दे स्वागत कक्ष तक किसी प्रकार चलकर आई पर वहां पहुँचते ही उसके पैरों ने जवाब दे दिया और दिल ने भी.गहरी सांस भरते हुए किसी प्रकार बोली -''दीपक....दीपक....बिट्टू ने ....तानी के साथ .....बहुत गन्दा ...कम कर दिया !''यह कहते कहते वह फर्श पर निढाल हो बैठ गयी .दीपक के मुंह से बस इतना निकल पाया ''क्या कह रही हो ?पागल हो गयी हो क्या ?''इतने में बिट्टू बाहर से आता दिखाई दिया .पहले सुधा की नज़र उस पर पड़ी उसने मुंह फेर लिया पर तभी बिजली की तेजी से उठी और बिट्टू के पास पहुँच कर चांटों से उसका मुंह लाल कर दिया .लगातार रोती सुधा को तभी दीपक ने पीछे हटाया और बिट्टू की गर्दन पकड़ते हुए दीवार के पास सटाकर बोला -''हरामजादे .......अपनी सगी बहन के साथ मुंह काला करते शर्म न आई ?''गर्दन कसी होने के कारण बिट्टू की साँस उखड़ने लगी थी .सुधा ने किसी तरह दीपक के हाथ की पकड़ ढीली करवाई इस प्रयास में उसे भी धक्का लगा .दीपक बिट्टू के मुंह पर थूकते हुए बोला ''कमीने ...दूर हो जा मेरी नज़रों से '''.दीपक के हाथ गर्दन से हटते ही बिट्टू अपने कमरे की और दौड़
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शिखा कौशिक
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