FDI का विरोध- वोट की ताकत से ताज और तख़्त बदल दीजिये.
सरकार हम चुनते हैं और हमारे हित के फैसले लेने के लिए चुनते है ,यह लोकतंत्र की मूल भावना है .
केंद्र सरकार की उदारवादी पॉलिसी गरीबों के हित में नहीं है .आजादी के ६४ वर्षों के बाद भी हमारी
समस्याए ज्यों की त्यों हैं ,गरीब और गरीब होता जा रहा है देश की विकास की तस्वीर ५% लोगो की
मुट्ठी में है .क्या अब भी हम धर्म ,जाती अगड़ा-पिछड़ा के नाम पर नेताओं की चाल में थिरकते रहेंगे ?
पहले अंग्रेजों ने लड़ाया अब आरक्षण ,अगड़ा- पिछड़ा ,अल्पसंख्यक ,बहुसंख्यक के नाम पर भिड़ाया
जा रहा है क्या हम आपस में लड़कर अपने भविष्य को बर्बाद कर लेंगे?
आज केंद्र में बैठे लोग जो फैसले हमारे अहित में ले रहे हैं और हम बेबस हैं ,हमारे हाथ से पांच साल का
तीर लग चुका है लेकिन निराशा की बात फिर भी नहीं है .हमारे मौलिक अधिकार हमें अभिव्यक्ति की ,
विरोध प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता देते हैं .सरकार यदि काले कानून लाती है तो उनका पुरजोर विरोध
हमारा प्रमुख हथियार है ,हमें जागरूक नागरीक बनने की जरुरत है.अपने आप को निडर बनाईये ,
संगठित हो जाईये ,भूल जाईये आपसी मनभेद को ,आपसी मतभेद को .
देश के खुदरा व्यापार को सरकार विदेशी हाथों में सौपने जा रही है ,यह हमारा हर तरह से सर्वनाश
करने वाली बात है .सरकार का पक्ष बेतुका है ,वह इसमें किसानो का भला दिखाती है .अपना माल बेचने
के लिए आज किसान के पास जितने विकल्प हैं वह FDI आने से कम हो जायेंगे? आज किसान को जो
ज्यादा भाव देता है उसे ही माल बेच रहे हैं ,थोक व्यापारी की प्रतिस्पर्धा से किसान फायदे में ही है लेकिन
जब उसे अपनी फसल गिने चुने लोगो को बेचना पडेगा तब FDI का एकाधिकार उसे कंगाल नहीं बना देगा ?
किसानो की फसल खेत में ही नष्ट हो जा रही है,क्यों? कौन जबाबदार है ?उसकी फसल को सुरक्षित रखने
के उपाय किसे करने थे ?उनकी उपज का सही भाव कौन तय करता है ?क्यों गन्ना किसान अपनी खड़ी
फसल को आग लगा देता है ?क्यों आन्दोलन कर रहे हैं कपास की फसल उपजाने वाले किसान ?हमारी
गलत नीतियों के कारण ऐसा हो रहा है ,क्यों मनमाने ढंग से कपास के निर्यात पर रोक लगाई पिछले वर्ष
जब किसान को अच्छे भाव मिल रहे थे ?किसान को गलत राजनीति का शिकार किसने बनाया ?
हमारे पास मिटटी की उर्वरा ,पहचान ,उत्तम खाद और उत्तम बीज का इन्फ्रा स्ट्रक्चर क्यों विकसित नहीं
हुआ ? क्यों नहीं हमने कोल्ड स्टेरोज विकसित किये ?हमने मनरेगा के लिए फंड बनाया, क्या काम आया
खुली लूट हुयी जनता के धन की .अगर यही पैसा भूमि सुधार ,कोल्ड स्टोरेज ,आधुनिक कृषि सयंत्र ,खेती
के लिए पानी और न्यूनतम दरों पर बिजली पर खर्च कर दिया जाता तो देश के किसान का जीवन स्तर
सुधर जाता ,मगर हमने ऐसा नहीं किया और अब उसी किसान को खून चूसने वाले परजीवियों के भरोसे
छोड़ देना चाहते हैं.आज उन्ही किसान के बच्चे मनरेगा के मजदुर बन गए हैं .
