सरकार का पक्ष मल्टी ब्रांड रिटेल पर...समझ से परे!
वाणिज्य मंत्री मल्टी ब्रांड रिटेल पर सरकार का पक्ष रख रहे थे .बातें आम आदमी हजम भी नहीं कर पा
रहा है.हम मल्टी ब्रांड रिटेल को भारत की जरुरत कैसे मान सकते हैं ?जिस देश में ८५%आबादी बुनियादी
सुविधाओं से वंचित है .लोगो के पास खुद का मकान तो दूर दौ समय का भोजन जुटाना भी मुश्किल हो रहा
है,बच्चो की शिक्षा की व्यवस्था नहीं है ,पीने का साफ मिट्ठा पानी उपलब्ध नहीं है ,युवा बेरोजगारी के
.खप्पर में है,और मंत्री महोदय इसे भारत की जरुरत बता रहे हैं .समझ से परे बात......!
मंत्री महोदय कह रहे थे की मल्टी ब्रांड रिटेल कई संस्थाओं और राज्यों की मांग है ,उन्होंने यह नहीं बताया
की वे राज्य या संस्थाए कौनसी हैं?भारत का कौनसा ऐसा राज्य है जिसमे बुनियादी समस्याए नहीं हैं ?
वे चीन से और विकसित देशो से भारत की तुलना करते नजर आये .क्या हम चीन और विकसित देशो के
बराबर हैं ?जिस देश का बच्चा जन्म लेते ही हजारो रुपयों का कर्ज लेकर जनम लेता है वहां मल्टी ब्रांड को
कैसे उचित ठहराया जा सकेगा ? तथ्य समझ से परे .........!
वाणिज्य मंत्री इसमें किसानो का भला देखते हैं ,आप राष्ट्रीय भाषा में कहते तो शायद आम आदमी बात
सुनता भी मगर आपने जो कहा उसे तो भारत की ५%जनता ही समझ सकी .उन्होंने माना की की हम
६४ वर्षों के बाद खाद्य में इन्फ्रा स्ट्रक्चर नहीं बना पाए जबकि बड़ा उत्पादन करते हैं तो क्या अब मल्टी
ब्रांड रिटेल आने से इन्फ्रा स्ट्रक्चर मजबूत हो जाएगा .बात गले नहीं उतरती ,समझ से परे ......... !
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