अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
20.11.11
दो बेचारे !
दो बेचारे !
पहला पी .एम् . बनकर पछता रहा ; दुसरे को पी .एम् . न बनने का गम खा रहा ; दूसरे को पहले पर ''दया '' आ रही और हम को दोनों पर रोना आ रहा . शिखा कौशिक [नेता जी क्या कहते हैं ]
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