3.9.11

parwaz परवाज़.....: मेरी मोहब्बत -my love

वही चेहरा वही आँखें वही सूरत निकली
मैंने जो दिल में बसाई थी वही मूरत निकली
तुम आए  तो आँखों को भी यकीं भी  ना हुआ
मेरे ख्वाबों की हर ताबीर  हकीकत निकली

तेरे लिए हर बार यही सोचकर करती हू दुआ
हर दुआ खुदा की रूह से होकर निकले
अपने चेहरे को देखने की लिए जब देखा  आइना
मेरे चेहरे पर तेरे अक्स  की चादर निकली 

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