दूर दूर रहते थे नागफनी और गुलाब,
था एक घनिष्ठ मित्र जोड़ा -
एक दिन नागफनी एकांत से झुंझला कर
ईर्ष्या से बोला -
ऐ गुलाब!!
घायल तू भी करता है अपने शूलों के दंश से
फिर भी सबका प्रिय है तू अपने फूलों और गंध से|
तू दुलारा माली का कहते हैं बगिया की तुझसे शान है
लेकिन मुझमे ही ज्यादा ऐब हों ऐसा मुझे ज्ञान नहीं |
तुम ही बोलो क्या मुझमे ही ढंग से जीने का ढंग नहीं |
जबकि मुझ पर पल्लवित पुष्प भी कुछ गुणी और सुन्दर कम नहीं|
bahut achchi lagi........
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