ऐसा कैसे हो सकता है कि अन्ना अपने लोकपाल को संपूर्ण मानकर उसके समानान्तर भ्रष्टाचार खत्म करने के अन्य लोगों के विचारों को सिरे से नकार रहें है। ताजा उदाहरण है राहुल गांधी के विचारों से असहमत होने पर उन्होंने अपने समर्थकों को उनके घर का घेराव करने भेज दिया। याने उनके ही लोकपाल को मानो नहीं तो भुगतो।क्या आपको ऐसा नहीं लगता लोकतंत्र के सबसे बड़े हिमायती होने का दावा करने वाले अन्ना लोकतंत्र से ही शक्ति पाकर सबसे ज्यादा लोकतंत्र का दमन कर रहें हैं।
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