तबीब कसाई हो गए? (व्यंग गीत ।)
चेहरे की चमक, तेरी जेब की खनक,
सब कुछ देखो, हवा - हवाई हो गए..!!
मुफ़्त में तबीब ये बदनाम हो गए ?
जब से तबीब, इलीस कसाई हो गए ?
( इलीस = धर्म मार्ग से भ्रष्ट, शैतान )
अंतरा-१.
इन्सानियत की तो, ऐसी की तैसी..!!
साँठ - गाँठ है ज़िंदा, वैसे की वैसी..!!
नेता - बीमा - लेब, सब लुगाई हो गए..!!
जब से तबीब, इलीस कसाई हो गए ?
अंतरा-२.
कौन अंग दायाँ, कौन सा है बायाँ..!!
कौन यहाँ बच्चा, कौन यहाँ बुढ़ा..!!
हाड़ - मांस पिघल के, दवाई हो गए..!!
जब से तबीब, इलीस कसाई हो गए ?
अंतरा-३.
कहाँ है ग़रीबी, कहाँ के तुम ग़रीब..!!
गुर्दे की क़िमत सुन, खुल जाएगा नसीब..!!
बदन - दवा - दारू, महँगाई हो गए..!!
जब से तबीब, इलीस कसाई हो गए ?
(गुर्दा = कीडनी)
अंतरा-४.
कहाँ के ये ईश्वर, कहाँ के ये गोड़..!!
ऐंठे - जीते - मरते, है सब गठजोड़..!!
अस्पताल सोने की खुदाई हो गए..!!
जब से तबीब, इलीस कसाई हो गए ?
अंतरा-५.
तुलसी - हलदी - हरडे, अनर्थ हो गए..!!
ग्रंथ ये पुराने, सब व्यर्थ हो गए..!!
माँ के सारे नुस्खे दंगाई हो गए..!!
तब से तबीब, इलीस कसाई हो गए ?
(दंगाई = उपद्रवकारी)
मार्कण्ड दवे । दिनांक - २७ -११ - २०११.
इन्सानियत की तो, ऐसी की तैसी..!!
ReplyDeleteसाँठ - गाँठ है ज़िंदा, वैसे की वैसी..!!
नेता - बीमा - लेब, सब लुगाई हो गए..!!
जब से तबीब, इलीस कसाई हो गए ?
सार्थक और सामयिक प्रस्तुति, आभार.
बहुत ही अच्छी रचना है। सच्चाई है। खूब प्रचारित होनी चाहिये।
ReplyDeleteबधाई।
डॉ. ओम
केवल अलसी के प्रयोग और जागरुकता से हम देश का स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाला विदेशी मुद्रा का 30 प्रतिशत बचा सकते हैं।
ReplyDeleteडॉ. ओम
आप मेरी साइट पर जाइये।
ReplyDeletehttp://flaxindia.blogspot.com/
डॉ. ओम