खुदरा व्यापार में करोडो भारतीय रोजी रोटी कमा रहे है करोडो परिवार पल रहे हैं .लाख दौ लाख से भी कम
पूंजी से वे लोग काम कर रहे हैं ,क्या उनकी आजीविका को छीन लेने वाले कानून बनाने के लिए चुना है
सरकार को ?यदि इस समय FDI को वापिस नहीं लौटाया तो आने वाले समय में खुदरा व्यापारी खत्म हो
जायेंगे .कैसे बाथ भिडायेगा एक- दौ लाख से व्यापार चलाने वाला अरबों रुपयों वाले FDI से ?मसल देंगे
विदेशी खुदरा व्यापारी उसे मच्छर की तरह.
सरकार से इस मुद्दे पर असहयोग कीजिये .शांतिपूर्ण अनवरत प्रदर्शन कीजिये ,आम आदमी तक अपनी
आवाज पहुंचाने के लिए दुकाने खुल्ली रखिये मगर बिक्री रोक दीजिये ,अपने पेंडिंग काम पुरे कीजिये ,जब
सप्लाई की चेन बंद हो जायेगी तो आपकी बात बहरे कानो तक पहुँच जायेगी ,एक दिन का बंद बेहरोंको
सुनाने के काफी नहीं होगा ,अपनी लड़ाई को शांतिपूर्ण,लम्बी और धारदार बनाईये .
अगर फिर भी सरकार नहीं सुनती है तो कीजिये आने वाले चुनावों में अपने मत का प्रयोग और बदल
दीजिये अहंकारी मतिहीन तख़्त और ताज को .यह आपकी ताकत है , पूरा उपयोग कीजिये .
सरकार हम चुनते हैं और हमारे हित के फैसले लेने के लिए चुनते है ,यह लोकतंत्र की मूल भावना है .
केंद्र सरकार की उदारवादी पॉलिसी गरीबों के हित में नहीं है .आजादी के ६४ वर्षों के बाद भी हमारी
समस्याए ज्यों की त्यों हैं ,गरीब और गरीब होता जा रहा है देश की विकास की तस्वीर ५% लोगो की
मुट्ठी में है .क्या अब भी हम धर्म ,जाती अगड़ा-पिछड़ा के नाम पर नेताओं की चाल में थिरकते रहेंगे ?
पहले अंग्रेजों ने लड़ाया अब आरक्षण ,अगड़ा- पिछड़ा ,अल्पसंख्यक ,बहुसंख्यक के नाम पर भिड़ाया
जा रहा है क्या हम आपस में लड़कर अपने भविष्य को बर्बाद कर लेंगे?
आज केंद्र में बैठे लोग जो फैसले हमारे अहित में ले रहे हैं और हम बेबस हैं ,हमारे हाथ से पांच साल का
तीर लग चुका है लेकिन निराशा की बात फिर भी नहीं है .हमारे मौलिक अधिकार हमें अभिव्यक्ति की ,
विरोध प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता देते हैं .सरकार यदि काले कानून लाती है तो उनका पुरजोर विरोध
हमारा प्रमुख हथियार है ,हमें जागरूक नागरीक बनने की जरुरत है.अपने आप को निडर बनाईये ,
संगठित हो जाईये ,भूल जाईये आपसी मनभेद को ,आपसी मतभेद को .
देश के खुदरा व्यापार को सरकार विदेशी हाथों में सौपने जा रही है ,यह हमारा हर तरह से सर्वनाश
करने वाली बात है .सरकार का पक्ष बेतुका है ,वह इसमें किसानो का भला दिखाती है .अपना माल बेचने
के लिए आज किसान के पास जितने विकल्प हैं वह FDI आने से कम हो जायेंगे? आज किसान को जो
ज्यादा भाव देता है उसे ही माल बेच रहे हैं ,थोक व्यापारी की प्रतिस्पर्धा से किसान फायदे में ही है लेकिन
जब उसे अपनी फसल गिने चुने लोगो को बेचना पडेगा तब FDI का एकाधिकार उसे कंगाल नहीं बना देगा ?
किसानो की फसल खेत में ही नष्ट हो जा रही है,क्यों? कौन जबाबदार है ?उसकी फसल को सुरक्षित रखने
के उपाय किसे करने थे ?उनकी उपज का सही भाव कौन तय करता है ?क्यों गन्ना किसान अपनी खड़ी
फसल को आग लगा देता है ?क्यों आन्दोलन कर रहे हैं कपास की फसल उपजाने वाले किसान ?हमारी
गलत नीतियों के कारण ऐसा हो रहा है ,क्यों मनमाने ढंग से कपास के निर्यात पर रोक लगाई पिछले वर्ष
जब किसान को अच्छे भाव मिल रहे थे ?किसान को गलत राजनीति का शिकार किसने बनाया ?
हमारे पास मिटटी की उर्वरा ,पहचान ,उत्तम खाद और उत्तम बीज का इन्फ्रा स्ट्रक्चर क्यों विकसित नहीं
हुआ ? क्यों नहीं हमने कोल्ड स्टेरोज विकसित किये ?हमने मनरेगा के लिए फंड बनाया, क्या काम आया
खुली लूट हुयी जनता के धन की .अगर यही पैसा भूमि सुधार ,कोल्ड स्टोरेज ,आधुनिक कृषि सयंत्र ,खेती
के लिए पानी और न्यूनतम दरों पर बिजली पर खर्च कर दिया जाता तो देश के किसान का जीवन स्तर
सुधर जाता ,मगर हमने ऐसा नहीं किया और अब उसी किसान को खून चूसने वाले परजीवियों के भरोसे
छोड़ देना चाहते हैं.आज उन्ही किसान के बच्चे मनरेगा के मजदुर बन गए हैं .
खुदरा व्यापार में करोडो भारतीय रोजी रोटी कमा रहे है करोडो परिवार पल रहे हैं .लाख दौ लाख से भी कम
पूंजी से वे लोग काम कर रहे हैं ,क्या उनकी आजीविका को छीन लेने वाले कानून बनाने के लिए चुना है
सरकार को ?यदि इस समय FDI को वापिस नहीं लौटाया तो आने वाले समय में खुदरा व्यापारी खत्म हो
जायेंगे .कैसे बाथ भिडायेगा एक- दौ लाख से व्यापार चलाने वाला अरबों रुपयों वाले FDI से ?मसल देंगे
विदेशी खुदरा व्यापारी उसे मच्छर की तरह.
सरकार से इस मुद्दे पर असहयोग कीजिये .शांतिपूर्ण अनवरत प्रदर्शन कीजिये ,आम आदमी तक अपनी
आवाज पहुंचाने के लिए दुकाने खुल्ली रखिये मगर बिक्री रोक दीजिये ,अपने पेंडिंग काम पुरे कीजिये ,जब
सप्लाई की चेन बंद हो जायेगी तो आपकी बात बहरे कानो तक पहुँच जायेगी ,एक दिन का बंद बेहरोंको
सुनाने के काफी नहीं होगा ,अपनी लड़ाई को शांतिपूर्ण,लम्बी और धारदार बनाईये .
अगर फिर भी सरकार नहीं सुनती है तो कीजिये आने वाले चुनावों में अपने मत का प्रयोग और बदल
दीजिये अहंकारी मतिहीन तख़्त और ताज को .यह आपकी ताकत है , पूरा उपयोग कीजिये .
bahut hi shyandaar likha hai aapne. YE SARKKARE TO BHARAT DESH KO BECHNE KI TAIYARI KAR RAHI HAI.
ReplyDeleteManzoor Khan Pathan
92528-84207
very nice
ReplyDeleteभारत मे वालमार्ट की दुकान नही बल्कि मरते किसानो के हितो का सोचना चाहिये
ReplyDeletebahut khoob likha hai aapne
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